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Chitrakoot News: धर्मनगरी चित्रकूट के परिक्रमा पथ में बेलगाम अतिक्रमणकारियों ने पर्वत में निर्माण कर खोल दिए दरवाजे
Chitrakoot News: वन विभाग ने पर्वत की तरफ सीमांकन के साथ तार-खंभे लगवाए थे, ताकि कोई उनकी जमीन में कब्जे न कर सके। लेकिन महकमे के ही जिम्मेदारों ने इस तरह दरियादिली दिखाई कि चंद सिक्कों में पर्वत का सौदा करने से नहीं चूके।
Chitrakoot News: कामदगिरि परिक्रमा मार्ग यूपी-एमपी दोनों के हिस्से में है। पर्वत की तरफ वन तो दूसरी तरफ आबादी के साथ ही राजस्व व ग्राम सभा की सरकारी जमीनें भी है। वन विभाग ने पर्वत की तरफ सीमांकन के साथ तार-खंभे लगवाए थे, ताकि कोई उनकी जमीन में कब्जे न कर सके। लेकिन महकमे के ही जिम्मेदारों ने इस तरह दरियादिली दिखाई कि चंद सिक्कों में पर्वत का सौदा करने से नहीं चूके। वन विभाग और प्रशासन अतिक्रमण हटाने के नाम पर झुग्गी-झोपडियों व टीन-टप्पर हटाकर महज दिखावा करता रहा और अतिक्रमणकारी पर्वत की तरफ बेधड़क पक्का निर्माण कराते चले गए। इसके लिए पर्वत की तरफ वन विभाग के तार व खंभे तोड़ दिए गए। उनको पीछे करके कब्जे हो गए।
हालत यह है कि खोही में दो से तीन खंडीय मकान बनाने के साथ ही पर्वत की तरफ लोगों ने दरवाजा लगवाकर निकास कर लिया है। इसी निकास के जरिए अब वह आगे भी कब्जा बढ़ाने का प्रयास करेंगे। अभी पिछले साल ही प्रदेश सरकार ने खोही में परिक्रमा मार्ग संकरा होने की वजह से चौड़ीकरण का प्लान बनाया था। जिसमें 18 लोगों को करीब डेढ़ करोड से अधिक की धनराशि मुआवजे के तौर पर दी गई है। हद इस बात की है कि मुआवजे में मिली इसी रकम से अतिक्रमणकारी पर्वत की तरफ बढ़ गए और नया निर्माण करा लिया। इनके मकानों में निर्माण चलता रहा और जिम्मेदारों के नुमाइंदे तमाशा देखते रहे।
कामदनाथ पर्वत पर किया जा रहा भैंस पालन
धर्मनगरी में पांच दिवसीय दीपदान मेला के दौरान श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। उस दौरान खोही के पास परिक्रमा मार्ग संकरा होने के कारण श्रद्धालुओं को निकलने में दिक्कतें होती है। पिछले वर्ष तत्कालीन डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने भरत मिलाप मंदिर से कामदनाथ पर्वत के किनारे-किनारे सीधे बरहा हनुमान मंदिर के करीब नया रास्ता निकालने की योजना बनाई थी। लेकिन इन अतिक्रमणकारियों ने यह कहकर विरोध किया था कि कामदनाथ के ऊपर से कैसे रास्ता बन सकता है। लेकिन खुद यही अतिक्रमणकारी पर्वत में कब्जे कर भैंस, गाय आदि बांध रहे है।
एक-दूसरे की देखा-देखी बनवा डाले शौचालय
स्थाई तौर पर अतिक्रमण कर पक्के मकान बनाने वाले जिम्मेदारों की मिलीभगत से एक-दूसरे को देखते हुए ईष्र्या में कामदनाथ पर्वत पर लगातार बढ़ते जा रहे है। बताते हैं कि इनमें ज्यादातर लोगों ने खोही में परिक्रमा मार्ग से हटकर अपने मकान भी बना रखे है। लेकिन परिवार सहित अतिक्रमण कर बने मकानों में ही रह रहे है। इनमें ज्यादातर लोगों ने कामदनाथ पर्वत की तरफ शौंचालय भी बनवा लिए है। कई मठ-मंदिरों में भी शौंचालयों का निर्माण करा लिया गया है। सूत्रों की मानें तो मठ-मंदिरों में परिवार सहित रहने वाले लोगों ने अपनी सुविधा के लिए ऐसा किया है।