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चौधरी का भी गठबंधन से मोह भंग, SP-BSP के बाद RLD का भी अकेले उपचुनाव लड़ने का ऐलान
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी की गांठ अब पूरी तरह से खुल चुकी है। बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद अब राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख चौधरी अजित सिंह भी गठबंधन से अलग हो गए हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी की गांठ अब पूरी तरह से खुल चुकी है। बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद अब राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख चौधरी अजित सिंह भी गठबंधन से अलग हो गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में बीजेपी को रोकने के लिए सपा-बसपा और आरएलडी का गठबंधन हुआ था।
गौरतलब है कि बसपा ने खुद को इस गठबंधन से अलग करने के संकेत दिए थे। अब आरएलडी भी इससे अलग हो गई है। रालोद ने फैसला किया है कि सपा-बसपा की तरह ही वो भी उपचुनाव अपने बलबूते लड़ेगी। यूपी में कुल 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं।
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हालांकि रालोद के यूपी अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा कि गठबंधन पर अभी विचार होगा, लेकिन आगामी चुनाव में सहयोगी पार्टियों की तरह ही उनके उम्मीदवार भी अपने बलबूते चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस पर अंतिम फैसला पार्टी के मुखिया अजीत सिंह और जयंत चौधरी लेंगे। अभी यह तय नहीं कि रालोद आगामी चुनाव में कुछ कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन चुनाव अकेले ही लड़ेगी।
अहमद ने कहा कि पार्टी प्रमुख चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी तय करेंगे कि पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इस पर अगले कुछ दिनों में बैठक के दौरान चर्चा हो सकती है। राज्य के नए राजनीतिक परिदृश्य में आरएलडी की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर अहमद ने कहा, "आरएलडी समाजवादी पार्टी के साथ थी। हमें अखिलेश के कोटे से सीटें मिलीं।"
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यूपी रालोद प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस को भी 'गठबंधन' का हिस्सा होना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि हाल के राजनीतिक घटनाक्रम से कौन लाभान्वित होगा, अहमद ने कहा, "लाभ और हानि का विश्लेषण बाद में किया जाएगा। हमारी इच्छा है कि गठबंधन को अपना 'कुनबा' बढ़ाना चाहिए, ताकि हम बीजेपी के प्रबल विरोधी के तौर पर एक साथ उभर सकें।”
लोकसभा चुनाव में तीनों पार्टियों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन इसके बाद बीजेपी को रोकने में नाकामयाब रहे। बसपा को 10 तो सपा को सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि पश्चिमी यूपी की पार्टी आरएलडी का खाता भी नहीं खुला।
बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए उपचुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है, तो वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव ने भी मौजूदा हालात में गठबंधन की राहें अलग होने पर मुहर लगा दी है।