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बादशाह विकास दुबे, घर के भीतर से रखता था पल पल की खबर

पुलिस ने जब कार्रवाई के दौरान विकास दुबे के घर को जमींदोज किया तो उसमें एक बंकर भी मिला जिसे देखकर गांव वाले भी सन्न रह गये। कहा जा रहा है कि विकास दुबे जब भी पुलिस से बचने की कोशिश करता था तो इसी बंकर में छिप जाता था।

Newstrack
Published on: 4 July 2020 11:05 AM GMT
बादशाह विकास दुबे, घर के भीतर से रखता था पल पल की खबर
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ। कई दशक पहले दुर्दान्त अपराधियों के बारे में कहा जाता था कि उनका घर नहीं होता है। वह जंगलों में घूमते रहते हैं । अपराधियों की जिन्दगी खानाबदोश हुआ करती थी पर अब सब कुछ बदल चुका है तो अपराधियों की भी जीवनशैली मे बदलाव आ गया है। अब अपराधी विलासितापूर्ण जीवन जीते है और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते है। आलीशान मकानों में रहते हैं। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे इसका जीता जागती मिशाल है।

पढ़ा लिखा है विकास दुबे अंग्रेजी भी बोलता है

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के बारे में जो तथ्य सामने आए है उसे जानकर लोग हैरान हैं। विकास दुबे पढा लिखा अपराधी है। विकास दुबे की मां का कहना है कि उसकी नौकरी नेवी और एयरफोर्स में लग गयी थी पर उसने इन्हे ज्वाइन नहीं किया। उसका मन तो केवल छोटे-छोटे अपराधो में रमने लगा था। विकास अंग्रेजी भी ठीकठाक बोलता है और कम्प्यूटर आदि की भी अच्छी जानकारी रखता है।

आलीशान मकान में बंकर और सीसीटीवी कैमरे भी

पुलिस ने जब कार्रवाई के दौरान विकास दुबे के घर को जमींदोज किया तो उसमें एक बंकर भी मिला जिसे देखकर गांव वाले भी सन्न रह गये। कहा जा रहा है कि विकास दुबे जब भी पुलिस से बचने की कोशिश करता था तो इसी बंकर में छिप जाता था। यही नहीं उसने अपने घर में कई जगह पर सीसीटीवी लगवा रखे थें। जिससे वह हर जाने वाले की गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रखता था। दो बीघा जमीन पर बने उसके आलीशान मकान में लगे दो दर्जन सीसीटीवी कैमरों के डीवीआर गायब है। इससे पता चलताा हे कि वह कितना होशियार अपराधी है।

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दो बीघे जमीन पर तीन तरफ से दरवाजे वाला मकान

उसने बिकरू गांव में करीब दो बीघा जमीन पर बने आलीशान मकान के भीतर पुराना जर्जर मकान भी है। परिसर के चारों ओर करीब 12 फुट ऊंची चहारदीवारी को कंटीले तारों से लैस किया गया था। कुख्यात अपराधी और यूपी मोस्ट वांटेड विकास दुबे उर्फ विकास पंडित का घर किले से कम नहीं है। शातिर दिमाग होने के कारण विकास पंडित का घर ऐसा बना है कि उसमें लगे तीन बड़े दरवाजे तीन दिशाओं में खुलते हैं। छत पर जाने के लिए दो जीना हैं। सभी द्वार पर दो-दो सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। ऊंची-ऊंची चाहरदीवारी से कोई न आ सके लिए लिए कटीले तारों की बैरीकेटिंग भी की गई है। घर के भीतर कोई देख नहीं सकता है। लेकिन छतों से पूरे गांव को देखा जा सकता है।

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कैसे उतरा अपराध की दुनिया में विकास दुबे

विकास दुबे के अपराध की दुनिया की शुरूआत 90 के दशक से होती है जब प्रदेश की राजनीति बदलाव के दौर में थी। जातिवाद से भरी चैबेपुर क्षेत्र के गांव में उसने गैरजाति के एक व्यक्ति की हत्या कर दी। राजनीतिक दलों के संरक्षण के साथ ही उसे अपनी जाति के लोगों का समर्थन मिला। इससे युवक विकास के हौसलों को बल मिला। इसके बाद जब प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो एक कैबिनेट मंत्री का संरक्षण मिल गया। इससे उसका बल और बढ गया। इसी बीच भाजपा की सरकार चली गयी तो उसे सपा बसपा की साझा सरकार के मंत्रियों का संरक्षण मिल गया और उसके अपराध का क्षेत्र बढता गया। पूरे एक दशक तक प्रदेश में सरकारें बदलती रही और विकास दुबे धनबल से मजबूत होता गया।

जिनके संरक्षण में रहा उन्ही की हत्या कर दी

प्रदेश में जब राजनाथ सिंह की सरकार थी तो 2001 में उसने श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष और अपने राजनीतिक गुरू संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी। बाद में सत्ता के संरक्षण में उसने आत्मसमर्पण भी कर दिया। पुलिस गवाही से मुकरी और तफ्तीश कमजोर रही। लिहाजा विकास दुबे छूट गया। इसके बाद वह पूरी गुंडई के साथ अपना आतंक बढ़ाता रहा और अब बीती रात उसने 8 पुलिस वालों की हत्या कर दी। इस बीच बदलती सरकारों के दौर में कभी समाजवादी पार्टी तो कभी बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा ।

सत्ता के संरक्षण में उसने शिवली के आसपास की जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। शिवली बाजार में उसके गुर्गे वसूली करने लगे। आए दिन गोलीबारी की घटनाओं और बढते हुए गैंग के चलते कोई भी कुछ बोलने का तैयार नहीं था। वह दलगत नेताओं की पैसे से भी मदद करतरा था। जिसके चलते उसका उस क्षेत्र में खूब दबदबा हो गया।

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विधायक बनना चाहता था विकास दुबे

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की विधायक बनने की प्रबल इच्छा रही। उसने पहले 2012 में टिकट पाने का प्रयास किया और हर दल में गया पर उसे टिकट नहीं मिल पाया। लेकिन वह हताश नहीं हुआ और एक बार फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में उसने कई राजनीतिक दलों के दरवाजों पर अपनी दस्तक दी। पर राजनीति के बदले माहौल ने उसे टिकट पाने में बाधा पैदा कर दी। जब उसकी राजनीतिक पूरी नहीं हुई तो उसने अपनी पत्नी का पंचायत सदस्य के चुनाव में उतार दिया।

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