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बजट 2020: वित्त मंत्री ने पढ़ी कश्मीरी कविता, जानिए भाषण में क्या कहा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में बजट पेश कर दिया है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान एक कश्मीरी कविता पढ़ा। उन्होंने बजट के पीछे मूल भावना का जिक्र करते हुए यह कश्मीरी कविता पढ़ी।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में बजट पेश कर दिया है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान एक कश्मीरी कविता पढ़ा। उन्होंने बजट के पीछे मूल भावना का जिक्र करते हुए यह कश्मीरी कविता पढ़ी। कश्मीर की कविता पढ़ने के बाद उन्होंने इसका हिंदी मतलब बताया।
उन्होंने कहा कि हमारा वतन खिलते हुए शालीमार बाग जैसे, हमारा वतन डल झील में खिलते हुए कमल जैसा, नौजवानों के गर्म खून जैसा, मेरा वतन, तेरा वतन, हमारा वतन, दुनिया का सबसे प्यारा वतन।
वित्त मंत्री ने भविष्य के भारत की रूपरेखा खींची। उन्होंने कहा कि यह बजट तीन प्रमुख स्तंभों पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल रेवोल्युशन, नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सोशिल सिक्योरिटी को बढ़ाने की भावना पर आधारित यह बजट देश को नई दिशा देगा। वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटल रेवोल्युशन ने भारत को ओनेखे नेतृत्व की स्थिति में ला खड़ा कर दिया है। हमें अब डिजिटल गर्वनेंस के जरिए सेवा की अबाध उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
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उन्होंने कहा कि नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के जरिए हमें लोगों का जीवन स्तर बढ़ाना होगा। आपदा प्रबंधन के माध्यम से जीवन में जोखिम कम करना होगा। पेंशन और बीमा का दायरा बढ़ाकर सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि ये सभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होंगे और इनके बेंचमार्क की जल्द ही घोषणा की जाएगी।
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इससे पहले उन्होंने कहा कि आकांक्षी भारत, आर्थिक विकास और संवेदनशील समाज के लक्ष्य को लेकर मोदी सरकार बेहद गंभीर है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट तीन प्रमुख चीजों पर आधारित है। पहला आकांक्षी भारत जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो, उन्हें उच्च कोटि की स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर रोजगार की सुविधाएं मिलें।
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दूसरा, सबका आर्थिक विकास जिसकी झलक प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नारे में देखी जा सकती है। इसमें अर्थव्यवस्था के हर मोर्च पर सुधार लाने का लक्ष्य है। इसके तहत प्राइवेट सेक्टर के लिए अधिक उत्पादन का अवसर मुहैया करना है।
तीसरा, हमारा समाज एक मानवीय और संवेदनशील समाज होगा। अंत्योदय इसका मूल आधार होगा।'