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Loksabha Chunav 2024: आसान नहीं INDIA गठबंधन की राह, सामने बड़ी चुनौतियां, जानिए क्या हैं ताज़ा समीकरण

Loksabha Chunav 2024: जैसा कि सियासी गलियारों में कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से ही होकर गुजरता है। इस बार भी दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी यह यूपी ही तय करेगा, जिस पार्टी को यूपी में अधिक सीट मिलेगी वह लोकसभा चुनाव में अपनी बढ़त बनाते हुआ दिखेगा।

Anant Shukla
Published on: 27 Aug 2023 5:09 PM IST (Updated on: 27 Aug 2023 5:27 PM IST)
Loksabha Chunav 2024: आसान नहीं INDIA गठबंधन की राह, सामने बड़ी चुनौतियां, जानिए क्या हैं ताज़ा समीकरण
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Challenges of INDIA alliance in UP

Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2023 से पहले एनडीए को चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन बनकर तैयार है। जैसा कि सियासी गलियारों में कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से ही होकर गुजरता है। इस बार भी दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी यह यूपी ही तय करेगा, जिस पार्टी को यूपी में अधिक सीट मिलेगी वह लोकसभा चुनाव में अपनी बढ़त बनाते हुआ दिखेगा। क्योंकि लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने 73 सीट जीती जबकि 2019 में 64 सीट और पूर्ण बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। अब ऐसे में फिर से एक बार यूपी की चर्चा हो रही है क्योंकि उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा प्रमुख अखिलेश यादव पीडीए की बात कर रहे हैं इंडिया गठबंधन की बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं 2017 के बाद अब एक बार फिर अखिलेश यादव राहुल गांधी के साथ चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं।

इंडिया गठबंधन की यूपी में चुनौती

यह पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले भी विधानसभा चुनाव-2017 में कांग्रेस और सपा साथ में चुनाव लड़ चुकी है। नतीजा कुछ खास नहीं रहा था, जहां समाजवादी पार्टी को 47 सीट मिली वहीं कांग्रेस को 19 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। इस प्रकार दोनों पार्टियां 100 सीटों के अंदर ही सीमट कर रह गई। इसके बाद अखिलेश और राहुल की दोस्ती टूट गई। 2019 में अखिलेश यादव बसपा के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरे। लेकिन इसका भी परिणाम कुछ खास नहीं रहा। इस चुनाव में बसापा को 10 और सपा को पांच सीट मिली। 2022 विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने ओमप्रकाश राजभर और आरएलडी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा लेकिन सपा को 111, सुहेलदेव समाज पार्टी को 6 और आरएलडी को महज 8 सीट मिली। इस प्रकार सपा गठबंधन को मात्र 125 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस बार भी लोकसभा चुनाव में तीन पार्टियों का गठबंधन-कांग्रेस, सपा और आरएलडी बनता नजर आ रहा है। लेकिन पिछले सभी चुनाव में इन पार्टियों को कुछ खास प्रदर्शन नहीं रहा।

जयंत पर सस्पेंस कायम

जयंत को लेकर अभी भी सस्पेंस कायम है। पिछले काफी दिनों से चर्चा है कि जयंत चौधरी और अखिलेश यादव में कुछ खास नहीं चल रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में कई बार मंच पर जयंत अकेले ही नजर आए थे। पार्टी पदाधिकारियों नें अखिलेश यादव पर नजरअंदाज करने का आरोप लगा सपा से अपने आप को हटा लिया था। ऐसे में आरएलडी को इंडिया में बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि पांच से छह सीटों पर आरएलडी का अच्छा प्रभाव है।

मायावती फैक्ट

2012 के बाद से बसपा का ग्राफ लगातार गिरता ही जा रहा है। पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ो को देखने से पता चलता है कि बसपा इस समय दयनीय स्थित में है। विधानसभा चुनाव 2022 में सीर्फ एक सीट पर ही चुनाव जीती थी। इससे पहले सपा से गठबंधन के चलते लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा 10 लोकसभा सीट जीती थी। लेकिन अबकी बारी मायावती ने ऐलान कर दिया है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे। किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। सपा के साथ खड़े चंद्रशेखर रावण का भी अभी एक दो सीटों को छोड़ कर दलितों में ज्यादा प्रभाव नहीं है। ऐसे में इंडिया गठबंधन के सामने सभी विपक्षी पार्टियों को संगठित करना एक बड़ी चुनौती है।

21 सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी

प्रदेश में कांग्रेस की स्थित दयनीय बनी हुई है। लोकसभा चुनाव में अमेठी की सीट भी गंवानी पड़ी थी। सीर्फ एक सीट (रायबरेली लोकसभा सीट) जीत सकी। इस समय एक-सीटों को छोड़कर बाकी अन्य सीटों पर कांग्रेस की कोई मजबूत पकड़ नहीं है। ऐसे में कांग्रेस उन 21 सीटों पर दावा कर रही है, जिन सीटों पर 2009 में जीत कर केन्द्र में सरकार बनाई थी। इन सीटों में अमेठी, रायबरेली, डुमरियागंज, महाराजगंज जैसे कई अन्य लोकसभा सीट हैं।



Anant Shukla

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