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चंद्रशेखर के बाद मंगल पांडे पर विवादः इस बात को लेकर छिड़ा विवाद

गूगल के एक पोस्ट में मंगल पांडेय की जन्मतिथि 19 जुलाई 1827 प्रदर्शित किया गया है । इसी पोस्ट के कारण मंगल पांडेय की जयंती मनाने की देश भर में धूम है ।

Newstrack
Published on: 19 July 2020 9:33 AM GMT
चंद्रशेखर के बाद मंगल पांडे पर विवादः इस बात को लेकर छिड़ा विवाद
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बलिया । प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक मंगल पांडेय की जयंती भी विवादों के घेरे में आ गई है । गूगल के गलत पोस्ट के कारण आज पूरे देश में मंगल पांडेय की जयंती मनाई जा रही है । इसको लेकर मंगल पांडेय के पैतृक गांव के बाशिन्दों में भारी रोष है ।

गूगल ने किया गलत पोस्ट

गूगल के एक गलत पोस्ट के कारण देश के पहले अमर शहीद मंगल पांडेय के जन्मदिन को लेकर देश में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है । गूगल के एक पोस्ट में मंगल पांडेय की जन्मतिथि 19 जुलाई 1827 प्रदर्शित किया गया है । इसी पोस्ट के कारण मंगल पांडेय की जयंती मनाने की देश भर में धूम है । बलिया जिले के नगवा गांव में मंगल पांडेय का जन्म हुआ था । मंगल पांडेय के परिजन व ग्रामवासी उनकी जयंती 30 जनवरी को मनाया करते हैं । पैतृक गांव नगवा में मंगल पांडेय की स्मृतियों को अक्षुण्ण रखने के लिए स्थापित शहीद मंगल पांडेय स्मारक समिति व मंगल पांडेय विचार मंच ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है ।

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प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए

मंगल पांडेय विचार मंच के अध्यक्ष कृष्ण कांत पाठक ने कहा है कि यह सर्वविदित तथ्य है कि नगवा गांव में शहीद मंगल पांडे का जन्म 30 जनवरी 1831 को नगवां गांव में हुआ था । उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा 6 की पाठ्य पुस्तक महान व्यक्तित्व में शहीद मंगल पांडेय की जयंती 30 जनवरी 1831, जन्मस्थान बलिया जनपद का नगवा गांव ही दर्शाया गया है । उन्होंने कहा कि गूगल देश के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के प्रथम सेनानी मंगल पांडेय के जीवन चरित्र व इतिहास के साथ खिलवाड़ कर रहा है । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए तथा वास्तविक जयंती पर ही कार्यक्रम होने चाहिए ।

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वर्ष 1857 में प्रथम स्वाधीनता संग्राम का बिगुल बजाया था

उल्लेखनीय है कि मंगल पाण्डेय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे सेनानी थे , जिन्होंने वर्ष 1857 में प्रथम स्वाधीनता संग्राम का बिगुल बजाया था । ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही मंगल पांडेय को तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने बागी करार दिया था । मारो फिरंगी को नारा भारत की स्वाधीनता के लिए सर्वप्रथम आवाज उठाने वाले क्रांतिकारी मंगल पांडेय की जुबां से ही निकला था ।

मंगल पाण्डेय ब्रह्मचारी ब्राह्मण थे । इसके बाद भी वह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए थे । उनके पिता का नाम सुदिष्ट पांडेय तथा माता का नाम जानकी देवी था। मंगल पाण्डेय, गिरिवर पांडेय एवं ललित पांडेय तीन भाई थे। छोटे भाइयों की संतानों में महावीर पांडेय एवं महादेव पांडेय हुए। इसमें महावीर पांडेय के एक मात्र पुत्र बरमेश्वर पांडेय ने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख सहभागिता निभाई थी । स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में वर्ष 1984 में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था ।

रिपोर्टर - अनूप कुमार हेमकर, बलिया

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