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Lok Sabha Election 2024: INDIA के घटक दलों की एकजुटता पर सवाल, लोकसभा चुनाव में दोस्ती मगर विधानसभा में जंग
India Alliance: विभिन्न राज्यों में घटक दलों के बीच राज्य स्तर की राजनीति में काफी खींचतान भी देखने को मिल रही है। पश्चिम बंगाल में तो इन घटक दलों ने एक-दूसरे के ही खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब पांच राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में भी घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आ रहे हैं।
Lok Sabha Election 2024: भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों ने इंडिया नामक गठबंधन तो बना लिया है मगर इस गठबंधन में शामिल घटक दलों की एकजुटता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। घटक दलों की ओर से देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए के खिलाफ एकजुटता से लड़ाई लड़ने का दावा तो किया जा रहा है मगर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकते हुए नजर आ रहे हैं।
विभिन्न राज्यों में घटक दलों के बीच राज्य स्तर की राजनीति में काफी खींचतान भी देखने को मिल रही है। पश्चिम बंगाल में तो इन घटक दलों ने एक-दूसरे के ही खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब पांच राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में भी घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आ रहे हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि 2024 की सियासी जंग के दौरान यह एकजुटता कहां तक कायम रह पाती है।
छत्तीसगढ़ और एमपी में आप ने बढ़ाई मुसीबत
छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर सत्ता की बाजी जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। दूसरी ओर भाजपा ने भी चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही 21 उम्मीदवारों की घोषणा करके अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। इंडिया के घटक दल आम आदमी पार्टी ने भी छत्तीसगढ़ में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अभी हाल में अपने छत्तीसगढ़ दौरे के समय पार्टी की ओर से 10 गारंटियों का ऐलान किया था।
उनका कहना था कि आपने बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों को मौका देकर देख लिया है और ऐसे में अब आप को समर्थन देकर आजमाने की जरूरत है। उनका कहना था कि दिल्ली और पंजाब में आप सरकारें काफी बेहतर ढंग से काम कर रही हैं और अब वैसे ही स्थिति छत्तीसगढ़ में भी दिख सकती है।
आप ने छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्य प्रदेश में भी सह प्रभारी की नियुक्ति कर दी है। आम आदमी पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना की कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे मगर पार्टी को किसी भी सीट पर कामयाबी नहीं मिल सकी थी।
लोकदल और सपा भी चुनाव लड़ने को तैयार
आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि इंडिया के और घटक दल भी विधानसभा चुनाव के दौरान एक-दूसरे से टकराते हुए दिख रहे हैं। राष्ट्रीय लोकदल भी राजस्थान के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से उतरने की कोशिश में जुटा हुआ है और इस सिलसिले में राज्य कार्यकारिणी और जिलाध्यक्षों की अगले महीने बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी हिस्सा लेंगे। 2018 के चुनाव में रालोद ने राजस्थान की एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी का कहना है कि पार्टी राजस्थान की ऐसी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जहां पार्टी को अपनी स्थिति मजबूत दिख रही है। समाजवादी पार्टी ने भी मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। 2018 के चुनाव में पार्टी ने 52 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि पार्टी को सिर्फ एक सीट पर कामयाबी मिल सकी थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर उस समय पार्टी को किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी।
कांग्रेस ने दिया यह तर्क
वैसे इंडिया के घटक दलों की ओर से विभिन्न राज्यों में प्रत्याशी उतारने के ऐलान से कांग्रेस ज्यादा चिंतित और परेशान नजर नहीं आ रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इंडिया गठबंधन बनाया गया है और लोकसभा चुनाव के दौरान घटक दलों के बीच पूरी तरह एकजुटता कायम रहेगी। एनडीए उम्मीदवारों के खिलाफ गठबंधन की ओर से एक साझा उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर जाएगा।
बघेल ने कहा कि यदि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन बनाया गया होता तो उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से संकेत जरूर किया जाता।
कांग्रेस को हो सकता है सियासी नुकसान
कांग्रेस के चुनाव रणनीतिकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भले ही घटक दलों की ओर से अपने प्रत्याशी उतारे जाएं मगर घटक दलों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ सीखे हमले करने से परहेज जरूर करेंगे। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है और ऐसे में घटक दलों के लिए इन तीन राज्यों में चुनावी संभावनाएं काफी कम हैं।
दूसरी ओर सियासी जानकारी का मानना है कि घटक दल कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाकर उसे सियासी नुकसान पहुंचा सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने गुजरात, गोवा और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की थी।
गुजरात में तो आप ने 13 फ़ीसदी वोट हासिल करके कांग्रेस को बड़ा सियासी नुकसान पहुंचा था। यह भी एक बड़ा कारण था जिसकी वजह से भाजपा गुजरात में ऐतिहासिक जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी।