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IAS पिता के कार्यकाल में नौकरी की सीढ़ियां चढ़ते गए डॉ मनोज यादव, अब योगी के मंत्री की आंख के तारे
योगी सरकार में आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी की आंख के तारे बने होम्योपैथी के अपर निदेशक डॉ मनोज यादव की नियुक्ति व प्रोन्नति पर भाजपा के विधायक भी सवाल उठाते रहे हैं।
लखनऊ: योगी सरकार में आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी की आंख के तारे बने होम्योपैथी के अपर निदेशक डॉ मनोज यादव की नियुक्ति व प्रोन्नति पर भाजपा के विधायक भी सवाल उठाते रहे हैं। विधायकों ने बार- बार पत्र लिखकर आयुष मंत्री को पूरा मामला बताया, इस पर जांच भी शुरू हुई लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के बजाय फाइलों में ही अब तक घूम रही है। वैसे भी आयुष मंत्री बसपा से भाजपा में आये हैं।
नतीजतन, भाजपा विधायकों की अनसुनी उनके कामकाज का हिस्सा है। सरकारी नौकरी में संविदा की बैकडोर एंट्री लेने वाले डॉ यादव के बारे बताया जाता है कि आईएएस पिता के रसूख का पूरा फायदा उनको विभाग में मिलता रहा। समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान विभाग में उनकी तूती बोलती थी इसलिए कारनामों पर धूल ही पड़ी रही।
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रमेश यादव के बारे में बताया जाता है
होम्योपैथी विभाग के गलियारों में अपर निदेशक डॉ मनोज यादव को निदेशक बनाने की जमीन तैयार करने में उनके आईएएस पिता रमेश यादव का रसूख भी काम आता रहा है। रमेश यादव के बारे में बताया जाता है कि वह कृषि विभाग के अधिकारी हुआ करते थे, पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के कार्यकाल में उन्हें सिविल सेवा में आने का मौका मिला। आईएएस पिता की पंचायती राज विभाग में तैनाती के दौरान ही डॉ मनोज यादव को संविदा पर पंचायती राज विभाग में होम्योपैथी चिकित्सक की तैनाती मिली।
इसके बाद उनके पिता आयुष विभाग में तैनात हुए तो पीछे-पीछे वह भी नेशनल होम्यो पैथी मेडिकल कॉलेज में स्थानान्तरण के आधार पर नियुक्ति पाने में कामयाब रहे। जबकि मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता पद पर तैनाती के लिए तीन साल का अध्यापन अनुभव अनिवार्य है। भाजपा के दो विधायकों महेश त्रिवेदी और रमेश चंद्र दिवाकर ने इसका कच्चा-चिठठा आयुष मंत्री के सामने खोला है। अपने पत्रों में भाजपा विधायकों ने बताया है कि होम्योपैथी विभाग में इनकी नियुक्ति नियमानुसार नहीं की गई है लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान देना उचित नहीं समझा।
Dharam Singh Saini (file photo)
होम्योपैथी विभाग में डॉ मनोज यादव की सीधी नियुक्ति 2005 में हुई थी
होम्योपैथी विभाग में डॉ मनोज यादव की सीधी नियुक्ति 2005 में तब हुई जब प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। प्रवक्ता पद पर आयोग से हुई इस भर्ती के आधार पर 2018 में उनकी कुल सेवा 13 वर्ष की हुई है लेकिन पंचायती राज विभाग में संविदा की सेवा और नेशनल मेडिकल कॉलेज में नियम विरूद्ध स्थानान्तरण अवधि को जोडकर उन्हें वरिष्ठता का लाभ दिया जा रहा है।
न्यूज ट्रैक को मिले दस्तावेज के अनुसार 2005 में उनके नियुक्ति आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि उनकी नियुक्ति दो वर्ष के परिवीक्षा यानी प्रोबेशन अवधि के साथ होगी यानी उनके पूर्व अनुभव का लाभ उन्हें नहीं दिया गया और माना गया कि अगले दो साल में अगर उनका कार्य संतोषजनक नही पाया जाता है तो उनकी नियुक्ति रद की जा सकती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी किया गया गुमराह
भाजपा विधायकों की शिकायत पर निदेशक होम्योपैथी से डॉ मनोज यादव के बारे में रिपोर्ट मांगी । उनकी रिपोर्ट के तथ्यों को देखते हुए कार्मिक विभाग से पूछा गया कि डॉ यादव अपर निदेशक के पद पर पदोन्नति के लिए निर्धारित अर्हता रखते हैं अथवा नहीं ।
इसके जवाब में कार्मिक विभाग ने आयुष विभाग से जानकारी मांगी लेकिन आयुष विभाग ने कार्मिक विभाग को सूचित करने के बजाय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई विभागीय चयन समिति की बैठक् में उनका प्रस्ताव पेश कराया और समिति की सिफारिश पर जून 2018 में मुख्यमंत्री से उनके प्रोन्नत होने संबंधी आदेश भी जारी करा दिए।
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जानकारों का कहना है कि विभागीय चयन समिति के समक्ष इन तथ्यों को नहीं लाया गया कि डॉ मनोज यादव की सीधी नियुक्ति 2005 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की संस्तुति पर हुई है। प्रोन्नत पाने के लिए तथ्यों को छुपाया गया है। पहले की तरह ही अब नई धांधली कर उन्हें अपर निदेशक से निदेशक की कुर्सी पर बैठाने की कोशिश की जा रही है।
अखिलेश तिवारी
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