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जानिए कौन थे अशोक सिंघल, राम मंदिर आंदोलन में निभाई अहम भूमिका

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के धर्मयोद्धा स्व. अशोक सिंहल की पाँचवी पुण्यतिथि पर स्मरण कर भावांजलि अर्पित की गई। विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने इस अवसर पर कहा श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के मेरुदंड थे स्वर्गीय अशोक सिंहल।

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Published on: 17 Nov 2020 12:53 PM GMT
जानिए कौन थे अशोक सिंघल, राम मंदिर आंदोलन में निभाई अहम भूमिका
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राम मंदिर आंदोलन के नेता अशोक सिंघल की पाँचवी पुण्यतिथि, अयोध्या में दी गयी श्रद्धांजलि

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के धर्मयोद्धा स्व. अशोक सिंहल की पाँचवी पुण्यतिथि पर स्मरण कर भावांजलि अर्पित की गई। विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने इस अवसर पर कहा श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के मेरुदंड थे स्वर्गीय अशोक सिंहल।

राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका

राम मंदिर आंदोलन चलाने के लिए जनसमर्थन जुटाने में विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक स्व. सिंहल की अहम भूमिका रही।वह ऐसे धर्मरक्षक थे जिन्हो ने जन जन को एक सूत्र में पिरो दिया। उन्हों ने कहा विगत पांच दशक से ऐसे संत मनीषी के साथ संगठन तंत्र तथा आंदोलन को खड़ा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज भी वह हम सभी की स्मृतियों हैं।

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हिन्दुत्व को उच्चशिखर पर स्थापित करने के लिए हुआ था जन्म

अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष और केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य महंत कन्हैया दास ने कहा साकेतवासी अशोक जी का जन्म ही हिन्दुत्व को उच्चशिखर पर स्थापित करने और मंदिर निर्माण हेतु हुआ था। उन्होंने समाज को संगठित कर कथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों को भी हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया। उनकी ओज शक्ति ही उन्हे इस आंदोलन का अजेय योद्धा बनाकर जन जन मे लोकप्रिय बना दिया।

मंडलेश्वर प्रेम शंकर दास ने कहा अशोक सिंहल श्रीराम योद्धा थे जिनकी वांणी पर लाखो नवयुवक रक्त देने को तत्पर हो उठते थे। वह अब नही है परंतु वह आज भी राम जन्मभूमि निर्माण के संकल्प की सिद्धि मे जीवित हैं। उनका स्वप्न साकार रूप प्राप्त कर रहा यही उनको हम सभी की ओर से श्रद्धांजलि है।

विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने स्व अशोक सिंहल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा आदरणीय अशोक जी का जन्म 15 सितंबर 1926 में हुआ और पढ़ाई के दौरान वह संघ के संपर्क में आए और फिर प्रचारक बन गए. उन्हें वर्ष 1981 में विश्व हिंदू परिषद में भेज दिया गया और देश में हिंदुत्व की भावना को फिर से मजबूत करने के लिए 1984 में धर्मसंसद के आयोजन में अशोक सिंहल जी ने मुख्य भूमिका निभाई। इसी धर्म संसद में साधु-संतों की बैठक के बाद राम जन्मभूमि आंदोलन की नींव पड़ी थी और उन्होंने इसका विस्तार पूरे देश में किया।

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राममंदिर के शिलान्यास से लेकर कारसेवा तक अहम भूमिका

राममंदिर के शिलान्यास से लेकर कारसेवा और कलंक विध्वंस में अशोक सिंहल जी अहम भूमिका में रहे. 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अशोक सिंहल जी ने कहा था, 'यह मात्र एक मंदिर का नहीं, हिंदू राष्ट्र का शिलान्यास है.' राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अशोक सिंहल ने राम मंदिर आंदोलन को हिंदुओं के सम्मान से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई और देश भर में आंदोलन के लिए लोगों को एकजुट किया।

वह 2011 तक विहिप के अध्यक्ष रहे और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने स्वतः अपने पद से मुक्ति ले ली था परन्तु कार्यकर्ताओं के विशेष निवेदन पर वह आजीवन संत धर्माचार्यों से संपर्क और मंदिर निर्माण हेतु अयोध्या प्रवास करते रहे 17 नवंबर 2015 को उनका निधन दिल्ली में हो गया। आज भी वह हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के हृदय मे विराजमान हैं। आज उनके संकल्प की पूर्णता भव्य मंदिर से हो रही है।

नाथ बख्श सिंह

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