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ODOP: एक जिला-एक उत्पाद से बदलेगी तस्वीर

raghvendra
Published on: 19 July 2019 6:44 AM GMT
ODOP: एक जिला-एक उत्पाद से बदलेगी तस्वीर
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: यह सरकार के छोटे-छोटे प्रयासों के पंख लगने की कहानी है। इस कहानी में किरदार के लिए न तो किसी डिग्री की जरूरत है और न ही धनराशि रास्ते में बाधक है। उत्तर प्रदेश के हर जिले में किसी न किसी उत्पाद बनाने का मैटेरियल, माहौल और हुनर मौजूद है। बरेली के बेंत, आगरा का पेठा, फिरोजाबाद का कांच, मुरादाबाद का पीतल, अलीगढ़ का ताला, अमरोहा की ढोलक, एटा के घुंघरू व घंटी, बलिया की बिंदी, लखनऊ का चिकन और कन्नौज का इत्र आदि अपना जलवा बिखेर रहे है। हर जिले में किसी न किसी एक उत्पाद को तैयार करने का ऐसा हुनर है कि उस उत्पाद की शोहरत प्रदेश ही नहीं सुदूर देशों तक फैली हुई है। हालांकि कई उत्पादों को देश में बाजार नहीं मिल पाया। अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत बड़े शापिंग माल से पार्टनरशिप करके इन उत्पादों के लिए शोरूम मुहैया कराने पर विचार कर रही है।

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इसके लिए राज्य सरकार ने ऑनलाइन कंपनी अमेजन के साथ एक करार भी किया है। ओडीओपी के 300 उत्पादों के लिए अमेजन कोई शुल्क नहीं लेगा। अभी कुल 11296 ओडीओपी उत्पाद अमेजन की साइट पर उपलब्ध हैं। अमेजन के जरिये पिछले वित्तीय वर्ष में 41.39 लाख रुपये के ओडीओपी उत्पादों की बिक्री की गयी और अब तक कुल करीब 80 लाख के ओडीओपी उत्पादों को बिक्री हुई है। ओडीओपी योजना से प्रदेश सरकार का हर साल करीब पांच लाख लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। यही नहीं हर साल करीब 89 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात करने की तैयारी भी है। सरकार का मानना है कि ओडीओपी योजना से गांव से शहर की ओर पलायन रुकने के साथ ही बेरोजगारी भी कम होगी।

स्थानीय कारीगरों को लाभ पहुंचाना है मकसद

उत्तर प्रदेश में स्थानीय स्तर पर कई विशेष व्यवसाय समूह हैं। देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात में प्रदेश का योगदान 44 प्रतिशत है। इसी तरह कालीन में 39 प्रतिशत तथा चर्म उत्पाद में 26 प्रतिशत है। आगरा का पेठा और चमड़े के उत्पाद हों या फिरोजाबाद का कांच का सामान या फिर लखनऊ की चिकनकारी के वस्त्र, उत्तर प्रदेश में हर जिले का कोई न कोई उत्पाद प्रसिद्ध है, लेकिन साधन व संसाधनों के अभाव में वह केवल एक या दो जिले तक ही सीमित रह जाते हैं। जबकि देश व विदेश के बाजारों तक इसकी मांग है और कई बिचैलिये कारीगरों से औने-पौने में उनके उत्पाद खरीदकर देश के बड़े शहरों और विदेश तक में इन उत्पादों को बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। प्रदेश सरकार का प्रयास है कि प्रदेश की इस प्रतिभा व कौशल को देश व विदेशों के बाजारों में पहुंचा कर स्थानीय कारीगरों को लाभ पहुंचाया जाए।

शैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं

ओडीओपी योजना में सबसे खास बात यह है कि इसमे शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं है और डेढ़ करोड़ तक की परियोजना मंजूर की जा सकती है। योजना के लाभार्थियों को ऋण पर 20 लाख रुपये तक का मार्जिन मनी अनुदान के तौर पर दे रही है। सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को परियोजना लागत का 10 प्रतिशत स्वयं का अंशदान करना होता है। जबकि एससी-एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला और दिव्यांगों को महज पांच प्रतिशत अंशदान जमा करना होगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए न्यूनतम आयु 18 साल होनी अनिवार्य है। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि अभ्यर्थी डिफाल्टर न हो या किसी अन्य सरकारी योजना का लाभार्थी न हो।

