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Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल में INDIA के घटक दलों में घमासान, मुंबई बैठक से पहले एक-दूसरे के खिलाफ खोला मोर्चा
Lok Sabha Election 2024: सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस और वामदलों की पटरी बैठती नहीं दिख रही है। ऐसे में अब सबकी निगाहें मुंबई में 31 अगस्त और एक सितंबर को होने वाली विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक पर लगी हुई है।
Lok Sabha Election 2024: विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के घटक दलों के बीच पश्चिम बंगाल में घमासान छिड़ा हुआ है। देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में इन घटक दलों के बीच एकजुटता का कोई फार्मूला नजर नहीं आ रहा है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस और वामदलों की पटरी बैठती नहीं दिख रही है। ऐसे में अब सबकी निगाहें मुंबई में 31 अगस्त और एक सितंबर को होने वाली विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक पर लगी हुई है।
इस बैठक से पूर्व टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में कम से कम लेफ्ट के साथ किसी भी प्रकार के चुनावी गठजोड़ से इनकार कर दिया है। हालांकि कांग्रेस ने उम्मीद जताई है कि मुंबई बैठक के दौरान भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की रूपरेखा तैयार हो जाएगी मगर पश्चिम बंगाल में यह काम काफी मुश्किल माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि बंगाल में घटक दलों के बीच काफी विरोधाभास नजर आ रहा है और घटक दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी अभी तक बंद नहीं की है।
पश्चिम बंगाल में गठबंधन संभव नहीं
दरअसल पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि दिल्ली व पंजाब के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे चुनावी राज्यों में भी घटक दलों के बीच खींचतान देखने को मिल रही है। पिछले दिनों दिल्ली और पंजाब की लोकसभा सीटों को लेकर आप और कांग्रेस के बीच जबर्दस्त बयानबाजी हुई थी। ऐसे ही सियासी हालात पश्चिम बंगाल में भी बने हुए हैं।
विपक्षी दलों की मुंबई बैठक से पहले टीएमसी के वरिष्ठ नेता सौगत राय ने महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में पश्चिम बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस व वाम दलों के बीच गठबंधन संभव नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ तो गठबंधन किसी तरह संभव भी हो सकता है मगर वाम दलों के साथ किसी भी प्रकार का गठबंधन किया जाना संभव नहीं है।
हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि मुंबई बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल समेत उन राज्यों में एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की रूपरेखा तैयार की जाएगी जिन राज्यों में घटक दलों के बीच खींचतान का दौर दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने वामदलों के साथ गठबंधन किया था मगर टीएमसी ने अपने दम पर चुनाव लड़ते हुए बड़ी जीत हासिल की थी।
कांग्रेस का भाजपा के खिलाफ एकजुटता पर जोर
दूसरी ओर कांग्रेस ने इस बात की उम्मीद जताई है कि मुंबई बैठक के दौरान भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की रणनीति तय की जाएगी। कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य दीपा मुंशी ने कहा कि हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि इंडिया के घटक दलों के बीच विरोधाभास दिख रहा है मगर इसके साथ ही यह भी कहा कि एक बड़े और महान उद्देश्य के लिए विपक्षी दल एक मंच पर आए हैं और उन्होंने भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है।
कांग्रेस ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। भाजपा ने विपक्षी दलों के बीच खींचतान का फायदा उठाते हुए यह कामयाबी हासिल की थी। ऐसी स्थिति में पश्चिम बंगाल के सभी विपक्षी दलों का मकसद एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का होना चाहिए ताकि भाजपा की हार पूरी तरह सुनिश्चित हो सके।
घटक दलों के बीच दिख रहा विरोधाभास
इस बीच सीपीएम ने कहा है कि हमें घटक दलों के बीच विभिन्न राज्यों में विरोधाभास की स्थिति को समझना होगा। माकपा नेता हन्नान मोल्ला ने कहा कि इन विरोधाभासों पर विचार करते हुए हमें भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ने की रणनीति तैयार करनी होगी।
माकपा नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल, केरल, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में अलग-अलग सियासी समीकरण दिख रहे हैं। ऐसे में हमें अंतर्विरोधों को दूर करते हुए भाजपा के खिलाफ एकजुटता की रणनीति पर चर्चा करनी होगी।
टीएमसी ने कांग्रेस और लेफ्ट को घेरा
सियासी जानकारों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में चल रही इस खींचतान के कारण राज्य में विपक्षी दलों के बीच एकजुटता की संभावना नहीं दिख रही है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान टीएमसी ने राज्य की 23 की सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी और इस बार ममता की अगुवाई में पार्टी अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश में जुटी हुई है। राज्य में इंडिया के घटक दलों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयान देने में जुटे हुए हैं।
टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुखेंदु शेखर रे ने कहा कि कांग्रेस और सीपीएम को अपनी भूमिका देखनी चाहिए। सच्चाई तो यह है कि इन दोनों दलों की भूमिका काफी दुर्भाग्यपूर्ण और विपक्षी एकजुटता के लिए हानिकारक है। घटक दलों के बीच चल रही इस खींचतान के बाद अब सबकी निगाहें मुंबई बैठक पर लगी हुई हैं और माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान 2024 में भाजपा को पटखनी देने के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाएगी।