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UP का ऐसा CM: लगे थे पैसों की हेरफेर के आरोप, मरने के बाद निकले सिर्फ 10 हजार

चंद्रभान गुप्ता के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1926 में हुई। उनको उत्तर प्रदेश कांग्रेस और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया।

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Published on: 11 March 2021 6:41 AM GMT
UP का ऐसा CM: लगे थे पैसों की हेरफेर के आरोप, मरने के बाद निकले सिर्फ 10 हजार
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UP का ऐसा CM: लगे थे पैसों की हेरफेर के आरोप, मरने के बाद निकले सिर्फ 10 हजार

लखनऊ: 3 बार यूपी के सीएम रहे चंद्रभान गुप्ता भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनेता थे। वे 7 दिसम्बर 1960 को पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और इसके बाद वे दो बार और मुख्यमंत्री रहे। चंद्रभान गुप्ता के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1926 में हुई। उनको उत्तर प्रदेश कांग्रेस और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया।

बचपन में शरारती स्वभाव के थे चंद्रभान गुप्ता

चंद्रभान गुप्ता लड़कपन में शरारती स्वभाव के थे। लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान खूब हंसी-मजाक किया करते थे। चंद्रभान ने राजनीति में आते ही बहुत कम समय में कांग्रेस में अपनी पहचान बना ली थी। वे इसके तुरंत बाद ही यूपी कांग्रेस के ट्रेजरार, उपाध्यक्ष और अध्यक्ष भी बने। उनका कहना था कि जो भी करो वो अलग हटकर करो तभी तुम दुनिया की नजर में रहोगे।

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कहा जाता है कि यूपी के मुख्यमंत्री रहे चंद्रभानु गुप्ता निजी जीवन में काफी कंजूस थे। 1960 में वो पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। राजनीति की गलियारों से होते हुए उनके किस्से बहुत मशहूर हैं। आज उनकी पुण्यतिथि पर उनमें से कुछ किस्से लाए हैं हम आपके लिए...

10 बार जेल गए, 17 साल की उम्र में बने आंदोलन का हिस्सा

चंद्रभान गुप्ता 17 साल की उम्र में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग ले चुके थे। ब्रिटिश सरकार का विरोध करते-करते 10 बार से ज्यादा बार जेल गए। नेहरू की नापसंदगी के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा लेना पड़ा था, लेकिन 1967 के चुनाव में जीतने के बाद फिर से मुख्यमंत्री बने। हालांकि इस बार सिर्फ 19 दिनों के लिए ही। इसका कारण था कि चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस तोड़कर अपनी पार्टी बना ली, जिससे सरकार गिर गई। चंद्रभानु की सीएम पद की कुर्सी चली गई और चौधरी चरण सिंह सीएम बन गए।

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उनकी संपत्ति पर मचा था बवाल

कहा जाता है कि बड़े-बड़े बिजनेसमैन सरकारी सपोर्ट लेने के लिए चंद्रभानु गुप्ता के पास आते थे। ऐसे में उन पर आरोप लगने लगे कि उन्होंने काफी पैसों की हेरफेर करके अपने पास जमा कर रखे हैं। ऐसे आरोप सुनकर वो कभी नहीं घबराते थे और मजाकिया अंदाज में अपने विरोधियों को जवाब देते थे ‘गली-गली में शोर है, चंद्रभानु गुप्ता चोर है’। सबसे दिलचस्प बात ये थी कि जब वो मरे तो उनके बैंक अकांउट में महज 10 हजार रुपए थे जबकि उनके घर में नाम मात्र का सामान था। चंद्रभान गुप्ता का जन्म 14 जुलाई, 1902 को अलीगढ़ मे हुआ था वहीं 11 मार्च, 1980 को लखनऊ में चंद्रभान गुप्ता की मृत्यु हो गई।

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