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उपेक्षा के दंश से उभरेगी पांवड नगरी, कौरवों की राजधानी का वापस लौटेगा गौरव

वित्त मंत्री की घोषणा के मुताबिक, नैशनल म्यूजियम के साथ ही हस्तिनापुर में भारतीय धरोहर और सरंक्षण संस्थान की स्थापना भी की जाएगी। इस घोषणा से उम्मीद जगी है है कि अब शायद हस्तिनापुर के प्राचीन गौरव की बहाली होगी और यह फिर से एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकेगा।

SK Gautam
Published on: 1 Feb 2020 3:40 PM GMT
उपेक्षा के दंश से उभरेगी पांवड नगरी, कौरवों की राजधानी का वापस लौटेगा गौरव
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मेरठ: निर्मला सीतारमण ने आज बजट 2020 के दौरान देश के पांच पुरातात्विक जगहों शिवसागर, डोलावीरा, आदिचेल्लनूर, राखीगढी समेत हस्तिनापुर में जल्द ही ऑन साइट म्यूजियम बनाए जाने का की घोषणा की है। वित्त मंत्री की घोषणा के मुताबिक, नैशनल म्यूजियम के साथ ही हस्तिनापुर में भारतीय धरोहर और सरंक्षण संस्थान की स्थापना भी की जाएगी। इस घोषणा से उम्मीद जगी है है कि अब शायद हस्तिनापुर के प्राचीन गौरव की बहाली होगी और यह फिर से एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकेगा।

बजट में हस्तिनापुर के पुरातात्विक विकास की घोषणा

मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि वे हस्तिनापुर को कृष्णा सर्किट और रेल मार्ग से जोड़े जाने की मांग वे वर्षों से करते आ रहे थे। आज बजट में हस्तिनापुर के पुरातात्विक विकास और वहां राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की घोषणा से हमारी सभी मांगें पूरी हो जाएंगी। इससे वेस्ट यूपी में टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, 'इसके लिए मैं क्षेत्र की जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद देता हूं।' उन्होने वित्त्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किए गए बजट को देश के विकास को गति देना वाला बजट बताया।

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योगी सरकार ने हस्तिनापुर में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही थी

यहां बता दें कि हस्तिनापुर की धरती ऐसे कई रहस्यों से भरी है जिसके बारे में शायद ही आपको पता हो। मसलन यहां आज भी वो वटवृक्ष मौजूद है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे वृक्ष को भीम ने रोपित किया था। वह कुआं आज भी मौजूद है जहां पांडव स्नान किया करते थे। साथ ही वह स्थान भी मौजूद है जहां कभी हस्तिनापुर का महल हुआ करता था। बता दें कि इससे पहले योगी सरकार ने हस्तिनापुर में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही थी।

हस्तिनापुर सेंचुरी में वन विभाग भी ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की तरफ बढ़ रहा है। कोशिश की जा रही है कि हस्तिनापुर सेंचुरी में पर्यटकों की चहलकदमी बढ़े। इसके लिए वन विभाग ने हस्तिनापुर स्थित वानिकी प्रशिक्षण केन्द्र परिसर में गंगा व्याख्यान केन्द्र खोला है। जहां पर एक ही नजर में हस्तिनापुर सेंचुरी और वन्य जलीय जीवों की झलक और जानकारी मिल जाएगी। साथ ही पर्यटकों को जंगल और वन्य जीवों की झलक भी देखने को मिलेगी।

महाभारत काल में हस्तिनापुर पांडवों की राजधानी थी

उधर,हस्तिनापुर शोध पर काम कर रहे प्रयांक भारती ने बताया कि धार्मिक कथाओं की मानें तो महाभारत काल की कहानियों में इस शाप का जिक्र है। करीब 5 हजार साल पुराने इस शाप का ही असर है कि देश की राजधानी के इतना पास होने के बावजूद ये क्षेत्र आज तक विकास को तरस रहा है। महाभारत काल में हस्तिनापुर पांडवों की राजधानी था।

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जुए के खेल में युधिष्ठिर कौरवों से सब कुछ हार गए थे। इस के बाद पांडवों को 12 साल के वनवास और एक साल के अज्ञातवास पर जाना पड़ा। कहा जाता है कि जब पांडव वनवास के लिए निकल रहे थे तो सभा में मौजूद विदुर ने द्रौपदी और सभी पांडवों की भाव भंगिमाओं को देखकर उसी सभा में कौरवों और हस्तिनापुर के विनाश की भविष्यवाणी कर थी।

बहरहाल, सरकार की इस घोषणा से स्थानीय लोंगो में खुशी का माहौल है। उन्हें उम्मीद है कि अब शायद उपेक्षा के दंश से पांवड नगरी उभर सकेगी और हस्तिनापुर के प्राचीन गौरव की बहाली होगी।

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