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बेसिक शिक्षा निदेशक पर कोर्ट ने लगाया पांच लाख रुपये का हर्जाना

कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा को आदेश दिया है कि 2 हफ्ते के भीतर 5 लाख रुपये का याची को भुगतान करें और साथ ही प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा तथा निदेशक बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश प्रयागराज से एक हफ्ते में हलफनामा मांगा है। याचिका की सुनवाई 3 दिसंबर को होगी।

SK Gautam
Published on: 16 Nov 2019 10:18 PM IST
बेसिक शिक्षा निदेशक पर कोर्ट ने लगाया पांच लाख रुपये का हर्जाना
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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व निदेशक बेसिक शिक्षा से व्यक्तिगत हलफनामा तलब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले 17 सालों से वेतनमान के लिए भटक रही प्राइमरी विद्यालय की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के साथ न्याय किया है। कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा को आदेश दिया है कि 2 हफ्ते के भीतर 5 लाख रुपये का याची को भुगतान करें और साथ ही प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा तथा निदेशक बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश प्रयागराज से एक हफ्ते में हलफनामा मांगा है।

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याचिका की सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने अवध रानी की अवमानना याचिका पर दिया है। मालूम हो कि कोर्ट ने निदेशक के आदेश को रद्द करते हुए याची को चतुर्थ श्रेणी कर्मी का वेतनमान देने का आदेश दिया था और कहा था की 1983 से लेकर 2001 तक के वेतन भुगतान अंतर का बैंक रेट ब्याज लगाकर भुगतान किया जाए।

कोर्ट ने निदेशक पर 5हजार रुपये हर्जाना भी लगाया था। इस आदेश का पालन नहीं किया गया, तो 8 महीने बाद याची ने अवमानना याचिका दाखिल की। सरकार ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की। किन्तु सरकार को कोई राहत नहीं मिली। जो बाद में अदम पैरवी में खारिज हो गई। सरकार की तरफ से पुनस्र्थापना अर्जी दाखिल की गई है, जो विचाराधीन है। कोई अन्तरिम आदेश सरकार के पक्ष में नहीं है। कोर्ट ने कहा पिछले 17 साल से गरीब वादकारी को परेशान किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई तीन दिसम्बर को होगी।

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विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को 40 वर्ष के बाद नियुक्ति नहीं देने का बीएसए का आदेश रद्द

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को 40 वर्ष की आयु के बाद नियुक्ति नहीं देने का बेसिक शिक्षा विभाग का आदेश रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 1981 के रूल 6 के मुताबिक विशिष्ट बीटीसी वर्ष 2004, 2006 और 2008 के अभ्यर्थियों को 50 वर्ष की आयु तक नियुक्ति देने का प्राविधान है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने महिमा श्रीवास्तव और अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने याचीगण को तीन सप्ताह में नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना है कि याचीगण ने 68500 सहायक अध्यापक के लिए आवेदन किया था।

अध्यापक पात्रता परीक्षा में वह सफल हुए। उनकी काउंसलिंग प्रयागराज में करायी गयी। इसके बाद 40 से अधिक आयु होने के कारण नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। अधिवक्ता का कहना था कि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 31 अगस्त 2018 को सर्कुलर जारी किया था कि विशिष्ट बीटीसी 2004, 2007 और 2008 के अभ्यर्थियों को 50 वर्ष की आयु तक नियुक्ति दी जाए।

बीएसए के सचिव की ओर से आपत्ति की गयी कि याचीगण पूर्व में आयोजित सहायक अध्यापक भर्तियों में भाग ले चुके हैं। इसलिए अब उनको बार-बार अवसर नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि रूल 6 में ऐसा कोई रोक नहीं है और नही शासन ने ऐसा कोई आदेश निर्णीत किया है कि इन अभ्यर्थियों को कितनी बार मौका दिया जायेगा।

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विवेचना की प्रगति रिपोर्ट तलब, सुनवाई 4 को

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के चुना कंकड़ गली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश चन्द्र अग्रवाल के घर हुई चोरी को विवेचना प्रगति रिपोर्ट के साथ दो सप्ताह में हलफनामा मांगा है। याची ने मथुरा कोतवाली में चोरी की एफआईआर दर्ज कराई है। चोरी का खुलासा न होने के कारण यह याचिका दाखिल की गई है। याचिका की सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीष तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने दिया है। याची का कहना है कि उसके घर 19 मार्च 19 को चोरी हुई। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस चोरी का पता नहीं लगा पा रही है। कोर्ट ने पुलिस को चोरी का खुलासा करने का 5 सप्ताह का समय दिया था। इसके बावजूद पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर सकी है। जिस पर यह याचिका दाखिल की गई है।

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दहेज उत्पीड़न के आरोपी जेठ जेठानी को मिली सशर्त अग्रिम जमानत

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के आरोपी जेठ, जेठानी को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने यह आदेश सीधे हाईकोर्ट में दाखिल अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने याची को विवेचना में सहयोग करने जैसी शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया है। पालन न करने की दशा में कोर्ट द्वारा मिली राहत निरस्त हो सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा ने झांसी के रक्षा थाने के निवासी जितेंद्र उर्फ राघवेंद्र व पूनम की अर्जी पर दिया है। याची अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा का कहना था कि याची पीड़िता से अलग रह रहे हैं और उन्हें दहेज उत्पीड़न से कोई सरोकार नहीं है। उन्हें झूठा फंसाया गया है।

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