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मेडिकल कालेज में पूरी व्यवस्था का दावा, ऐसी है वहां की सुविधाएँ
सीएमएस के बाद जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट को भी पीजीआई रेफर किया गया था जबकि नियमानुसार मेडिकल कालेज के लिए ही रेफर किया जाना था।
अम्बेडकरनगर। कोविड के इलाज के लिए जिले में बनाये गए लेवल -दो के हॉस्पिटल महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कालेज में सर्व सुविधाओं के होने का दावा तो किया जा रहा है लेकिन इस हॉस्पिटल में लेवल 2 का कोई मरीज अभी तक भर्ती हुआ हो इसकी कोई सूचना नही है।
किया जा रहा पीजीआई रेफर
जिले में एकलव्य स्टेडियम के नाम पर रमाबाई महिला महाविद्यालय में लेवल एक का हॉस्पिटल चलाया जा रहा है लेकिन लेवल दो से संबंधित मरीजो को मेडिकल कालेज न भेजकर उन्हें पीजीआई रेफर किया जा रहा है। जिला अस्पताल से ऐसा क्यों किया जा रहा है,यह भी एक रहस्य ही है। सबसे पहले निवर्तमान मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का ही मामला लें। उन्हें जिला अस्पताल से मेडिकल कालेज रेफर किया गया था लेकिन वँहा उन्हें एम्बुलेंस से उतारने की भी आवश्यकता नही समझी गयी।
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सही तरीके से नहीं हो रहा इलाज़
जिलाधिकारी व जिला अस्पताल के चिकित्सकों की मौजूदगी में उन्हें सीधे पीजीआई ले जाने को कहा गया। बावजूद इसके मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ पी के सिंह का कहना है कि कोरोना वार्ड में पांच वेंटीलेटर व एक डायलिसिस लगी हुयी है जबकि एक डायलिसिस का आर्डर किया गया है जिसके भी जल्द लगने की संभावना है। इन व्यवस्थाओ को लेकर शासन को रिपोर्ट तो भेजी जा रही है लेकिन लेवल दो की आवश्यकता वाले मरीजो का इलाज वँहा क्यों नही किया जा रहा है, अब तक किसी मरीज को भर्ती क्यों नही किया गया,उसका जवाब किसी के पास नही है। सीएमएस के बाद जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट को भी पीजीआई रेफर किया गया था जबकि नियमानुसार मेडिकल कालेज के लिए ही रेफर किया जाना था।
इसके पीछे जो कारण पता चला वह यह कि जब मेडिकल कालेज ने सीएमएस को लेने से इंकार कर दिया था तो वह फार्मासिस्ट के लिए भी वही रास्ता अपना सकता था। इसीलिए पूर्व के मामले को संज्ञान में लेते हुए उन्हें भी लखनऊ रेफर किया गया था। अब प्रश्न यह है कि यदि मेडिकल कालेज मरीज को ही लेने से इंकार कर रहा तो फिर वँहा की व्यवस्थाओं का क्या ओचित्य है। किसी अस्पताल के चिकित्सक का कार्य यह होता है कि वह कम से कम मरीज को एक बार देख तो ले लेकिन सीएमएस प्रकरण में मेडिकल कालेज प्रशासन ने इस नैतिक धर्म का भी पालन नही किया था। उसके इसी व्यवहार के कारण जिले के चिकित्सकों ने निंदा प्रस्ताव भी पारित किया था।
लेवल दो के मरीज आने पर उनका इलाज किया जाएगा
सवाल यह कि कोरोना के इस संकट काल में जब जिला अस्पताल में कोविड व नान कोविड एक साथ चलाया जा रहा है और अब तक कई कर्मचारी इसके संक्रमण की जद में आ चुके हैं, तो मेडिकल कालेज को कोरोना के इलाज के लिए क्यों नही सक्रिय किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार लगभग तीन माह से मेडिकल कालेज में कोरोना के नाम पर कुछ भी नही हुआ है जबकि शासन को प्रतिदिन सूचनाएं प्रेषित की जा रही है । इस सम्बन्ध में मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ पी के सिंह का कहना है कि सभी व्यवस्थाये सुलभ हैं और लेवल दो के मरीज आने पर उनका इलाज किया जाएगा।
रिपोर्टर- मनीष मिश्रा, अम्बेडकरनगर