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रेजीडेंट डाक्टरों का मानदेय बढ़ाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा सीएम को पत्र

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर प्रदेश के रेजीडेन्ट डाक्टरों का मानदेय बढ़ाने का अनुरोध किया है।

Vidushi Mishra
Published on: 29 April 2020 5:49 PM IST
रेजीडेंट डाक्टरों का मानदेय बढ़ाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा सीएम को पत्र
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रेजीडेंट डाक्टरों का मानदेय बढ़ाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा सीएम को पत्र

लखनऊ। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर प्रदेश के रेजीडेन्ट डाक्टरों का मानदेय बढ़ाने का अनुरोध किया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि कोरोना महामारी से लड़ रहे रेजीडेन्ट डाक्टरों के योगदान को देखते हुए उनको सम्मानजनक मानदेय देते हुए उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आग्रह किया है।

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इंटर्नशिप स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा है कि कोरोना महामारी से लड़ रहे रेजीडेन्ट डाक्टरों के मानदेय में बीते एक दशक से कोई वृद्धि नहीं की गयी हैं।

जबकि अन्य राज्यों की सरकारें अपने रेजीडेन्ट डाक्टरों को सम्मानजनक मानदेय दे रही है। प्रदेश अध्यक्ष ने अपने पत्र के साथ आसाम, हिमांचल, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा जैसे राज्यों के मानदेय वृद्धि संबंधी पत्र और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का ट्वीट भी संलग्न किया है।

बताते चले कि बीते मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क यूपी ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इंटर्नशिप स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की थी।

चिकित्सा छात्रों का कहना है कि यूपी में केवल 7500 रुपये प्रतिमाह इंटर्नशिप स्टाइपेंड दिया जाता है। जो देश में सबसे कम है। अन्य प्रदेश यूपी से दो से ढ़ाई गुना ज्यादा मासिक वेतन का भुगतान इंटर्न को करते है।

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सेवा के लिए तत्पर लगातार अपनी सेवाएं दे रहे

चिकित्सा छात्रों ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वह देश व प्रदेश की सेवा के लिए इस महामारी काल में सेवा के लिए तत्पर है और लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

आईएमए मेडिकल स्टूडेंटस नेटवर्क के डा. रजनीश राज और महासचिव डा. राहुल आनंद का कहना है कि प्रदेश में इंटर्नशिप स्टाइपेंड बीते 10 साल से नहीं बढाया गया है।

कुछ निजी मेडिकल कालेजों में छह हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाता है, लेकिन कई तो स्टाइपेंड भी नहीं देते है। इससे इंटर्नशिप करने वाले छात्रों का मनोबल गिर रहा है। वहीं केंद्रीय मेडिकल कालेजों में यह स्टाइपेंड 23 हजार 500 रुपये प्रतिमाह है।

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Vidushi Mishra

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