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प्रशासन लापरवाह: बच्चों को नहीं मिल रहा मिड डे मिल, शिक्षकों ने उठाया ये कदम

कार्य और बढ़ जाने से कागजी कार्रवाई भी बढ़ गई। उधर बच्चे और उनके अभिभावक खाद्यान्न व परिवर्तन लागत की धनराशि का इंतजार कर रहे हैं। उनका इंतजार लंबा होता जा रहा है।

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Published on: 16 July 2020 11:27 AM GMT
प्रशासन लापरवाह: बच्चों को नहीं मिल रहा मिड डे मिल, शिक्षकों ने उठाया ये कदम
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झाँसी। कोरोना काल में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चे खाद्य सुरक्षा भत्ते के अंतर्गत मिलने वाले मिड डे मील के खाद्यान्न और परिवर्तन लागत (कन्वर्जन कास्ट) की राह ताक रहे हैं। बच्चों को न तो अभी तक अन्न का दाना मिला है और न ही उनके अभिभावकों के खाते में पैसे पहुंचे हैं। बच्चे और उनके अभिभावक स्कूलों में पहुंचकर शिक्षकों से पूछते हैं तो यही जवाब मिलता है कि कागजी कार्य चल रहा है जल्द ही पैसे खाते में पहुंच जाएंगे। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि 50 प्रतिशत से अधिक बच्चों की धनराशि स्कूलों के एमडीएम खाते में भेज दी गई है। शेष धनराशि भी शीघ्र ही आ जाएगी।

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सरकारी स्कूलों में भी ताले लटक गए

कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जब पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तो सरकारी स्कूलों में भी ताले लटक गए थे। प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन एवं ग्रीष्म अवकाश के दिनों को मिला कर कुल 76 दिनों का मिड डे मील का खाद्यान्न और उसकी परिवर्तन लागत बच्चों को देने की घोषणा की थी। इसके लिए शिक्षकों को निर्देशित किया गया था कि वे बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते का विवरण एकत्रित कर लें। शिक्षकों ने कई दिनों तक गांव की गलियों में घर-घर घूमकर खाता नम्बर एकत्रित किए। उन्हें लगा कि कार्य पूरा हो गया है कि तभी अधिकारियों ने आधार नम्बर भी जुटाने के निर्देश जारी कर दिए। शिक्षकों को दोबारा घर-घर की खाक छाननी पड़ी।

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धनराशि किस्तों में खातों में भेजी जा रही

कार्य और बढ़ जाने से कागजी कार्रवाई भी बढ़ गई। उधर बच्चे और उनके अभिभावक खाद्यान्न व परिवर्तन लागत की धनराशि का इंतजार कर रहे हैं। उनका इंतजार लंबा होता जा रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि विभाग द्वारा स्कूलों के एमडीएम खाते में सभी बच्चों की धनराशि एकमुश्त हस्तांतरित नहीं करने से विलम्ब हो रहा है। धनराशि किस्तों में खातों में भेजी जा रही है। प्रथम किस्त में बहुत कम बच्चों का पैसा भेजा गया। कुछ दिनों बाद भेजी गई द्वितीय किस्त में लाभार्थियों की संख्या बढ़ी पर दोनों किस्तों को मिलाकर भी बमुश्किल 50 प्रतिशत बच्चों की धनराशि ही स्कूलों के खाते में भेजी गई है। शिक्षकों का कहना है कि सभी बच्चों की धनराशि खाते में आते ही बच्चों के अभिभावकों के खाते में हस्तांतरित करने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

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प्राथमिक स्तर के बच्चों को 561 रुपए मिलेंगे

स्कूल के प्रधानाध्यापक एमडीएम खाते की चेक और लाभार्थी बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते के विवरण की सूची बैंक में जमा कर देंगे। इसके बाद बैंक द्वारा एनईएफटी के माध्यम से धनराशि लाभार्थियों के खाते में भेज दी जाएगी। प्राथमिक स्तर के बच्चों को 374 एवं उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों को 561 रुपए मिलेंगे। प्रधानाध्यापकों का कहना है कि किस्तवार पैसा भेजने से असहज स्थिति उत्पन्न हो सकती है क्योंकि जिन बच्चों को पैसा नहीं मिलेगा वे शिक्षकों पर आरोप लगाने लगेंगे। इस स्थिति से बचने के लिए शिक्षक सभी बच्चों का पैसा स्कूल के खाते में आने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही वे बैंक में सूची और चेक जमा करेंगे।

वहीं खाद्यान्न हेतु प्राधिकार पत्र भर कर बच्चों को जल्द दिए जाएंगे जिससे बच्चे कोटेदार से खाद्यान्न प्राप्त कर सकेंगे। प्राथमिक स्तर के बच्चों को 7.60 किग्रा एवं उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों को 11.40 किग्रा खाद्यान्न दिया जाएगा।

रिपोर्टर- बी के कुशवाहा, झाँसी

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