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नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह गिरफ्तार, जानिए क्या है पूरा मामला 

सीबीआई के आरोप-पत्र में कहा गया है कि यादव सिंह ने अप्रैल 2004 से चार अगस्त, 2015 के बीच आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपये जमा किए, जो उनकी आय के स्रोत से लगभग 512.6 प्रतिशत अधिक है। यादव सिंह पर कुल 954 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है।

SK Gautam
Published on: 10 Feb 2020 3:50 PM GMT
नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह गिरफ्तार, जानिए क्या है पूरा मामला 
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गाजियाबाद: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन ने नोए़डा अथॉरिटी के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह को गिरफ्तार कर लिया। यादव सिंह के खिलाफ पहली बार 2015 में जांच शुरू हुई थी। बता दें कि नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सीबीआई ने 2016-17 में दो चार्जशीट तैयार की थी।

यादव सिंह पर कुल 954 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

बता दें कि सीबीआई के आरोप-पत्र में कहा गया है कि यादव सिंह ने अप्रैल 2004 से चार अगस्त, 2015 के बीच आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपये जमा किए, जो उनकी आय के स्रोत से लगभग 512.6 प्रतिशत अधिक है। यादव सिंह पर कुल 954 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है। जनवरी 2018 में सीबीआई ने उस मामले में जांच शुरू की थी जब यादव सिंह चीफ इंजीनियर थे तब 5 प्राइवेट फर्म्स को कुल 116.39 करोड़ का टेंडर जारी हुआ था। सीबीआई इस मामले में जांच कर रही है।

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इसके कारण इन दिनों वह जेल से बाहर चल रहा है। ऐसे में अब सीबीआइ की टीम यादव सिंह से पूछताछ कर उसे जल्द ही कोर्ट में पेश कर सकती है।

सीबीआइ टीम ने ऐसे किया गिरफ्तार

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत में सोमवार को नोएडा टेंडर घोटाले से जुड़े एक केस में सुनवाई होनी तय थी, जिसके चलते यादव सिंह पत्नी कुसुमलता के साथ कोर्ट में पेशी पर आया था। वहीं, वकीलों की हड़ताल होने के चलते केस की सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद वह घर लौटने लगा, तभी नीचे खड़ी दिल्ली ब्रांच की सीबीआइ टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया और पत्नी को बताया कि सीबीआइ को एक अन्य मामले में पूछताछ करनी है। इसके बाद सीबीआइ की टीम उसे लेकर चली गई है, जोकि जल्द ही पूछताछ के बाद उसे अदालत में पेश करेगी।

गलत तरीके से टेंडर जारी किए थे

आरोप है कि वर्ष 2007 से 2012 के बीच यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण में मुख्य अभियंता के तौर पर तैनात था। इस बीच उसने 29 निजी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर स्वीकृत किए। इनमें कई फर्म ऐसी थी, जोकि उसके परिवार के सदस्यों और दोस्त संजय कुमार के नाम रजिस्टर्ड थी। आरोप है कि यादव सिंह ने फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें गलत तरीके से टेंडर जारी किए थे। इस मामले में सीबीआइ की दिल्ली ब्रांच ने हाईकोर्ट के आदेश पर 17 जनवरी 2018 को यादव सिंह, संजय कुमार समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

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अगस्त 2015 में एफआईआर दर्ज किया गया था

बता दें कि नवंबर 2014 को सीबीआइ ने पहली बार यादव सिंह के घर छापेमारी की थी। इसके बाद फरवरी 2015 को यूपी सरकार ने उन्हें निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। जुलाई 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने 954.38 करोड़ रुपये के घोटाले के संबंध में अगस्त 2015 को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। वहीं, इन मामलों में यादव सिंह व उसके परिवार के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से अक्टूबर 2019 में जमानत मिल चुकी है।

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