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गोरखपुर को सीएम योगी का तोहफा: दी बड़ी सौगात, बच्चों के लिए कही ये बात

Ashiki
Published on: 21 Feb 2020 5:31 PM IST
गोरखपुर को सीएम योगी का तोहफा: दी बड़ी सौगात, बच्चों के लिए कही ये बात
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गोरखपुर: दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एसवीएम पब्लिक स्कूल चिऊटहा मानीराम पहुंचे। जहां ब्रम्हलीन महन्थ अवेधनाथ महाराज स्मृति सभागार लोकार्पण किया।

छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए सिएम ने कहा- तकनीक को हावी न होने दें खुद पर

इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि तकनीक को खुद पर हावी न होने दें। क्‍योंकि अक्‍सर ये देखने में आता है कि आजकल बच्‍चे स्‍मार्ट फोन का ज्‍यादा प्रयोग करते हैं। कैलकुलेटर का प्रयोग करते करते वे तकनीक के आदी हो जाते हैं। ऐसे में जब उनसे मामूली सवाल भी पूछे जाते हैं, तो वे जोड़ घटाना नहीं कर पाते हैं। तकनीक जब आगे चलने लगेगी, तो हम उससे पीछे हो जाएंगे। हमें इस बात का ख्‍याल रखना होगा।

सिएम योगी ने विद्यालय को दी बधाई

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज शिवरात्रि का पावन पर्व है। इस संस्थान के उद्घाटन के बाद आज मुझे भी पहली बार मुझे यहां आने का अवसर मिला इसलिए बहुत प्रसन्नता हो रही है। जिस विद्यालय की नींव पड़ते, सब बनते देखा है, आज शिवरात्रि के पर्व पर मुझे यहां पर आने का अवसर मिला है। विद्यालय परिवार को बधाई देता हूँ।

सुदूर दक्षिण में भगवान राम ने रामेश्वरम में लंका जाने के लिए जब पुल का निर्माण किया था। वो भगवान शिव की आराधना के साथ किया था। शिवरात्रि हिन्दू धर्म का विशेष पर्व है। इसका बहुत महत्व है। कैलाश मानसरोवर की चोटी का दर्शन हम भगवान शिव के रूप में ही करते हैं।

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सीएम ने कहां की शिवरात्रि के दिन किसी संस्था का कार्यक्रम एक संदेश देता है। ज्ञानी वही बन सकता है जिसके मन में श्रद्धा और विरासत और संस्कृति और सभ्यता हो। भारत के अंदर ये बात कूट-कूट कर भरा है। प्रत्येक भरवासी को इस पर गर्व करना चाहिए। कण-कण में भारत के शिव का वास माना गया है। शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। शिवरात्रि के दिन किसी विद्यालय में कार्यक्रम इस बात को बताता है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए वो कितने तत्पर है। लेकिन कोई संस्थान के लिये भी कुछ करते हैं।

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संस्थान को भी पर्व से जोड़ने कि कही बात

सीएम योगी ने कहा जब कोई पर्व होता है तो हमारे संस्थान सूने क्यों रहते हैं? ये हमारा दायित्व है कि हम उस संस्थान को भी उस पर्व और त्योहार के साथ जोड़ें। कोई पर्व होता है ।दिवाली और होली के साथ अन्य तो हम घर की साफ सफाई के साथ उसे सजाते हैं। हमारी सरकार ने निर्णय लिया कि किसी महापुरुष की जयंती पर हम छुट्टी नहीं करेंगे. उन्हें संस्कारवान भी बनाए।

शिक्षा और संस्कार का केंद्र बनकर ये शहर के बाहर भी शिक्षा का प्रसार कर रहा है। इस बात की प्रसन्नता है। पाँच दशक से बिद्या मंदिर परिवार तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ रहा है। मां सरस्वती के लिए हर कोई सरस्वती जी की आराधना करते हैं। लेकिन आजकल की आपाधापी में शैक्षणिक संस्थाएं स्कूली पाठ्यक्रम तक हरे खुद को सीमित न रखें।

