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भ्रस्टाचारी तहसील प्रशासन, जमीन की पैमाइश के बदले 20 हजार रुपए की रिश्वत
सिस्टम की लाचारी और काहिल तहसील के अधिकारी व कर्मचारी के निक्कमेपन से आहत गरीब ने अब जिले के कलेक्टर साहब के पास गुहार लगाई है।
मीरजापुर: यह सिस्टम है, जहां तहसील के चक्कर काटते-काटते आपकी चप्पलें घिस जाएंगी, लेकिन तहसील के अंदर बैठे काहिल कुर्सीतोड़ अधिकारी की नींद नहीं टूटेगी। सिस्टम की लाचारी और काहिल तहसील के अधिकारी व कर्मचारी के निक्कमेपन से आहत गरीब ने अब जिले के कलेक्टर साहब के पास गुहार लगाई है। लालगंज तहसील क्षेत्र के सेमरिहा गांव निवासी धनराज गिरी ने तहसील प्रशासन के खिलाफ भ्रस्टाचार का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी को पत्रक सौपा।
रिश्वत न दे पाने के चलते नहीं हो रहा काम
पीड़ित ने तहसील प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपनी जमीन की पैमाइश के लिए सरकारी शुल्क अदा किया है। लेकिन हल्का के लेखपाल व कानूनगो साहब का जेब न भर पाने की वजह से रुका है। हल्का के लेखपाल व कानूनगो पैमाइश करने के एवज में बीस हजार रुपए की मांग कर रहे हैं।
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तहसील प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप (फाइल फोटो)
एक महीने चक्कर काटने के बाद जब नापी की बारी आई तो पैसा मांगा जा रहा है। इस सम्बन्ध में एसडीएम लालगंज को फोन के माध्यम से अवगत कराया। लेखपाल मौके पर पैमाइश करने जाते हैं, लेकिन मौके पर मुहमांगी कीमत नही मिलने के कारण विवाद उत्पन्न करवा कर वापस चले आते हैं।
सरकार के भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ाई की धज्जियां उड़ा रहे अधिकारी
भ्रष्टाचार (फाइल फोटो)
पीड़ित ने आरोप लगाया कि लेखपाल ने पैमाइश करने से मना कर दिया। यह सिस्टम की काहिली का नमूना है। जहां बिना रिश्वत के जूं तक नही रेंगता है। बेपरवाह व कुर्सितोड़ अधिकारियों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर पलीता लगा रहे हैं।
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एक तरफ सरकार भ्रस्टाचार के खिलाफ सख्त है तो दूसरी तरफ उनके ही कर्मचारी भष्ट्राचार कर मस्त दिखाई दे रहे हैं। अब लूट कहिये या खुली छूट कहिये, लेकिन काहिल कर्मचारियों को न सूबे के मुखिया का डर है न जिले के कलेक्टर साहब का।
रिपोर्ट- बृजेंद्र दुबे