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रिहायशी इलाकों में व्यवसायिक गतिविधियों पर हाईकेार्ट ने सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि रिहायशी कालोनियों में बैंक, नर्सिंग होम्स या अन्य किसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियेां को रेाकने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि रिहायशी कालोनियों में बैंक, नर्सिंग होम्स या अन्य किसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियेां को रेाकने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने सरकार केा इसके लिए एक माह का समय दिया है। केार्ट ने सरकार से स्टेटस रिपेार्ट मांगते हुए मामले की सुनवायी एक माह करने का निर्णय लिया है।
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यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल एवं जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने निशातगंज रेजीडेंटस वेलफेयर सोसायटी की ओर से 2001 में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया। याची के वकील बीके सिंह का कहना था सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसम्बर 2011 को आरके मित्तल के मामले में स्पष्ट कहा था कि रिहायश के लिए चिन्हित इलाकों में बैंकिग, नर्सिंग या अन्य किसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियां नहीं चलायी जा सकती हैं किन्तु लखनऊ में धलल्ले से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं।
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इस पर बेंच ने गंभीर संज्ञान लेते हुए सरकारी वकील केा आदेश दिया कि सरकार से इस बात का निर्देश लेकर उसे बताया जाये कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने क्या कदम उठाये हैं।