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किसानों की व्यापक तैयारी, बुन्देलखण्ड में खरीफ की फसल बुबाई शुरू
कोरोना के कारण बुन्देलखण्ड में उत्पन्न परिस्थिति के बीच में एक राहत भरी खबर आ रही है, कि इस बार बुन्देलखण्ड में बडे पैमाने पर खरीफ की फसल बोने की तैयारी में है।
झांसी: कोरोना के कारण बुन्देलखण्ड में उत्पन्न परिस्थिति के बीच में एक राहत भरी खबर आ रही है, कि इस बार बुन्देलखण्ड में बडे पैमाने पर खरीफ की फसल बोने की तैयारी में है। बुन्देलखण्ड के बरूआसागर और तालबेहट के सब्जी मण्डी के आड़तिया विमल जैन, कल्लू खां, रामनरेश कुशवाहा, बृजमोहन पाठक ने बताया कि इस बार किसान बडे पैमाने पर अदरक, हल्दी, रतआलू का बीज खरीद रहा है। इस वर्ष पिछले सालों की अपेक्षा अदरक का बीज 8000 रूपये कुन्तल है जो पिछले वर्षो में 16000 हजार रूपये कुन्तल होता था।
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महाराष्ट्र और औरंगाबाद से आ रहा हैं अदरक का बीज
इस समय बुन्देलखण्ड में महाराष्ट्र के औंरगाबाद से अदरक का बीज आ रहा है। जिसको किसान बडी तादात में खरीद रहे है। इस बीज का उत्पादन भी अधिक होता है, और बीज भी कम लगता है। दूसरी तरफ उरद और तिल की खेती बुन्देलखण्ड में बड़े पैमाने पर होती है। झांसी के बीज कारोबारी अभिषेक गुप्ता ने बताया कि इस बार उरद का बीज 16000 रूपये कुन्तल हैं फिर भी किसान खूब खरीद रहे है।
सरकारी गोदामों में ठीक से नहीं मिल रहा है बीज
तालबेहट के बुदावनी गांव के किसान संतोष गोस्वामी ने बताया कि गांव में जो मजदूर वापिस आये है वह इस बार खेती करना चाहते है, बुन्देलखण्ड में पिछले बार खरीफ की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गयी थी, जिसके कारण बीज का संकट है फिर भी किसान, कैसे भी बीज का बंदोबस्त करने में लगा हुआ है। सरकारी गोदामों पर अभी ठीक से बीज नहीं मिल रहा है।
छोटे किसानों को मिलना चाहिए नि:शुल्क बीज
डिकोली गांव के किसान देशराज अहिरवार कह रहे है कि सरकार को इस बार बुन्देलखण्ड में छोटे किसानों को निशुल्क बीज वितरित करना चाहिए, क्योंकि कई प्रवासीय मजदूर पुनः इस बार खेती शुरू कर रहे है। झांसी के चिरगांव, बडागांव, मोठ में धान की फसल की तैयारी अभी से शुरू हो गयी है, इस इलाके में लोग धान की खेती खूब करने लगे है। इस वर्ष इसका क्षेत्र रकवा और अधिक बढ गया है।
खरीफ की बुबाई की तैयारी में लगा हैं किसान
बुन्देलखण्ड में यदि समय से मानसून आ गया तो झांसी, ललितपुर में मूंगफली, मक्का आदि की बुबाई किसान तत्काल कर देगा। किसानों ने बीज की व्यवस्था जुटा ली है। अच्छी बात यह है कि इस वर्ष सामान्य मानसून की सूचनाऐं मिल रही है। भले ही कोरोना महामारी के कारण खरीफ की खरीफ गोष्ठी नही हो पायी है, जिससे किसानों को व्यापक जानकारी नहीं मिली है, सरकारी अधिकारी भी गांव में कम दौरे कर रहे है। फिर भी किसान अपने स्तर से ही खरीफ की बुबाई की तैयारी में लगा हुआ है।
खेती के लिए ले रहे हैं कर्ज
झांसी के बबीना क्षेत्र के एक साहूकार ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पहली बार लोग सबसे ज्यादा कर्ज खेती के लिए ले रहे है, जबकि पहले यह कर्ज बिटिया की शादी और बीमारी में लेते थे। प्रगतिशील किसान नत्थू सिंह तोमर का कहना है कि किसानों को अधिक से अधिक जानकारी देने के लिए सरकार को डिजीटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिए।
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अब नहीं जाएंगे मजदूरी करने
झांसी के बबीना के सरवां गांव में आये मजदूर विजयराम पाल ने बताया कि वह काम के लिए दिल्ली जाते थे अब वह गांव में ही खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चलायेगे। इसके लिए उन्होंने पुनः खेती प्रारम्भ शुरू करने का निर्णय लिया है। खरीफ की फसल के लिए बीज खरीदने के लिए उन्होंने रिश्तेदारों से कर्ज लिया है।
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