यहां का तरबूज है बहुत ख़ास: खेतों तक सिमटकर रही गई तरबूज की मिठास

अबकी बार कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के चलते इत्रनगरी के तरबूज की मिठास कटरी क्षेत्र के खेतों तक ही सिमटकर रह गई है।

SK Gautam
Published on: 2 May 2020 12:16 PM GMT
यहां का तरबूज है बहुत ख़ास: खेतों तक सिमटकर रही गई तरबूज की मिठास
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कन्नौज: तरबूज का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। गर्मी में शरीर में पानी की कमी तो दूर करता ही है, साथ ही इसकी मिठास लोगों को बहुत भाता है। लेकिन अबकी बार कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के चलते इत्रनगरी के तरबूज की मिठास कटरी क्षेत्र के खेतों तक ही सिमटकर रह गई है। दिल्ली, हरियाणा, नेपाल के अलावा देश के कोने-कोने तक जाने वाले उत्तर प्रदेश के कन्नौज के तरबूज को अपने जिले की कृषि मंडी समिति तक पहुंचने के लाले पड़े गए हैं।

लॉकडाउन के कारण खेतों तक ही सिमटकर रही गई इत्रनगरी के तरबूज की मिठास

विश्व में कोरोना वायरस की चर्चा में है, जिसकी वजह से यूपी के कन्नौज के तरबूज का स्वाद भी फीका पड़ गया है। लॉकडाउन में तरबूज अपने जिले की मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे जिले के बाहर जा सके। बाहर के व्यापारी न आने से किसानों के चेहरों से रौनक गायब है। सदर ब्लॉक क्षेत्र के अलियापुर गांव निवासी किसान भगवती प्रसाद बताते हैं कि जिले के कटरी क्षेत्र में रामधारी व वैरायटी तरबूज अप्रैल में कृषि मंडी समिति में पहुंचने लगता था।

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कटरी इलाकों के साथ करीब एक हजार एकड़ में होती तरबूज कर पैदावार

वहां से व्यापारी दिल्ली, हरियाण, नेपाल, राजस्थान, महाराष्ट्र व बिहार समेत कई राज्यों में ले जाते थे। मांग अधिक होने से मुनाफा भी अधिक मिला था। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण तरबूज बाहर नहीं जा पा रहा। बक्शीपुर्वा गांव निवासी किसान रामआसरे बताते हैं कि वह हर साल कटरी में 50 बीघा तरबूज की खेती करते हैं। प्रति बीघा चार-पांच हजार का खर्च आता है। फल अच्छा होने से मुनाफा भी खूब होता है, लेकिन इस बार खरीदार ही नहीं मिल रहे है।

इन गांवों में तैयार होती फसल

जिले के वैसावारी, कूलापुर, जसोदा, तेरारागी, सरैया, लालपुर, चौराचांदपुर, महाबलीपुरम, अड़ंगापुर, बक्शीपुर्वा सदिकापुर, काशीपुर्वा पैंदाबाद, तुलापुर्वा, जुगइया, मेहंदीपुर, अलियापुर व सद्दूपुर बांगर समेत कई गांव में तरबूज की खेती की जाती है।

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हर दिन बाहार जाते थे 20 से ज्यादा ट्रक

दूसरे प्रदेशों के व्यापारी रात से ही यहां आ जाते थे, तड़के मंडी में खरीदारी शुरू हो जाती थी। सूरज निकलते-निकलते रोजाना 20 से अधिक ट्रक तरबूज भकर दूसरो प्रांतों को जाता था।

क्या बोले उद्यान अधिकारी

जिला उद्यान अधिकारी मनोज कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि कन्नौज में तरबूज का रकवा करीब 1000 हेक्टेयर के करीब होगा। इस बार फसल तो अच्छी है, बस बिक्री हो जाए तो ठीक है। आठ दिनों बाद तरबूज खूब आ जाएगा। अभी सीमित आ रहा है। दो दिन पहले मंडी समिति में बात हुई थी कि किसानों को नुकसान न हो, ऐसा कुछ किया जाए। बताया गया है कि एक्शन प्लान बना लिया गया है, लेकिन मंडी में व्यापारी नहीं आ रहा।

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