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अटल जी की पुण्यतिथि: सीएम ने किया माल्यापर्ण, ऐसे किया याद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि अवसर पर लोक भवन में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

Newstrack
Published on: 16 Aug 2020 12:24 PM IST
अटल जी की पुण्यतिथि: सीएम ने किया माल्यापर्ण, ऐसे किया याद
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अटल जी की पुण्यतिथि: सीएम ने किया माल्यापर्ण, ऐसे किया याद

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि अवसर पर लोक भवन में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। 16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी बाजपेयी के निधन के बाद उनके 95वी जयंती पर 08 माह पहले 25 दिसबंर को लोकभवन में उनकी 25 फीट ऊंची कास्य प्रतिमा लगाई गई थी।

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अटल जी की पुण्यतिथि: सीएम ने किया माल्यापर्ण, ऐसे किया याद

भाजपा के आस्तित्व में आने से पहले अटल जी जनसंघ में सक्रिय थे

भाजपा के आस्तित्व में आने से पहले अटल जी जनसंघ में सक्रिय थे और इमरजेंसी के दौरान बनी गैरकांग्रेसी जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री थे। 06 अप्रैल 1980 को मुंबई में जब भाजपा का गठन हुआ तो वह उसके पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये गए। भारतीय राजनीति में अटल जी को एक सरल और उदारवादी नेता के तौर पर जाना जाता है। एक प्रखर वक्ता के तौर पर पूरे देश में उनका सम्मान था और विपक्षी भी उनके भाषणों को गंभीरता से सुनते थे। इसके अलावा अटल जी एक कवि भी थे और अपनी कविता के माध्यम से वह कई गंभीर बाते कह जाते थे। भाजपा के शीर्ष नेताओं में शामिल अटल जी दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे।

ग्वालियर में जन्मे अटल जी एक धर्मावलंबी कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार से थे। उनके बाबा पं. श्यामलाल यूपी में आगरा के तीर्थस्थान बटेश्वर के रहने वाले थे। पं. श्यामलाल के सुझाव पर अटल जी के पिता पं. कृष्ण बिहारी ग्वालियर में आ बसे और अध्यापन का कार्य करने लगे। पं. कृष्ण बिहारी का विवाह कृष्णा देवी से हुआ और उनकी चार पुत्र अवध बिहारी, सदा बिहारी, प्रेम बिहारी, अटलबिहारी तथा तीन पुत्रियां विमला, कमला, उर्मिला हुईं। अटलजी के सभी भाई बहनों का निधन हो चुका है।

अटल जी की पुण्यतिथि: सीएम ने किया माल्यापर्ण, ऐसे किया याद

जब वे पांचवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने पहली बार भाषण दिया था

अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय में हुई। यहां से उन्होंने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की। जब वे पांचवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने पहली बार भाषण दिया था। इसके बाद उन्हें विक्टोरिया कॉलेज में दाखिल कराया गया, जहां से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की। इस विद्यालय में रहते हुए उन्होंने वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया तथा प्रथम पुरस्कार भी जीता। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण की। स्नातक परीक्षा में उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में विशेष योग्यता हासिल की थी। ग्वालियर से स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद वे कानपुर चले गए। यहां उन्होंने डीएवी महाविद्यालय में प्रवेश लिया।

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उन्होंने कला में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। इसके बाद वे पीएचडी करने के लिए लखनऊ चले गए। पढ़ाई के साथ-साथ वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य भी करने लगे, परंतु वे पीएचडी करने में सफलता प्राप्त नहीं कर सके क्योंकि पत्रकारिता से जुड़ने के कारण उन्हें अध्ययन के लिए समय नहीं मिल रहा था। कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना आरंभ कर दिया था। आरंभ में वे छात्र संगठन से जुड़े। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में कार्य किया। वे कॉलेज जीवन से ही राजनीति में सक्रिय भाग लेते रहे।

मनीष श्रीवास्तव

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