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LAC पर हाई अलर्ट: बड़ी संख्या में तैनात चीनी सैनिक, भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती

विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में LAC पर बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की मौजूदगी भारत के समक्ष बहुत गंभीर सुरक्षा चुनौती है। 

Shreya
Published on: 17 Oct 2020 6:49 PM IST
LAC पर हाई अलर्ट: बड़ी संख्या में तैनात चीनी सैनिक, भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती
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LAC पर हाई अलर्ट: बड़ी संख्या में तैनात चीनी सैनिक, भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन (India China Tension) के बीच मई महीने से ही तनाव जारी है। सीमा पर इस तनातनी को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ताएं तक हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इस बीच केंद्रीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में LAC पर बड़ी संख्या में हथियारों से लैस चीनी सेना के जवानों की मौजूदगी भारत के समक्ष बहुत गंभीर सुरक्षा चुनौती है।

हिंसक झड़पों से सार्वजनिक और राजनीतिक तौर पर गहरा प्रभाव पड़ा

एशिया सोसाइटी द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर हिंसक झड़पों का सार्वजनिक और राजनीतिक तौर पर बहुत गहरा प्रभाव रहा है। साथ इसकी वजह से दोनों देशों के बीच रिश्तों में गंभीर उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है। जयशंकतर ने कहा कि सीमा के उस हिस्से में भारी संख्या में हथियारों से लैस चीन की सेना (PLA) के सैनिक तैनात हैं और यह भारत के समक्ष बहुत गंभीर सुरक्षा चुनौती है।

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INDIAN-CHINESE ARMY (फोटो- सोशल मीडिया)

15 जून को हिंसक झड़प के बाद बिगड़ा माहौल

गौरतलब है कि मई महीने से जारी तनाव तब और बढ़ गया जब 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों हिंसक झड़प हो गई। इस झड़प में हमारे देश (भारतीय सेना) के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प में भारतीय सैनिकों ने चीनी पक्ष को भी काफी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन चीन ने अपने हताहत हुए या मारे गए सैनिकों की संख्या सार्वजनिक नहीं की थी।

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शांति व चैन चीन के साथ रिश्ते का आधार

जयशंकर ने कहा कि भारत ने बीते 30 साल में चीन के साथ संबंध बनाए हैं और LAC पर शांति व चैन इस रिश्ते का आधार रहा है। उन्होंने कहा कि 1993 से लेकर अब तक ऐसे कई समझौते हुए हैं, जिन्होंने शांति और अमन-चैन की रूपरेखा तैयार की है। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में आने वाले सैन्य बलों सीमित करने का काम किया और यह निर्धारित किया कि सीमा का प्रबंधन कैसे किया जाए व सीमा पर तैनात सेना एक-दूसरे की तरफ बढ़ने पर कैसा बर्ताव करें।

समझौतों को किया गया दरकिनार

लेकिन इस साल इन समझौतों की इस पूरी श्रृंखला को दरकिनार कर दिया गया। सीमा पर बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती इन सबसे बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने कहा कि जब ऐसा टकराव का बिंदु आया, जहां कई स्थानों पर सैनिक बड़ी संख्या में एक-दूसरे के निकट आए तो 15 जून जैसी दुखद घटना घटी। उन्होंने कहा कि 1975 के बाद जवानों के शहीद होने की यह पहली घटना थी। जिसने बहुत गहरा सार्वजनिक राजनीतिक प्रभाव डाला है। साथ ही इससे गंभीर रूप से दोनों देशों के रिश्तों में उथल-पुथल मची।

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