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अध्यक्ष चैधरी लौटन राम निषाद ने परशुराम की मूर्ति स्थापना को लेकर दिया ये बयान
समाजवादी पार्टी द्वारा परशुराम की मूर्ति लगवाये जाने पर अब पार्टी में ही विरोधी स्वर उठने लगे है।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी द्वारा परशुराम की मूर्ति लगवाये जाने पर अब पार्टी में ही विरोधी स्वर उठने लगे है। सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष चैधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि परशुराम ब्राह्मण समाज के पूर्वज है न कि पिछड़े दलित वर्ग के और राष्ट्र निर्माण, सामाजिक न्याय व पिछड़ा-दलित वर्ग के उद्धारक के रूप में इनका कोई कार्य नहीं रहा है। निषाद का कहना है कि परशुराम प्रतिमा की स्थापना सपा का एजेण्डा नहीं है बल्कि समाजवादी पार्टी से जुड़े परशुराम के कुछ वंशज इनकी प्रतिमा स्थापना के काम जुटे हुए हैं।
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लौटनराम निषाद ने जारी बयान में कहा है
लौटनराम निषाद ने गुरुवार को जारी बयान में कहा है कि राजधानी लखनऊ में परशुराम प्रतिमा की स्थापना को लेकर संघ परिवार पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक वर्ग को भ्रमित करने के षड़यंत्र में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि आरएसएस, पिछड़ों, दलितों की सपा के प्रति होती एक जुटता को देखकर परेशान हो गया है और छल कपट, झूठ फरेब की राजनीति को तूल देकर इन्हें भ्रमित करने के षड़यंत्र में जुटा हुआ है। निषाद ने कहा कि भाजपा व कांग्रेस के डीएनए में पिछड़े वर्ग के लिए न्याय का कोई अंश नहीं है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस का गठन ही आरक्षण, सामाजिक न्याय व व्यस्क मताधिकार के विरूद्ध हुआ है। काका कालेलकर आयोग की सिफारिश को लागू होने से रोकने के लिए ही अटल बिहारी बाजपेयी ने जनता पार्टी सरकार से अपने सभी जनसंघ समर्थित संासदों का समर्थन वापस लेकर सरकार को अल्पमत में ला दिया। इसी तरह मण्डल कमीशन के तहत जब राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने 07 अगस्त, 1990 को 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण कोटा देने का निर्णय लिया तो एक बार फिर भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए आडवाणी को राम रथ पर सवार कर अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा उछाल दिया।
मण्डल कमीशन विरोधी भाजपा कभी पिछड़े वर्ग की हितैशी नहीं हो सकती
उन्होंने कहा कि मण्डल कमीशन विरोधी भाजपा कभी पिछड़े वर्ग की हितैशी नहीं हो सकती। इसी तरह कांग्रेस ने भी 2011 की जनगणना में ओबीसी जातिगत जनगणना कराने का वादा किया था। परन्तु जब जनगणना कार्य शुरू हुआ तो जनगणना प्रारूप में ओबीसी का कालम ही नहीं रखा गया।
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उन्होंने कहा कि आरक्षण के जनक छत्रपति शाहू जी महाराज, पिछड़े, दलित के साथ सभी वर्ग की महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने वाले ज्योतिबा फूले, प्रथम राष्ट्र शिक्षिका माता सावित्री बाई फूले, व्यस्क मताधिकार दिलाने वाले राम चरण लाल निषाद एडवोकेट, राम प्रसाद अहिर, मण्डल मसीहा बिन्देश्वरी प्रसाद मण्डल, जन नायक कर्पूरी ठाकुर, पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए प्रथम संविधान संशोधन कराने वाले पेरियार ईवी रामा स्वामी नायकर, भारत की प्रथम विद्रोही महिला वीरांगना फूलन देवी, स्वामी ब्रह्मानन्द लोधी आदि पिछड़ा-दलित वर्ग के मुक्तिदाता व उद्धारक हैं।
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