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आईटीआई अनुदेशक सेवा नियमावली-2014 की वैधता को चुनौती
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उ.प्र. राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ( आईटीआई) अनुदेशक सेवा नियमावली 2014 के नियम 9(बी) व 15(3) की वैधता की चुनौती याचिका पर 28 अगस्त को महाधिवक्ता को राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए बुलाया है।
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उ.प्र. राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ( आईटीआई) अनुदेशक सेवा नियमावली 2014 के नियम 9(बी) व 15(3) की वैधता की चुनौती याचिका पर 28 अगस्त को महाधिवक्ता को राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए बुलाया है।
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इसी दिन याचिका निस्तारित कर दी जायेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बेरोजगार औद्योगिक कल्याण समिति व 39 अन्य की याचिका पर दिया है।
याचिका में 7 नवम्बर 14 को जारी 2498 अनुदेशकों की भर्ती विज्ञापन को भी रद्द किए जाने की मांग की गयी है। याची अधिवक्ता का कहना है कि 1991 की नियमावली में अनुदेशक पद पर नियुक्ति के लिए सी.टी. आई. डिग्री अनिवार्य थी। जिसे 2005 में एक्षिक कर दिया गया। जिसे चुनौती दी गयी।
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कोर्ट ने रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश की पुष्टि कर दी गयी। इसके बावजूद भर्ती विज्ञापन में सीटीआई को एक्षिक कर अन्य डिप्लोमा व डिग्री धारकों को भी आवेदन भरने की अनुमति दी गयी है।
जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। 2014 की नियमावली में नियुक्ति के बाद 3 साल में सी.टी.आई. प्रशिक्षण की छूट दी गयी, और कहा गया कि जो 3 सालों में प्रशिक्षण पास नहीं कर सकेंगे उन्हें वेतन वृद्धि नहीं मिलेगी।
याची का कहना है कि जब प्रशिक्षित योग्य लोग उपलब्ध है तो अयोग्य लोगों की नियुक्ति करना उनके अधिकारों का हनन है। याचिका की सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
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