सीएम योगी ने बताया कि एक गांव में गए तो बच्चे खेल रहे थे। मैंने पूछा तो बोले कि छुट्टी है। दूसरा बच्चे ने बोला कि आज रविवार है। तीसरे बच्चे ने बोला जब छुट्टी होती है, तो रविवार मानते हैं। जबकि उस दिन गुरुवार था। 14 अप्रैल का वो दिन था। वैशाखी, बाबा साहब का जयंती सहित तीन पर्व थे। सिर्फ पाठ्यक्रम तक विद्यालय को सीमित नहीं रहना चाहिए। शिवरात्रि भी इसी की कड़ी है। मैंने किसी भी महापुरुष की जयंती पर होने वाली छुट्टी को हमने वापस आकर बंद कर दिया। सभी महापुरुषों की जयन्ती और पर्व त्योहार पर हमारे बच्चों को कार्यक्रम का आयोजन कर इसके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।

अपने गुरु के नाम पर सभागार का नाम रखे जाने पर विद्यालय को दिया धन्यवाद

योगी ने कहा कि मैं विद्यालय परिवार का धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मेरे पूज्य गुरुदेव के नाम पर उन्होंने इस सभागार का नाम रखा है। उन्होंने मानीराम से विधायक रहने के साथ 4 बार सांसद रहे. देश के कई बड़े आंदोलनों का प्रतिनिधित्व किए। उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाई। ये दुनिया बहुत विराट है। इसमें अपनी जगह बनाना एक चुनौती है। डिग्री प्राप्त करना विद्यार्थी के लिये ज़रूरी है। देश और समाज के लिए भी कार्य करना होगा। इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अच्छी बात है।

विद्या मंदिर के संस्कार आपको बेहतर भविष्य की ओर ले जाएंगे। चिकित्सा और सेवा के माध्यम से भी लोगों के लिए कार्य किया। उच्च शिक्षा का बेहतर केंद्र जल्द ही उनके नाम पर यहां के बच्चों को जल्द प्राप्त होगा। सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या से सटा हुआ निषादराज का राज्य भी मिला। लेकिन उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया और वनवास चले गए। वो चित्रकूट है। उस समय चित्रकूट कैसा रहा होगा। आज भी वहां पर नक्सली बसते हैं लेकिन उस समय आप सोचिए कि क्या परिस्थिति रही होगी? भगवान राम 14 वर्ष का वनवास नहीं काटते और धैर्य खो देते तो वे मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहलाते।

परिस्थियों से विचलित नहीं होना चहिए- सीएम योगी

सीएम ने कहा कि विपरीत परिस्थियों से विचलित नहीं होना चहिए। ऋषि मुनियों की परंपरा भारत के ज्ञान विज्ञान की समृद्ध परंपरा रही है। इस बात का भगवान श्रीराम को एहसास हो चुका था। चित्रकूट में जाकर उन्होंने ये तय किया कि भारत की समस्या क्या है? लेकिन, उम्र 14 वर्ष के वनवास के कार्यकाल को ऐसे ही जाया नहीं किया। उसका बेहतर उपयोग करते हुए उस समय के कालखंड को अपने अनुसार मोड़ने में सफलता प्राप्त की और यही जीवन है। जब चुनौती से थक हार कर के पलायन करने की बजाय वस्तु चुनौती को स्वीकार करें।

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आप सब को प्राप्त हुए संस्थान के साथ जुड़कर के भारत की परंपरा और संस्कृति के साथ राष्ट्रीय पर्व महापुरुषों के बारे में जानने और सीखने का अवसर प्राप्त हुआ। हमें चाहिए कि हम तकनीक को खुद के ऊपर हावी न होने दें। आजकल मैं देखता हूं कि बच्चे स्कूल में स्मार्टफोन हो गए हैं, तो वे उस पर ही केलकुलेटर का उपयोग करने लगते हैं। जब उनसे कुछ पूछो तो खुद को असहाय पाते हैं। इसलिए हमें तकनीक को अपना सहायक बनाने की जरूरत है। न कि उस तकनीक का गुलाम बनने की। टेक्नोलॉजी आगे हो जाएगी और हम पीछे तो कहीं न कहीं हम धोखा खा जाएंगे। तकनीक ने पूरी दुनिया को एक जेब में समेट कर रख दिया है। लेकिन, यह हमें तय करना है कि हम तकनीक का कितना उपयोग करना है।



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