बड़ी सफलताः कोरोना का प्रोटीन लैब में तैयार, अब वैक्सीन में आएगा काम

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एक नई उपलब्धि हासिल हुई है। वैज्ञानिकों ने लैब में कोरोना वायरस से ही एक खास प्रोटीन तैयार किया है जो कोरोना के इलाज में बेहद कारगर साबित हो सकता है।

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Published on: 25 July 2020 11:29 AM GMT
बड़ी सफलताः कोरोना का प्रोटीन लैब में तैयार, अब वैक्सीन में आएगा काम
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एक नई उपलब्धि हासिल हुई है। वैज्ञानिकों ने लैब में कोरोना वायरस से ही एक खास प्रोटीन तैयार किया है जो कोरोना के इलाज में बेहद कारगर साबित हो सकता है। नये प्रोटीन को हेक्साप्रो नाम दिया गया है। इस प्रोटीन से करोड़ों-अरबों की तादाद में कोरोना की वैक्सीन बहुत कम समय में तैयार करने में मदद मिलेगा।

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टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार यह प्रोटीन कोविड-19 के इलाज के लिए बने रहे वैक्सीन की क्षमता बढ़ाने के साथ ही उनके उत्पादन बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। वैज्ञानिकों ने इस प्रोटीन का एक नया संस्करण डिजाइन किया है। अभी तक कोविड 19 वैक्सीन के विकास में सिंथेटिक स्पाइक यानी एस प्रोटीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि नया डिजाइन किया गया प्रोटीन (हेक्साप्रो) पहले वाले प्रोटीन की तुलना में कोशिकाओं में 10 गुना अधिक पैदा किया जा सकता है। इस प्रोटीन को विकसित करने के प्रोजेक्ट को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन द्वारा फंड दिया जा रहा है। इस शोध की जानकारी ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

वैक्सीन का बढ़ेगा उत्पादन

टेक्सास यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेसन मैकलेलन का कहना है कि प्रोटीन का यह एडवांस संस्करण वैक्सीन की हर डोज के आकार को कम कर सकता है या वैक्सीन के उत्पादन में तेजी ला सकता है। टीका किस प्रकार का है, इसके आधार पर, प्रोटीन का यह नया प्रारूप हर खुराक का आकार घटा सकता है या टीके के उत्पादन में तेजी ला सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों में वैक्सीन की पहुंच बन सकती है। नया एस प्रोटीन कमरे के तापमान पर स्टोरेज के दौरान, हीट स्ट्रेस के तहत भी अपना आकार बनाए रखता है। यह एक बेहतर वैक्सीन के लिए सबसे जरूर गुण है।

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एंटीबॉडी जांच में भी प्रोटीन का प्रयोग

अध्ययन के मुताबिक हेक्साप्रो का उपयोग कोविड-19 एंटीबॉडी जांच में भी किया जा सकता है, जहां यह मरीज के रक्त में एंटीबॉडी की मौजूदगी का पता लगाने में मदद करेगा। इससे यह संकेत मिलेगा कि क्या वह व्यक्ति पहले कोरोना वायरस से कभी संक्रमित हुआ था। इससे कोरोना के इलाज और टीके के विकास में मदद मिलेगा।

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