काम के लिए मिलेगा अनुदान

उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुदान के लिए भी कुछ नियम बनाए हैं, जिसके तहत 25 लाख रुपये तक के ऋण पर 6.25 लाख रुपये, 25 से 50 लाख रुपये तक के ऋण पर लागत का 20 प्रतिशत तथा 50 लाख से ज्यादा के ऋण पर 10 प्रतिशत या 10 लाख में से जो ज्यादा हो अनुदान दिया जाएगा। विभागीय सचिव भुवनेश कुमार बताते है कि ऋण की रकम सीधे उद्यमियों के खाते में पहुंच जाएगी। प्रधानमंत्री मुद्रा बैंक योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, केन्द्र सरकार की स्टार्टअप व स्टैंड अप योजना के तहत उद्यमियों को ऋण दिया जाएगा। इसके लिए विभिन्न राष्ट्रीयकृत व निजी बैंकों की सहायता ली गई है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 916 लाभार्थियों को करीब 3150 लाख रुपये मार्जिन मनी दी गयी है और वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1940 लाभार्थियों को 97 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी देने का लक्ष्य है।

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ब्रांडिंग व मार्केटिंग में भी मदद

यूपी सरकार केवल ऋण पर मार्जिन मनी अनुदान ही नहीं दे रही है बल्कि ओपीडीपी योजना के तहत बनाए जाने वाले उत्पादों की ज्यादा से ज्यादा बिक्री के लिए इन उत्पादों की ब्रांडिंग व मार्केटिंग में भी सहयोग कर रही हैं। योजना के उत्पादों को आम जनता के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए देश और प्रदेश में नगर पंचायतों, नगर पालिकाओं, नगर निगमों, रेलवे स्टेशनों तथा एयरपोर्ट पर रिटेल दुकानों में ओडीओपी कार्यक्रम ब्रांडिंग करने की योजना है। इसके तहत इन दुकानों में ओडीओपी साइन बोर्ड और स्टैंडिज लगायी जानी है। जो दुकानदार ओडीओपी के उत्पादों का अलग से डिस्पले करेगा, उसकी दुकान के बोर्ड आदि की साज-सज्जा लघु उद्योग विभाग कराएगा।

कारीगरों की कुशलता को भी बढ़ावा

आर्थिक सहायता और बिक्री के साथ-साथ कारीगरों की कुशलता को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सभी जिलों में कौशल विकास एवं टूल किट योजना चलायी जा रही है। बीते वित्तीय वर्ष में कौशल विकास के लिए करीब छह हजार लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया और टूल किट दी गयी। उन्होंने बताया कि बीती 17 जून को नोएडा में करीब पांच सौ कारीगरों को तकनीकी व क्राफ्ट की बेसिक व एडवांस ट्रेनिंग देकर उद्योग विभाग कुशल कारीगरों की पौध तैयार की गयी है। इससे नोएडा के गारमेंट उद्योग में कारीगरों की मांग पूरी हो सकेगी। इसी तरह फिरोजाबाद के कांच उद्योग को चमकाने के लिए भी ओपीडीपी योजना का सहारा लिया जा रहा है। फिरोजाबाद में कांच उद्योग की 50 इकाइयां स्थापित की जाएंगी और इसके लिए चयनित लाभार्थियों को दो-दो करोड़ तक का बैंक लोन दिलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में करीब 30 हजार लाभार्थियों को कौशल विकास प्रशिक्षण व टूल किट वितरण करने का लक्ष्य हैं।

ट्रेड फेयर में भेजने के लिए आर्थिक मदद

प्रदेश सरकार अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत लाभार्थियों को देश-विदेश में होने वाले ट्रेड फेयर व मेलों में भेजने के लिए आर्थिक सहायता भी दे रही है। इसमे मेला स्थल पर स्टाल बुकिंग का किराया, माल ढुलाई और एक व्यक्ति के आने-जाने का किराया सरकार वहन कर रही है। इसी जुलाई माह में जापान के ओसाका शहर में इंडिया गार्मेंट फेयर एंड इंडिया फर्निशिंग फेयर में गौतमबुद्धनगर, बागपत, फतेहपुर, बस्ती, बिजनौर और सहारनपुर के लाभार्थियों को भेजा जाएगा।

दस सीएफसी की स्थापना की तैयारी

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग मंत्री सतीश महाना ने बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में सामान्य सुविधा केंद्र प्रोत्साहन योजना के तहत 10 सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) की स्थापना करने की तैयारी है। उद्योग मंत्री का कहना है कि इस योजना के तहत अब गांवों से शहरों को होने वाले पलायन पर भी रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि अधिकतर ग्रामीण आबादी रोजगार के सिलसिले में शहरों का रुख करती है। ओपीडीपी योजना में अब ग्रामीण क्षेत्र के निकटतम जिले में ही लोगों को रोजगार की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस योजना में हर जिले से उसकी विशिष्टता के मुताबिक उत्पाद का चयन किया गया है। जैसे फिरोजाबाद का कांच उद्योग, अलीगढ़ का ताला उद्योग, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, लखनऊ के चिकनकारी व जरदोजी वाले उत्पादों के उत्पादन व बिक्री में बढ़ावा दिया जा रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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