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नहीं पहुंचीं एंबुलेंस: इस तरह हो रहे प्रसव, देख कर कांप उठेगी रूह

यह लापरवाही अब जच्चा-बच्चा की जान पर भी लेने लगी है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में सोमवार की रात नौ बजे से सुबह नौ तक दो मामले ऐसे आए, जिसमें मजबूरी में गर्भवती का घर पर प्रसव कराना पड़ा। जिसकी वजह से बच्चे की मौत हो गई।

SK Gautam
Published on: 12 May 2020 11:50 AM GMT
नहीं पहुंचीं एंबुलेंस: इस तरह हो रहे प्रसव, देख कर कांप उठेगी रूह
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कन्नौज: वैश्विक कोरोना संक्रमण में बेहतर काम करने वाले डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की मेहनत पर कुछ गैरजिम्मेदार व लापरवाह कर्मचारी पानी फेर रहे हैं। यह लापरवाही अब जच्चा-बच्चा की जान पर भी लेने लगी है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में सोमवार की रात नौ बजे से सुबह नौ तक दो मामले ऐसे आए, जिसमें मजबूरी में गर्भवती का घर पर प्रसव कराना पड़ा। जिसकी वजह से बच्चे की मौत हो गई।

करीब चार घंटे बाद देरी से एंबुलेंस तब पहुंची जब पुलिसकर्मियों ने फोन किया। दूसरे मामले में तो एंबुलेंस ही नहीं आई। ई-रिक्शे से अपनी पत्नी को लेकर चला युवक जब राजकीय मेडिकल कॉलेज तक पहुंचा तो रास्ते में ही प्रसव हो गया। दोनों ही मामलों में एंबुलेंस कर्मियों की लापरवाही सामने आई है। एक जगह तो एम्बुलेंस इसलिए समय से नहीं पहुंची कि वह स्थान जहां से कॉल हुई थी, कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से हॉटस्पाट बना हुआ है।

एक घंटे तक किया इंतजार, ई-रिक्शे में लिटाकर चले पत्नी को लेकर

कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब 19 किमी दूर तहसील तिर्वा क्षेत्र के गाजीपुर्वा गांव निवासी महेंद्र कुमार बताते हैं कि मंगलवार को सुबह नौ बजे एंबुलेंस को फोन किया और आने को कहा। लखनऊ से एंबुलेंस वालों ने कहा कि आपके पास अभी फोन आएगा। करीब पौन घंटे तक इंतजार किया, लेकिन कोई फोन नहीं आया। उसके बाद दर्द से कराह रही पत्नी नीलम को राजकीय मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए वाहन ढूंढने लगे। करीब एक घंटे बाद अपने पास से रुपए देकर ई-रिक्शा किया और पत्नी को राजकीय मेडिकल कॉलेज तिर्वा ले गए।

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गार्ड मोबाइल में मशगूल था

रिक्शे पर परिवार की महिलाएं थीं और महेंद्र बाइक से रिक्शे के पीछे पहुंचे। मेडिकल कॉलेज के पीछे गेट पर जब ई-रिक्शा पहुंचा तो महिलाएं कहने लगी कि कोई मदद कर दो, बहू को भर्ती कर लो। बच्चा हो गया है। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया, यहां पर एक गार्ड व एक अन्य कर्मचारी तैनात थे। गार्ड मोबाइल में मशगूल था। परिवार का एक सदस्य अंदर गया तो स्टेचर दे दी गई। लेकिन कोई भी महिलाकर्मी नहीं आई।

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दोबारा जाने पर दो महिलाकर्मी आईं। जन्मे बच्चे को उठाया और स्टेचर पर रखा। बाद में प्रसूता को भी स्टेचर से वार्ड की ओर ले जाया गया। रिक्शा चालक प्रेमसागर ने बताया कि महिला को रिक्शे से यहां तक लाए हैं। डिलीवरी केस है, रास्ते में ही प्रसव हो गया। साथ में आई एक महिला ने बताया कि रास्ते में मील यानि कोल्डस्टोरेज है, वहां पर ही प्रसव हो गया था।

हॉटस्पॉट घोषित कॉलोनी में नवजात की मौत

कन्नौज शहर के मोहल्ला शेखपुरा में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से हॉटस्पॉट क्षेत्र घोषित किया गया है। यहां की कांशीराम कॉलोनी मोहल्ला चौधरी सराय निवासी सुगरा ने बताया कि सोमवार की शाम सात बजे के बाद बहू शहजहां के दर्द हुआ तो नौ बजे एंबुलेंस गाड़ी को फोन किया। सगुरा का आरोप है कि हर 10-15 मिनट में कई बार फोन लगाया गया, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। गाड़ी जब नहीं आई तो परिजनों व पड़ोसियों ने मिलकर घर पर ही बच्चा पैदा कराया, जो मरा पैदा हुआ। सुगरा का कहना है कि वाहन मिल जाता तो बच्चा बच जाता। वाहन ही नही मिला तो अस्पताल कैसे आते। पुलिस वालों ने फोन किया तो रात एक बजे के करीब एंबुलेंस आई, उससे बहू को जिला अस्पताल लाया गया। लेकिन बच्चा खत्म हो चुका था।

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इनको नहीं मिली स्टेचर

राजकीय मेडिकल कॉलेज तिर्वा में ही उमर्दा क्षेत्र के कनौली पट्टी निवासी प्रमोद परिजनों के साथ अपनी पत्नी रिंकी को लेकर पहुंचे। हालांकि वह एंबुलेंस से लाई गईं थीं, लेकिन गेट पर स्टेचर नहीं थी। यहां तैनात किसी भी कर्मचारी ने भी स्टेचर लाने में मदद नहीं की। दर्द से परेशान रिंकी को परिजन पैदल ही वार्ड की ओर लेकर चल दिए। खास बात यह है कि मेडिकल कॉलेज परिसर में कई एंबुलेंस 108 और 102 नंबर खड़ी रहती हैं, लेकिन फिर भी वह मरीजों की पहुंच से दूर हैं। इससे उनकी जान पर बन आ रही है।

SK Gautam

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