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राम मंदिर भूमि पूजनः और कुछ नहीं तो मूहूर्त को लेकर भिड़ गए, क्या चाहिए इनको

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर विवाद शुरु हो गया है। भूमि पूजन के मूर्हत को लेकर संतों में दो फाड़ हो गया है।

Newstrack
Published on: 23 July 2020 11:01 AM GMT
राम मंदिर भूमि पूजनः और कुछ नहीं तो मूहूर्त को लेकर भिड़ गए, क्या चाहिए इनको
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वाराणसी: अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर विवाद शुरु हो गया है। भूमि पूजन के मूर्हत को लेकर संतों में दो फाड़ हो गया है। द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के लिए पांच अगस्त के मुहूर्त पर सवाल उठाया है। स्वरुपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई कार्य उत्तम काल खंड में शुरू किया जाता है। पांच अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है।

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'मंदिर नहीं संघ का कार्यालय बन रहा है'

अविमुक्तेश्वरानंद ने आरोप लगाते हुए कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर के नाम पर बीजेपी राजनीति कर रही है। बगैर शुभ मूर्हत के ही भूमि पूजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये भूमि पूजन राममंदिर का नहीं हो रहा है बल्कि बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का नया दफ्तर खुल रहा है। उन्होंने कहा कि भाद्रपद में किया गया गृहारंभ निर्धनता लाता है। विष्णु धर्म शास्त्र के अनुसार, भाद्रपद मास में किया गया शुभारंभ विनाश का कारण होता है। ये कुछ वैसा ही साबित होगा जैसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर मंदिरों को तोड़ा गया। उसके बाद से कोरोना जैसी महामारी ने देश में दस्तक दी है।

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'भूमि पूजन के लिए मोदी के पास रहेगा सिर्फ 32 सेकेंड'

काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि हरिशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी के बीच विवाह आदि मंगल कार्य करने का निषेध है, लेकिन पूजन आदि धार्मिक कार्यों पर रोक नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि भूमि पूजन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर का हो रहा है, इसलिए शुभ दिन और मंगल मुहूर्त का कोई मतलब नहीं है। दरअसल 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच का समय आरक्षित किया गया है। हालांकि मोदी के पास भूमि पूजन के लिए सिर्फ 32 सेकेंड का समय ही रहेगा।

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