×

कृषि उत्पादन आयुक्त का निर्देश, उत्पादों की मार्केटिंग के लिए उठाया जाए ये कदम

यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने कृषि उत्पादों की मार्केटिंग की समस्यां को दूर करने के लिए एक सक्षम प्रणाली विकसित करने का निर्देश दिया है।

Dharmendra kumar
Published on: 18 Jun 2020 6:53 PM GMT
कृषि उत्पादन आयुक्त का निर्देश, उत्पादों की मार्केटिंग के लिए उठाया जाए ये कदम
X

लखनऊ: यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने कृषि उत्पादों की मार्केटिंग की समस्यां को दूर करने के लिए एक सक्षम प्रणाली विकसित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि किसान को सभी विभागों के कार्यो का केन्द्र बिन्दु के रूप में मानते हुए कृषि, पशुपालन, उद्यान, मत्स्य, दुग्ध आदि सभी गतिविधियों की समन्वित कार्य योजना तैयार कर उसे क्रियान्वित किया जाये। जिससे किसान को विभिन्न कार्यालयों में अनावश्यक रूप से भाग-दौड़ न करनी पड़े। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जनपद में प्रमुखता से होने वाले उत्पाद विशेष को चिन्हित करते हुए उनके प्रसंस्करण एवं मूल्य संवद्र्वन की कार्य योजना बना कर क्रियान्वित करायी जाये।

बस्ती, आजमगढ़, गोरखपुर, अयोध्या तथा देवीपाटन मण्डल की खरीफ उत्पादन गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कृषि उत्पादन आयुक्त ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 27 प्रतिशत है। प्रदेश के किसानों ने कोविड-19 संक्रमण के कठिन दौर में अपने परिश्रम से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल प्रदान किया है। किसानों द्वारा पर्याप्त उत्पादन किया जा रहा है लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या कृषि उत्पादों की मार्केटिंग की है।

यह भी पढ़ें...चीनी सेना से टकराने को तैयार नागा साधु, किया ये बड़ा एलान…

सिन्हा ने प्रत्येक जनपद के कृषि विज्ञान केन्द्र पर किसी एक विशिष्ट विधा को अपनाकर उसे केन्द्र पर प्रमुखता से प्रदर्शित करनेे के लिए प्रोजेक्ट तैयार कराकर आरकेवीवाई योजना से क्रियान्वित कराने के निर्देश दिये। साथ ही किसान उत्पादक समूहों का गठन कराने तथा विभिन्न विभागों की ट्रेनिंग को कन्वर्जेन्स कराकर उनका क्षमता विकास करने के लिए प्रशिक्षण कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश मंे कृषि क्षेत्र में इस समय खाद्य प्रसंस्करण मात्र 06 प्रतिशत हो रहा है। जब कि भारत सरकार द्वारा लक्ष्य 20 प्रतिशत तय किया गया है। विकसित देशों में कृषि उत्पादों का खाद्य प्रसंस्करण 35 से 40 प्रतिशत तक होता है। बिना खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा दिये और उसकी मार्केट लिंकेज कियेे किसानों की आय मंे वृद्वि संभव नहीं है। प्रदेश सरकार इस दिशा में निरन्तर प्रयासरत् है। जरूरत है कि जिले स्तर पर इसके लिए कार्य योजना बनाकर क्रियान्वित की जाये।

यह भी पढ़ें...चीन के खिलाफ देश में आक्रोश: अब इस चीनी एप की जगह गूगल मीट से होगी चर्चा

इसके पूर्व गोष्ठी में 5 मण्डलों के मण्डलायुक्तों व जिलाधिकारियों ने अपने मण्डलों और जनपदों की समस्याओं के संबंध में बताते हुए विभागीय कर्मचारियों की कमी, प्रदेश के सम्बन्धित जनपदों में उर्वरकों की उपलब्धता के लिए रैक प्वाइंट, भण्डारण के लिए गोदामों की कमी, रबी तथा जायद मक्का की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कराने की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया गया। प्रमुख सचिव, कृषि देवेश चर्तुवेदी ने उन्हे आश्वस्त किया कि समस्याओं के निराकरण के लिए शासन द्वारा गम्भीरता से विचार किया जायेगा। प्रमुख सचिव ने पशु आश्रय स्थलों में प्राकृतिक रूप से मृत पशुओं के प्रोटोकाल के अनुसार निस्तारण कराने, बरसात में क्षेत्र में सुरक्षित रख-रखाव करने तथा भूसे व चारे के सुरक्षित भण्डारण के निर्देश दिये।

रिपोर्ट: मनीष श्रीवास्तव

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story