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जानिए 22 वर्ष बाद गुरु गोरक्षनाथ सम्मान से कौन होगा सम्मानित

हिन्दुस्तानी एकेडमी प्रयागराज द्वारा साहित्यकारों को पुरस्कृत करने की योजना बाईस वर्षों बाद पुनः शुरू होगी। इसमें दस लोगों को चयनित किया गया है, जिन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सांस्कृतिक केन्द्र में 10 से 15 जुलाई तक पुरस्कृत किया जायेगा।

Dharmendra kumar
Published on: 3 July 2019 11:14 PM IST
जानिए 22 वर्ष बाद गुरु गोरक्षनाथ सम्मान से कौन होगा सम्मानित
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लखनऊ: हिन्दुस्तानी एकेडमी प्रयागराज द्वारा साहित्यकारों को पुरस्कृत करने की योजना बाईस वर्षों बाद पुनः शुरू होगी। इसमें दस लोगों को चयनित किया गया है, जिन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सांस्कृतिक केन्द्र में 10 से 15 जुलाई तक पुरस्कृत किया जायेगा।

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एकेडमी के अध्यक्ष डाॅ. उदय प्रताप सिंह ने बुधवार को बताया कि अभी तिथि निश्चित नहीं हुई है। इसका प्रथम पुरस्कार गुरु गोरक्षनाथ सम्मान नाम दिया गया है, जिसमें पांच लाख रुपये का पुरस्कार आदिकालीन हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य पर सोनभद्र के निवासी डाॅ. अनुज प्रताप सिंह को दिया जायेगा। दूसरा पुरस्कार गोस्वामी तुलसीदास सम्मान ‘रघुनाथ गाथा’ के रचनाकार डाॅ. सभापति मिश्र को ढाई लाख रुपये त्था दो लाख रुपये का तृतीय पुरस्कार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान ‘वतन के लिए’ डाॅ. रामबोध पाण्डेय को दिया जायेगा।

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इसके साथ ही चतुर्थ महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान ‘वैश्वीकरण और हिन्दी’ के लिए डाॅ. योगेन्द्र प्रताप सिंह को दो लाख, पंचम महादेवी वर्मा सम्मान ‘साहित्य में स्त्री स्वत्व की अभिव्यक्ति और समकालीन नारी चिन्तन’ डाॅ. सरोज सिंह को एक लाख, छठा पुरस्कार फिराक गोरखपुरी सम्मान ‘हम भी हैं अदालत में’ शैलेन्द्र मधुर को एक लाख, सातवां भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान ‘गुलरी के फूल’ बृज मोहन प्रसाद को एक लाख, आठवां बनादास अवधी सम्मान ‘तुलसीदास अवधी महाकाव्य’ डाॅ. आद्या प्रसाद सिंह को एक लाख, नौवां कुम्भनदास ब्रजभाषा सम्मान ‘छनद कलश’ डाॅ. ओंकार नाथ द्विवेदी एक लाख एवं दसवां हिन्दुस्तानी एकेडमी युवा लेखन सम्मान ‘मैंने अनुभव से सीखा है’ विश्वभूषण को 11 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जायेगा।

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एकेडमी अध्यक्ष ने बताया कि यह पुरस्कार सर्वप्रथम 1927-28 में प्रेमचंद्र को 1100 रुपये एवं अंतिम 1997 में नामवर सिंह को 25 हजार रुपये का दिया गया था। इसी के उपरांत यह योजना बंद हो गयी थी, जिसे शासन के निर्देश पर पुनः चालू किया गया है। उन्होंने बताया कि आगे चलकर इसमें और नामों से जोड़कर साहित्यकारों का हौसला बढ़ाया जायेगा। इस दौरान एकेडमी के सचिव रविन्द्र सिंह भी उपस्थित रहे।



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Dharmendra kumar

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