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कपड़े का मास्क बहुत उपयोगी लेकिन सावधानी जरूरी
कोरोना वायरस से बचाव के लिए कपड़े के मास्क को सबसे कारगर माना जा रहा है लेकिन ये तभी होगा जब मास्क को रोजाना धो कर इस्तेमाल किया जाए। आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि वायरल संक्रमण के खिलाफ कपड़े का मास्क तभी सुरक्षा प्रदान करता है जब उसे रोजाना धोया जाए और वह भी ऊंचे तापमान पर।
लखनऊ। कोरोना वायरस से बचाव के लिए कपड़े के मास्क को सबसे कारगर माना जा रहा है लेकिन ये तभी होगा जब मास्क को रोजाना धो कर इस्तेमाल किया जाए। आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि वायरल संक्रमण के खिलाफ कपड़े का मास्क तभी सुरक्षा प्रदान करता है जब उसे रोजाना धोया जाए और वह भी ऊंचे तापमान पर। सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि कपड़े का मास्क हो या सर्जिकल मास्क, एक बार के इस्तेमाल के बाद उसे ‘संक्रमित’ मान लिया जाना चाहिए। प्रोफ़ेसर रैना मैकिनटायर के अनुसार, सर्जिकल मास्क तो एक इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं लेकिन कपड़े के मास्क बार बार इस्तेमाल किये जाते हैं। कपड़े के मास्क को या तो हाथ सो थोड़ा धोकर या पोंछ कर बार बार इस्तेमाल किया जाता है लेकिन हमारी रिसर्च बताती है कि ऐसा करने से मास्क के दूषित होने का ख़तरा बढ़ता जाता है।
सिर्फ धो लेना काफी नहीं
शोधकर्ताओं का कहना है कि कपड़े के मास्क को हाथ से रगड़ कर धो लेना ही काफी नहीं है। ठीक से साफ़ करने के लिए मास्क को ऊंचे तापमान पर धोया जाना चाहिए यानी उबलते पानी में थोड़ी देर धोया जाना चाहिए। प्रोफ़ेसर मैकिनटायर का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि मास्क को मशीन से 60 डिग्री तापमान पर डिटर्जेंट से धोया जाना चाहिए और नयी रिसर्च में इसी बात की सिफारिश की गयी है।
हर्ड इम्यूनिटी की बात अनैतिक
एक तर्क दिया जा रहा है कि ज्यादा लोगों को कोरोना संक्रमण हो जाने से झुण्ड प्रतिरक्षा या हर्ड इम्यूनिटी पैदा हो जायेगी। जब वायरस को पनपने के लिए कोई शरीर ही नहीं मिलेगा तो संक्रमण फैलना स्वतः बंद हो जाएगा, इसे ही हर्ड इम्यूनिटी का नाम दिया जाता है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि हर्ड इम्यूनिटी की बात करना अनैतिक है। डब्लूएचओ के प्रमुख तेद्रोस घेब्रेयेसुस ने कहा है कि हर्ड इम्यूनिटी लोगों को वायरस से बचने से मिलती है न कि लोगों को वायरस के प्रति जोखिम में डालने से। उन्होंने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी सिर्फ वैक्सीन के जरिये पाई जा सकती है। तेद्रोस ने एक उदहारण देते हुए कहा कि खसरे जैसी बेहद संक्रामक बीमारी के प्रति हर्ड इम्यूनिटी पाने के लिए 95 फीसदी जनसँख्या का टीकाकरण किया जाना चाहिए। तेद्रोस ने कहा कि कोविड-19 के प्रति इम्यूनिटी के बारे अभी ज्यादा पता ही नहीं है सो ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी में बारे कहा ही नहीं जा सकता कि इसे भला हासिल भी किया जा सकता है कि नहीं।
रहस्मयी बीमारी की वजह से वैक्सीन ट्रायल रुका
अमेरिका की जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने कोविड-19 महामारी के टीके के तीसरे चरण के एडवांस ट्रायल को रोक दिया है। कंपनी इस संभावना की जांच कर रही है कि ट्रायल में हिस्सा लेने वाले एक व्यक्ति को हुई रहस्मयी बीमारी का कहीं टीके के साथ कोई संबंध तो नहीं है। कंपनी ने एक बयान में यह भी कहा कि बीमारियां, हादसे और दूसरी प्रतिकूल घटनाएं किसी भी क्लीनिकल अध्ययन का और विशेष रूप से बड़े अध्ययनों का एक अपेक्षित हिस्सा हैं। कंपनी ने कहा है कि इसके बावजूद उसके चिकित्सक और सुरक्षा की निगरानी करने वाला एक पैनल बीमारी का कारण जानने की कोशिश करेगा।
जो व्यक्ति बीमार पड़ा है, कंपनी ने उस व्यक्ति की निजता का हवाला देते हुए बीमारी के बारे में और कोई जानकारी देने से मना कर दिया। लेकिन ये बताया जा रहा है कि उस व्यक्ति को कोई रहस्यमय बीमारी हो गयी है। जॉनसन एंड जॉनसन के टीके का ट्रायल काफी एडवांस स्टेज तक पहुंच चुका था। इस तरह के बड़े ट्रायलों में अस्थायी रूप से बाधा आना तुलनात्मक रूप से आम बात है। अक्सर इस तरह की जानकारी सार्वजनिक की भी नहीं जाती, लेकिन महामारी की गंभीरता को देखते हुए इस तरह की समस्याओं का महत्व बढ़ गया है।
ऑक्सफ़ोर्ड का भी ट्रायल रोका गया था
यह दूसरी बार है जब कोरोना वायरस महामारी के टीके के किसी ट्रायल को रोकना पड़ा है। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा बनाए जा रहे टीके के आखिरी चरण के परीक्षण अमेरिका में अभी भी रुके हुए हैं। टीकों पर काम कर रही कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वो परीक्षण के दौरान होने वाली किसी भी गंभीर या अनपेक्षित प्रतिक्रिया की जांच पड़ताल करेंगे। इस तरह के टेस्ट लाखों लोगों पर किए जाते हैं, ऐसे में कुछ मेडिकल समस्याओं का सामने आना एक संयोग है। बल्कि जॉनसन एंड जॉनसन ने बताया कि सबसे पहले वो यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि व्यक्ति को टीका दिया गया था या प्लेसिबो। जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी उम्मीद कर रही है कि वो अपने टीके के ट्रायल के लिए 60,000 उम्मीदवारों को ले पाएगी। हालाँकि अब वालंटियर्स का रजिस्ट्रेशन रोक दिया गया है।
भारत का फेलुदा टेस्ट
कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए भारत ने एक नया तरीका ईजाद किया है। ‘फेलुदा पेपर स्ट्रिप टेस्ट’ को सीएसआईआर और टाटा ग्रुप ने डेवलप किया है। इसके इस्तेमाल और व्यावसायिक इस्तेमाल को ड्रग कंट्रोलर ऑफ़ इंडिया ने मंजूरी भी दे दी है। प्रख्यात फिल्मकार और साहित्यकार सत्यजीत रे के मशहूर जूस किरदार फेलुदा के नाम पर कोरोना टेस्ट किट का नाम रखा गया है। इस किट की कीमत 500 रुपये है और ये 45 मिनट में टेस्ट का परिणाम बता देता है। प्रेगनेंसी टेस्ट की भांति इस किट में नेगेटिव या पॉजिटिव आने पर कलर बदल जाता है। स्वस्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा है कि ये किट बहुत जल्द लांच कर दी जायेगी।
नील मणि लाल
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