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उत्तर प्रदेश में मिलेगा व्यापार को बढ़ावा, दो दिवसीय आईआईसी कान्फ्रेन्स का हुआ समापन
प्रथम सत्र जिसका विषय "खेत से घर तक कृषि एवं उसकी आपूर्ति श्रृंखला" थी उसकी मध्यस्थता आलोक रंजन पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार ने की। सत्र में उनके अलावा आयुष निगम, मुख्य कार्यपालक निदेशक डिस्टिंग होराइजन एवं सुधाकर तोमर, प्रबन्ध निदेशक, हाकान एग्रो थे।
लखनऊ: 15वें आईआईसी जो कि जयपुरिया प्रबन्ध संस्थान लखनऊ में आयोजित किया गया है उसके दूसरे दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र जिसका विषय "खेत से घर तक कृषि एवं उसकी आपूर्ति श्रृंखला" थी उसकी मध्यस्थता आलोक रंजन पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार ने की। सत्र में उनके अलावा आयुष निगम, मुख्य कार्यपालक निदेशक डिस्टिंग होराइजन एवं सुधाकर तोमर, प्रबन्ध निदेशक, हाकान एग्रो थे।
उत्तर प्रदेश कई फसलों का अग्रणी उत्पादक
विशेषज्ञों ने बताया कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है एवं सकल घरेलू उत्पाद में 25 प्रतिशत का योगदान करता है और प्रदेश में कृषि को उच्च प्राथमिकता दी जाती है। उत्तर प्रदेश कई फसलों का अग्रणी उत्पादक भी है। प्रदेश में 9 कृषि जलवायु क्षेत्र हैं जिनकी जरूरतें अलग-अलग हैं और सरकार ने वहां कृषि आपूर्ति के लिए उचित व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी मृदा जमीन के अनुसार ही फसलों का चयन करना चाहिए एवं ज्यादा केमिकल खाद के उपयोग से बचना चाहिए।
फसलों के भंडारण की भी उचित एवं पर्याप्त व्यवस्था
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक 2020 या किसान बिल पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इससे किसानों को अपनी अपनी फसल का बेहतर मूल्य मुहैया कराया जा सकेगा। छोटे किसान यदि फारमर प्रोड्यूसर कम्पनियां बनाये तो उनको बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से बातचीत या समझौते करने में सहूलत होगी। सरकार ने फसलों के भंडारण की भी उचित एवं पर्याप्त व्यवस्था कर रखी है जिससे किसान सही समय पर अपनी फसल बेंचकर अधिक से अधिक मूल्य प्राप्त कर सके। इसके अलावा कृषि मशीनरी, उद्यमियों के लिए उपग्रह, इमेजिंग खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता एवं स्टाटअप के सन्दर्भ में भी चर्चा की गयी। कृषि में उद्यमिता को बढ़ावा देकर कृषि से जुड़े सभी लोगों को फायदा पहुँचाया जा सकता है।
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उत्तर प्रदेश में व्यापार को बढ़ावा
दूसरे सत्र का विषय "उत्तर प्रदेश में व्यापार को बढ़ावा" था जिसकी मध्यस्थता डा. आर.के. ओझा ने की एवं सत्र के अन्य वक्ता अनूप चन्द्र पाण्डेय, पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार, सुदीप गोयनका, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, सुभम गोल्डी मसाले एवं प्रदीप मिश्रा, मुख्य कार्यपालक निदेशक, रूद्राभिषेय इन्टरप्राइजेज थे। इस अवसर पर बोलते हुए पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टर समिटि का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।
सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री का कार्य नोएडा में शुरू
जिसके तहत 4 लाख 28 हजार करोड़ के निवेश पर हस्ताक्षर हुए। दो भूमिपूजन के बाद लगभग 2 लाख करोड़ की परियोजनाओं पर कार्य शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि जैसे सैमसंग ने अपनी सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री का कार्य नोएडा में शुरू किया है उसी तरह आईटीसी, पेप्सीको, कोको, वीवो, माइक्रोसाॅफ्ट आदि कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने प्रदेश में निवेश किया है। इस समिटि से प्रदेश में बिजनेस करना और सुलभ हो गया और ईस और डूइंग बिजनेस में प्रदेश 16वें से दूसरे स्थाना पर आ गया। उन्होंने बताया कि निवेशकों एवं उद्योगों की सहूलियत के लिए उद्योग बन्धु एवं निवेश मित्र जैसे सिंगल विन्डो सिस्टम की प्रदेश में शुरूआत करी गयी जिसके नतीजे बेहद उत्साहजनक है।