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बुझे चेहरों पे ला दी रौनक, शबीना पढ़ न सकने की मायूसी यूं दूर की कारी ने

आपको बतादे के हर साल शाही जामा मस्जिद में पिछले 40 वर्षों से क़ारी शफीक शाबिने मैं क़ुरान सुनाते थे। इस लॉक डॉउन होने मेरठ की सबसे बड़ी तादाद जो शाही जमा मस्जिद में शबीना पढ़ती थी, वह मायूस थी जो अब ऑनलाइन क़ारी साहब के आने पर खुश नज़र आ रही है।

राम केवी
Published on: 25 April 2020 10:59 AM GMT
बुझे चेहरों पे ला दी रौनक, शबीना पढ़ न सकने की मायूसी यूं दूर की कारी ने
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मेरठ। देश भर में कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन ने इस बार मुस्लिम समाज के पाक महीने रमज़ान में रोजेदारों के लिए सब कुछ बदल कर रख दिया है। मस्जिदें बंद होने के बाद रमजान के पाक महीने में अब उलेमा भी ऑनलाइन तकरीर के जरिए मुस्लिम समाज में लॉक डाउन का पालन करते हुए एक अलग संदेश देशभर में देने की एक नई शुरुआत करते हुए नजर आए है मेरठ के कारी शफीक ने कुरान-ए-पाक को ऑनलाइन सुनाने का बड़ा फैसला लिया है

रमज़ान का चांद दिखने के बाद मेरठ के शहर कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने ऑनलाइन आकर लोगों को मुकद्दस रमजान के पाक महीना शुरू होने की मुबारकबाद दी। इतना ही नही कारी शफीकुर्रहमान ने तकरीर पढते हुए कहा कि दुनिया की तमाम संस्कृतियों में हिन्दुस्तानी संस्कृति का आदर केवल इसलिए कायम है कि यह संस्कृति आपसी सहमति, भाईचारा और आपसी मेलजोल से जुड़ी हुई हैं।

ऑनलाइन तकरीर व तिलावत

वहीं आज रमजान के पाक महीने की शुरुआत के बाद आज पहला रोजा है इसी दौरान हज़ारों लोगो के बीच तक़रीर करने वाले शहर क़ारी शफीकुर्रहमान क़ासमी ख़तीब शाही ईदगाह शाही जामा मस्जिद ने लॉक डॉउन के चलते ऑनलाइन तक़रीर और तिलावत शुरू की है जिससे न तो सोशल डिस्टेंसिंग और न लॉक डॉउन का उल्लंघन होगा, शहर में क़ारी साहब के इस नये तरीके की खूब सराहना हो रही है।

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वहीं लोगों में इसको लेकर जबदस्त उत्साह भी हैं। लॉक डॉउन के चलते लोग अपने घरों से ही इबादत कर पा रहे हैं। आपको बतादे के हर साल शाही जामा मस्जिद में पिछले 40 वर्षों से क़ारी शफीक शाबिने मैं क़ुरान सुनाते थे। इस लॉक डॉउन होने मेरठ की सबसे बड़ी तादाद जो शाही जमा मस्जिद में शबीना पढ़ती थी, वह मायूस थी जो अब ऑनलाइन क़ारी साहब के आने पर खुश नज़र आ रही है।

मेरठ से सादिक खान की रिपोर्ट

राम केवी

राम केवी

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