एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड: केंद्रीय कृषि मंत्री बोले- अन्य राज्य भी अपनाएं यूपी माॅडल

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान केन्द्र सरकार ने कृषि कार्याें को छूट दी थी।

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Published on: 27 Aug 2020 3:42 PM GMT
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड: केंद्रीय कृषि मंत्री बोले- अन्य राज्य भी अपनाएं यूपी माॅडल
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एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड: केंद्रीय कृषि मंत्री बोले- अन्य राज्य भी अपनाएं यूपी माॅडल

लखनऊ: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान केन्द्र सरकार ने कृषि कार्याें को छूट दी थी। इसके चलते कृषि की अच्छी पैदावार हुई है। उन्होंने कहा कि फसलों की कटाई के बाद प्रोसेसिंग की सुविधा न होने से किसानों को काफी नुकसान होता है। किसानों की उपज बढ़ाने के लिए और अधिक कृषि अवस्थापना सुविधाएं सृजित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री द्वारा एक लाख करोड़ रुपए के कृषि निवेश पैकेज की घोषणा की गई थी।

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उन्होंने कहा कि सभी राज्य इस पैकेज के तहत उपलब्ध कराई गई धनराशि का उपयोग अपने-अपने राज्यों में कृषि अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए करें। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा अपनाए गए माॅडल की प्रशंसा करते हुए अन्य राज्यों को इसे अपनाने का सुझाव दिया।

लाॅकडाउन और अनलाॅक के दौरान किसानों का पूरा ध्यान रखा

आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य सरकार ने कोविड लाॅकडाउन और अनलाॅक के दौरान किसानों का पूरा ध्यान रखा, जिसके चलते प्रदेश में कृषि कार्यों में कोई दिक्कत नहीं आयी। कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार द्वारा लाॅकडाउन घोषणा के समय उत्तर प्रदेश में राई, सरसों, चना, मटर, मसूर आदि फसलों की कटाई, मड़ाई का कार्य पूर्ण हो चुका था। आत्म निर्भर भारत कार्यक्रम के तहत केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों से संवाद स्थापित किया गया, जिसका लाभ राज्यों की सरकारों को मिला।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड के सम्बन्ध में आयोजित वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन का प्रभाव गेहूं की कटाई, मड़ाई के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ सकता था, परन्तु राज्य सरकार ने लाॅकडाउन के दौरान कृषि कार्यों को करने की अनुमति दी, जिससे कोई कठिनाई उत्पन्न नहीं हुई।

केन्द्रों तक खाद्यान्नों के परिवहन की अनुमति दी गयी

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गेहूं की कटाई, मड़ाई के लिए 4,774 और हारवेस्टर 5,153 रीपर संचालित किए गए। साथ ही, अन्य राज्यों से हारवेस्टर एवं रिपरों को प्रदेश में प्रवेश की अनुमति दी गई, जिससे गेहूं एवं अन्य रबी फसलों की कटाई, मड़ाई समय एवं सुगमता से सम्पन्न हुई। किसानों द्वारा रबी से उत्पादित फसलों की खरीद के लिए 5,953 सरकारी क्रय केन्द्र खोले गये एवं क्रय केन्द्रों तक खाद्यान्नों के परिवहन की अनुमति दी गयी।

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इन सरकारी क्रय केन्द्रों से 35.77 लाख टन गेहूं, 38,717 मीट्रिक टन चना तथा 319 मीट्रिक टन सरसों की खरीद हुई। दलहन की खरीद गत वर्ष में कुल खरीद 2,362 मीट्रिक टन खरीद से 16 गुना अधिक रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि 5-5 हजार मीट्रिक टन क्षमता के 37 भण्डार गृहों (गोदामों) का निर्माण राज्य भण्डारण निगम द्वारा मण्डी परिषद से प्राप्त निःशुल्क भूमि पर कराया जा रहा है। इन गोदामों में 10 प्रतिशत स्थान किसानों को उनके उत्पादों के भण्डारण के लिए आरक्षित कराया जायेगा। कृषकों के लिए 30 दिन तक भण्डारण निःशुल्क होगा और 30 दिन से अधिक भण्डारण करने पर शुल्क में 30 प्रतिशत छूट दी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन गोदामों में अपना कृषि उत्पादन रखकर काश्तकार एक गोदाम रसीद प्राप्त करेगा। यदि वह चाहे तो इस गोदाम रसीद के आधार पर अपनी उपज के बाजार मूल्य की लगभग 80 प्रतिशत समतुल्य धनराशि तक उप्र कोऑपरेटिव बैंक एवं जिला सहकारी बैंक एवं अन्य व्यवसायिक बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकेगें।

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