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जाति प्रमाण पत्र फर्जी तो नियुक्ति स्वतः शून्यः हाईकोर्ट

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रमाकांत की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका पर संस्थान के अधिवक्ता रोहन गुप्ता एवं भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने प्रतिवाद किया। याची आईआईटी कानपुर में बस कंडक्टर नियुक्त किया गया था।

SK Gautam
Published on: 18 Nov 2019 2:03 PM GMT
जाति प्रमाण पत्र फर्जी तो नियुक्ति स्वतः शून्यः हाईकोर्ट
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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जाति प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा फर्जी घोषित कर लिया जाता है तो इस आधार पायी गई नियुक्ति स्वयं शून्य हो जाएगी। इसके लिए जरूरी नहीं है कि विभागीय जांच कराई जाए। ऐसे कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस देकर बर्खास्त किया जाना विधि के विपरीत नहीं है।

कोर्ट ने कहा है आईआईटी कानपुर द्वारा विभागीय अनुशासनिक जांच कार्रवाई कर याची की सेवा बर्खास्तगी किया जाना नियमों के विपरीत नहीं है और याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रमाकांत की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका पर संस्थान के अधिवक्ता रोहन गुप्ता एवं भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने प्रतिवाद किया। याची आईआईटी कानपुर में बस कंडक्टर नियुक्त किया गया था।

नियुक्ति स्वयं को अनुसूचित जाति मझवार के प्रमाण पत्र के आधार पर की गयी थी जिसकी शिकायत की गई। तहसीलदार द्वारा की गई जांच के बाद याची को केवट जाति का पाया गया जो कि पिछडे वर्ग में आता है। याची के जाति प्रमाणपत्र को गलत बताते हुए रद्द कर दिया गया। जिसके आधार पर विभागीय जांच कर आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर ने याची को बर्खास्त कर दिया ।

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इस आदेश का अनुमोदन इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाॅजी कानपुर के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन ने भी कर दिया। जिसे चुनौती दी गयी। कोर्ट ने कहा सक्षम प्राधिकारी द्वारा जाति प्रमाण पत्र गलत पाया गया है और उसे रद्द कर दिया गया है ,तो उसके आधार पर पाई गई नियुक्ति स्वतः शून्य हो जाएगी। ऐसे में आईआईटी कानपुर द्वारा की गयी बर्खास्तगी विधि सम्मत है।

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