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ये कैसा विकास? बेटी की कब्र पर फूल भी नहीं चढ़ा सकता पिता!
उस दिन के बाद से एक पिता अपनी बेटी की कब्र देखने को भी तरस गया है। असहाय उमेश मिश्रा ने कई दरवाज़े खटखटाये लेकिन किसी भी अधिकारी को उनके आंसू नहीं दिखे।
लखनऊ: बेटी को खरोंच भी आ जाए तो पिता तिलमिला उठता है, लेकिन उस पिता की बेबसी के बारे में अंदाजा लगाइये जिसकी बेटी की छाती पर कई टन मिट्टी वर्षों से पड़ी हो। क्या हुआ विश्वास नहीं हो रहा, लेकिन ये एकदम सच है। गोमतीनगर निवासी उमेश मिश्रा की बेटी एंड्री की अकाल मृत्यु 2 सितंबर 2011 को हो गयी थी।
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बेटी की उम्र कम होने के कारण उसे भैंसाकुण्ड में दफना दिया गया। कुछ समय तक तो सब सामान्य रहा, फिर काम शुरू हुआ गोमती रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण का काम। गोमती नदी को सुंदर बनाने की प्रक्रिया में नदी से निकाली गयी मिट्टी और कूड़े को जगह के अभाव में एंड्री जैसे कई और बच्चों की कब्र पर रख दिया गया।
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उस दिन के बाद से एक पिता अपनी बेटी की कब्र देखने को भी तरस गया है। असहाय उमेश मिश्रा ने कई दरवाज़े खटखटाये लेकिन किसी भी अधिकारी को उनके आंसू नहीं दिखे। बेटी को गुजरे 8 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी उमेश को अपनी बेटी की याद आती है तो उसी मलबे के किनारे कुछ अगरबत्ती जला देते हैं।
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