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फीका पड़ा गुलाल का रंग, होली पर कोरोना की काली छाया

काशी में बने गुलाल की आपूर्ति गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, सासाराम, डेहरी, चित्रकूट, रीवा के साथ ही मॉरीशस व नेपाल तक होती है। इस साल आर्डर नहीं आ रहा है। दुकानदारों में भय है कि अगर फिर से कोरोना के मामले बढ़े तो वे गुलाल नहीं बेच पाएंगे। इसी वजह से वे गुलाल नहीं मंगा रहे हैं।

Newstrack
Published on: 15 March 2021 5:31 PM IST
फीका पड़ा गुलाल का रंग, होली पर कोरोना की काली छाया
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फीका पड़ा गुलाल का रंग, होली पर कोरोना की काली छाया

वाराणसी। कोरोना की वापसी के आदेशों के बीच होली भी फ़ीकी होती नजर आ रही है। जी हां! कुछ राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामले का असर अबकी होली पर भी पड़ने वाला है। गुलाल उत्पादन करने वाले कारोबारी इस बार मायूस हैं। कारण, इस बार मांग न के बराबर है। कोई जतन कर पिछले साल के उत्पादन को निकालने की जद्दोजहद चल रही है।

काशी में बने गुलाल की आपूर्ति गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, सासाराम, डेहरी, चित्रकूट, रीवा के साथ ही मॉरीशस व नेपाल तक होती है। इस साल आर्डर नहीं आ रहा है। दुकानदारों में भय है कि अगर फिर से कोरोना के मामले बढ़े तो वे गुलाल नहीं बेच पाएंगे। इसी वजह से वे गुलाल नहीं मंगा रहे हैं।

बिक्री और उत्पादन दोनों हैं कोरोना से प्रभावित

कोरोना के कारण एक ओर जहां बिक्री पर असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। कारण कि इसके रॉ मैटेरियल यानी स्टॉर्च की मुंबई, राजस्थान व उत्तराखंड से ही होती है। उत्पादन पर दो चीजें असर डाल रहीं हैं, एक तो कोरोना और दूसरा पेट्रोलियम पदार्थ के दाम में बेतहाशा वृद्धि।

कोरोना के कारण कोरोड़ों के कारोबार पर पड़ा है असर

रामनगर औद्यौगिक क्षेत्र स्थित डीएस प्रोडक्ट फर्म के निदेशक राजेश डोलिया बताते हैं कि होली के 20 दिन पहले ही गुलाल की आपूर्ति कारोबारियों के यहां कर दी जाती थी। कारण कि महाशिवरात्रि के बाद गुलाल की बिक्री में तेजी आ जाती है। हालांकि गुलाल की तेज बिक्री महज तीन-चार दिन की ही होती है। पिछले दो साल पहले तक गुलाल का करीब डेढ़ करोड़ का कारोबार हो जाता था।

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पिछले साल उत्पादन बेहतर किया गया था, लेकिन फरवरी के बाद से ही कोरोना का कहर शुरू हो गया था। इसके कारण पिछले साल बनाया गया गुलाल भी फर्म एवं थोक विक्रेताओं के पास बच गया। ऐसे में इस साल उत्पादन बहुत ही कम किया गया है। कारण कि विक्रेताओं की ओर से मांग नहीं आ रही है। इसके कारण यह कारोबार इस बार चौपट हो गया है। पिछले साल वाला उत्पादन ही खप जाए यही काफी है।

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बनारस और हाथरस में होता है गुलाल का व्यापक कारोबार

राजेश डोलिया ने बताया कि यूपी में काशी के बाद गुलाल का सबसे अधिक उत्पादन हाथरस में होता है। वहीं से पश्चिम यूपी के साथ ही दिल्ली व अन्य स्थानों पर आपूर्ति होती है। वाराणसी से पूर्वांचल के साथ ही बिहार के कुछ जिलों में आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा मॉरीशस एवं नेपाल भी भेजा जाता है। इसके अलावा यहां से सिंदूर भी भेजा जाता है।

रिपोर्ट- आशुतोष सिंह, वाराणसी

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