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आगरा के जिला जज, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल नियुक्त
नव नियुक्त महानिबंधक सोमवार 4 नवंबर को कार्यभार ग्रहण करेंगे। वही आज संयुक्त निबंधक, 01 उप निबंधक, 02 सहायक निबंधक और 02 अनुभाग अधिकारी के पदो पर भी पदोन्नति की गयी ।
प्रयागराज: आगरा के जिला जज अजय कुमार श्रीवास्तव इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक नियुक्त किये गये हैं। अभी तक महानिबंधक रहे मयंक जैन का जिला जज आगरा के पद पर तबादला किया गया है।
नव नियुक्त महानिबंधक सोमवार 4 नवंबर को कार्यभार ग्रहण करेंगे। वही आज संयुक्त निबंधक, 01 उप निबंधक, 02 सहायक निबंधक और 02 अनुभाग अधिकारी के पदो पर भी पदोन्नति की गयी ।
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महानिबंधक मयंक कुमार जैन की अधिसूचना के अनुसार उमापति को उप निबंधक के पद से संयुक्त निबंधक के पद पर, गोपाल कृष्ण पाण्डेय को सहायक निबंधक के पद से उप निबंधक के पद पर, सुरेश श्रीवास्तव, अजीत कुमार गोंड को अनुभाग अधिकारी के पद से सहायक निबंधक के पद पर और राकेश यादव, कुमार अम्बिका को समीक्षा अधिकारी के पद से अनुभाग अधिकारी के पदो पर पदोन्नति प्रदान की गयी है।
महासचिव बृजेश कुमार शुक्ल ने समस्त पदोन्नति प्राप्त अधिकारियों को दी बधाई
उच्च न्यायालय कर्म अधिकारी संघ के महासचिव बृजेश कुमार शुक्ल ने समस्त पदोन्नति प्राप्त अधिकारियों को बधाई देते हुए मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर, संघ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बाल कृष्ण नारायण, न्यायमूर्ति मनोज मिश्र, न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और महानिबंधक मयंक कुमार जैन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित की है।
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ग्राम पंचायत अधिकारी के खाली पदों को भरने के आदेश पर पुनर्विचार की आयोग की अर्जी खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम पंचायत अधिकारियों की भर्ती में खाली रह गए पदों पर अपीलार्थियों की नियुक्ति के आदेश पर पुनर्विचार करने की उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट के इस आदेश से विज्ञापन संख्या 7(3)2015 की भर्ती में बचे पदों को भरने का रास्ता साफ हो गया है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने करुणेश कुमार व दो अन्य की विशेष अपील पर आयोग द्वारा दाखिल पुनर्विचार अर्जी पर दिया है। अपील पर अधिवक्ता का कहना था कि करुणेश कुमार व अन्य ने पिछड़ा वर्ग श्रेणी में आवेदन किया था।
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जिन्हें 87 अंक प्राप्त हुए। जो कट आफ मेरिट अंक के बराबर है। भर्ती में प्रतीक्षा सूची तैयार ना करने का प्रावधान किया गया था। इसके बदले यह व्यवस्था की गई थी, कि जितने पद विज्ञापित हुए हैं, उससे 25 फीसदी अधिक अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित किया जाएगा।
कई लोगों ने चयनित होने के बावजूद कार्यभार भी नहीं ग्रहण किया और काफी संख्या में पद खाली रह गए। अपीलार्थियों का कहना है था कि कट आफ मार्क से उन्होंने अधिक अंक प्राप्त किए हैं। ऐसे में उन्हें भी चयनित कर नियुक्ति दी जाए।
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नियुक्ति न देने के खिलाफ दाखिल याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गई। विशेष अपील को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही आयोग को एवं राज्य सरकार को खाली बचे पदों पर अपीलार्थियों की नियुक्त पर विचार करने का आदेश दिया और यह भी कहा था कि 21 दिसंबर 2018 से पहले प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
आदेश का पालन करने के बजाय आयोग ने पुनर्विचार अर्जी दी। जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।