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन एवं सूचना एवं प्रौद्यगिकी के ज्यादा से ज्यादा विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार अलग अलग क्षेत्रों के लिए उनके अनुकूल ही परियोजनायें बना रही है। जैसा कि बुन्देलखण्ड के लिए शौर्यउर्जा के उत्पादन एवं उपयोग पर ज्याद बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि लघु एवं कुटीर उद्योग हमेशा से ही प्रदेश के रीड़ की हड्डी रहे हैं अतः उनका विकास में विशेष योगदान है। श्री शुभम ने कहा कि प्रदेश में अगले 3 सालों में 21 हवाई एयरपोर्ट बनाने का प्रावधान है जिससे उत्तर प्रदेश की बाकी प्रदेशों एवं दूसरे देशों से आवागमन और बेहतर हो जायेगा जिससे उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा और उत्तर प्रदेश अवसरों का प्रदेश बन जायेगा।
प्रयागराज में आयोजित किये गये कुम्भ मेले की व्यवस्था का गुणगान
तीसरे सत्र का विषय "उत्तर प्रदेश मे उद्योग की अनुकूल परिस्थितियां" था। सत्र की मध्यस्थता संस्थान की निदेशक डा0 कविता पाठक थीं। इस अवसर पर बोलते हुए डा0 विजय के आनन्द, आईएएस ने 2019 में प्रयागराज में आयोजित किये गये कुम्भ मेले की से जुड़ी कई रोचक जानकारियां साझा करीं उन्होंने कहा कि कुम्भ के दौरान अत्याधुनियक टेन्टों से सुसज्जित कैसे एक विशालकाय शहर का ही निर्माण कर दिया जाता है। उन्होंने इस मेले के आयोजन में इस्तेमाल होने वाली टेक्नालोजियों पर भी प्रकाश डाला। भीड़ तथा ट्राफिक का संचालन कैसे नियमित रूप से किया जाता है यह भी छात्रों को बताया।
सचिन शर्मा, आईटीसी ने कहा कि कृषि एवं खाद्य संसाधन प्रदेश की महत्वपूर्ण पूंजी है प्रदेश की एक्पोर्ट पॉलिसी, कृषि पॉलिसीउद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हर प्रकार से अनुकूल है एवं विकास की असीमित संभावनाएं प्रदान करती है। अक्षय सिंघल, पार्टनर, अंशईनयन ने प्रदेश के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला जिसमें प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर एतिहासिक महत्तव, लघु एवं कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प, कुशल कारीगरों एवं औद्योगिक माहौल की सराहना की और कहा कि यह सब संसाधन प्रदेश को विकास की ओर ले जायेंगे।
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कौशल विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता
अन्तिम सत्र के मुख्य अतिथि रजत कठुरिया, निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी, इंडिया काउंसिल फार रिसर्च आन इन्टरनेशरल इकोनामिक रिलेसन्स ईसीआरआईईआर), अतुल चतुर्वेदी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अडानी ग्रुप एवं पंकज सिंह, निदेशक लेवीस्ट्रास एण्ड कम्पनी थे। इस अवसर पर बोलते हुए रजत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजनेस को बढ़ाने हेतु सभी पालिसियां सरकार द्वारा घोषित की गयी हैं परन्तु उनका उसी रूप में अनुपालन होना भी आवश्यक है। प्रदेश के पास युवाओं की संख्या का निश्चित लाभ है परन्तु इनके कौशल विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रदेश में उद्योग के लिए समस्त संसाधन मौजूद हैं। चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश हमेशा से कृषि उत्पादों में अग्रणी रहा है और अब यह विद्युत उत्पादन एवं सूचना प्रौद्योगिकी के दिशा में भी अग्रसर है। प्रदेश को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है इसके लिए प्रदेश की कानून और व्यवस्था को और मजबूत करना पड़ेगा। प्रदेश ने सिंगल विंडो सिस्टम को लागू करके निवेशकों एवं उद्योगपतियों को बड़ी राहत प्रदान की है।
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पंकज ने कहा कि प्रदेश के विकास में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का अहम योगदान होगा परन्तु उनकी सफलता विश्वास अखण्डता और आपसी सहानुभूति पर टिकी होती है। समारोह के अन्त में डा. अतहर महमूद, कान्फ्रेंस कन्वीनर ने सभी वक्ताओं और श्रोताओं को धन्यवाद भाषण देकर सभा समाप्त की।
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