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मुख्यमंत्री ने फूलों से बनी गुरु गोरक्षनाथ अगरबत्ती को सराहा, इसलिए बताया बड़ा कदम

मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले पुष्पों को निस्तारित करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है ऐसे पुष्पों को नदियों में प्रवाहित करने से प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन मंदिरों से निकलने वाले पुष्पों को अब सुगंधित अगरबत्तियों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा।

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Published on: 17 Nov 2020 4:29 AM GMT
मुख्यमंत्री ने फूलों से बनी गुरु गोरक्षनाथ अगरबत्ती को सराहा, इसलिए बताया बड़ा कदम
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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए हमने पीएम मोदी से 2014 में एम्स मांगा था। 2016 में पीएम मोदी ने इसका शिलान्यास किया।

लखनऊ: गोरखपुर के गोरक्षनाथ मंदिर में चढ़ाये जाने वाले फूल अब फेंके नहीं जाएंगे। केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान की मदद से इन फूलों से अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री गोरखनाथ आशीर्वाद अगरबत्ती को लांच करते हुए कहा कि सीमैप के सहयोग से शुरू किया गया यह काम पर्यावरण की रक्षा करने के साथ ही लोगों को रोजगार देने वाला भी होगा।

मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले पुष्पों को निस्तारित करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है ऐसे पुष्पों को नदियों में प्रवाहित करने से प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन मंदिरों से निकलने वाले पुष्पों को अब सुगंधित अगरबत्तियों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) भारत सरकार, लखनऊ, महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र गोरखपुर के साथ श्री गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के सहयोग से इस मूर्तरूप दिया गया है।

सीएम योगी ने लांच की अगरबत्ती

सीमैप के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर श्री गोरक्षनाथ मंदिर में अर्पित होने वाले फूलों से ‘श्री गोरखनाथ आशीर्वाद’ नाम से अगरबत्ती बनाई जा रही है। सोमवाार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में सीमैप के सहयोग से तैयार की गई अगरबत्ती लांच की है।

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मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि पूजा स्थलों में चढ़ाए गए फूलों को कचरे के रूप में नदियों में डाल दिया जाता है, जिससे न केवल आस्था को ठेस पहुंचती है अपितु प्रदूषण की समस्या भी उत्पन होती है। सीएसआईआर-सीमैप की वैज्ञानिक पहल से न केवल इस समस्या से समाधान मिलेगा बल्कि ‘वेस्ट टू वेल्थ’ के द्वारा कचरे से धन को परिवर्तित करने में मदद मिलेगी।



''पृथ्वी पर कुछ भी बेकार नहीं''

उन्होंने यह भी कहा, " यही हमारी परंपरा का विश्वास भी है कि इस पृथ्वी पर कुछ भी बेकार नहीं है और यह इस तथ्य का प्रमाण है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पहल को उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों में दोहराया जाएगा।

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सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि शिरडी के साईं और वैष्णो देवी मंदिर में मंदिर में चढ़ाये जाने वाले फूलों से अगरबत्ती बनाई जा रही है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस पहल से आत्मनिर्भर भारत, कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। इस पहल से बाजार में पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के प्रचार में भी मदद मिलेगी।

सीएसआईआर-सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमेश श्रीवास्तव ने कहा कि इस परियोजना के तहत प्रशिक्षित महिलाएं प्रति माह से लगभग 5000 रुपये की आमदनी कर रही है।

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इस दौरान सीएसआईआर-सीमैप की टीम "अरोग्य धाम" गई, जहाँ पर "मानव उद्यान - हर्बल गार्डन" स्थापित किया जाएगा। यह हर्बल गार्डन एक सार्थक पहल होगी क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने भारत में पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक वैश्विक केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है।

रिपोर्ट: अखिलेश तिवारी

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