TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

लॉकडाउन में 'राम' और 'हनुमान' बने कर्जदार, 'रावण' को भाईयों ने संभाला

शहर के सबसे पुराने वर्डघाट रामलीला समिति में बिहार के दरभंगा से पहुंचे कलाकारों की है। चुनावी मौसम में वादों-इरादों से इतर ये कलाकार सीने में दर्द लेकर अभिनय करने को अभिशप्त है।

Newstrack
Published on: 23 Oct 2020 12:48 PM IST
लॉकडाउन में राम और हनुमान बने कर्जदार, रावण को भाईयों ने संभाला
X
लॉकडाउन में 'राम' और 'हनुमान' बने कर्जदार, 'रावण' को भाईयों ने संभाला (Photo by social media)

गोरखपुर: जाहिर है आज का समयकाल रामराज्य नहीं है। तभी तो रामराज्य के मानक भी नहीं दिख रहे हैं। यही वजह है कि वर्तमान काल के ‘राम’ हों या 'हनुमान', इन्हें साहूकारों से कर्ज लेना पड़ रहा है। वहीं 'रावण' को परिवार का सहारा मिल रहा है।

ये भी पढ़ें:दिल्ली: अक्षय कुमार की फिल्म ‘लक्ष्मी बम’ के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

सबसे पुराने वर्डघाट रामलीला समिति में बिहार के दरभंगा से पहुंचे कलाकारों की है

यह ब्यथा-कथा शहर के सबसे पुराने वर्डघाट रामलीला समिति में बिहार के दरभंगा से पहुंचे कलाकारों की है। चुनावी मौसम में वादों-इरादों से इतर ये कलाकार सीने में दर्द लेकर अभिनय करने को अभिशप्त है। दरभंगा से पहुंचे कलाकारों की टीम ही वर्डघाट में रामलीला का मंचन कर रही है। 16 सदस्यों वाली मंडली को 31 अक्तूबर तक रामलीला का मंचन होना है। जिसके बाद ये वापस बिहार लौट जाएंगे। बिहार विधानसभा चुनाव में 7 नवम्बर को रामलीला के ये किरदार अपना रहनुमा चुनेंगे।

बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाके दरभंगा के रहने वाले कलाकारों के सीने में कोरोना काल से लेकर बाढ़ की दुश्वारियों का दर्द छिपा है। मंच पर मर्यादा पुरूषोत्तम राम के किरदार निभा रहे मिथिलेश झा जिंदगी लॉकडाउन और बाढ़ग्रस्त में डोल रही है। मिथिलेश झा माता-पिता के इकलौते बेटे हैं। इन्हीं पर परिवार की जिम्मेदारियां हैं। पहले से बचाकर रखे पैसे से लॉकडाउन जैसे-तैसे कटा लेकिन बीच में स्थिति बिगड़ गई। परिवार का गुजारा मुश्किल हुआ तो अगस्त महीने में गांव के ही साहूकार से मोटे ब्याज पर 30 हजार रुपये कर्ज लेना पड़ा।

gorakhpur-matter gorakhpur-matter (Photo by social media)

मिथिलेश झा का कहना है

मिथिलेश झा का कहना है कि 'महीने भर मंचन के बाद जो रकम मिलेगी उससे कर्ज चुकता करेंगे।' हनुमान का किरदार निभाने वाले मणिकांत झा ने बताया कि 'लॉकडाउन के दौरान घर पर ही बैठे रहे। इस दौरान गृहस्थी चलाने के लिए करीब 55 हजार का कर्ज लिया है। 1984 में वे मंचन से जुड़े हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में रहते हैं। लेकिन इतना बुरा वक्त कभी नहीं आया।'

रामलीला में हनुमान का किरदार निभाने वाले मणिकांत झा को भी गृहस्थी चलाने के लिए 55 हजार रुपये साहूकार से कर्ज लेना पड़ा। मणिकांत का कहना है कि 'लॉकडाउन के दौरान बेकाम घर पर ही बैठे रहे। इस दौरान गृहस्थी चलाने के लिए करीब 55 हजार का कर्ज लिया है।' वर्ष 1984 से रामलीला में हनुमान का किरदार कर रहे मणिकांत का कहना है कि 'बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में रहते हैं। लेकिन इतना बुरा वक्त कभी नहीं आया।'

सीता का किरदार निभाने वाले मनखुश चला रहे ऑटा-चक्की

माता सीता का चरित्र निभाने वाले 18 वर्षीय मनखुश झा का अपना दर्द है। उनकी पूरी खेती बाढ़ में डूब गई। इनके पिता को कुछ लोगों ने गांव में आटा-चक्की खोलने का सुझाव दिया। जुलाई के अंत में चक्की खुली, उसके बाद वहीं पर मनखुश पूरा समय देकर लोगों का आटा पीसने लगे। अब बड़ी मुश्किलों से परिवार की गाड़ी आगे बढ़ रही है।

'रावण' को भाई-भतीजों से संभाला

जिस रावण का परिवार आपसी विवाद में तबाह हो गया था, वहीं मंच के रावण को परिवार का भरपूर सहारा मिला। रावण का किरदार निभाने वाले पवन कुमार झा ने बताया कि 'इस दौर में भाई-भतीजों ने उन्हें संभाल लिया। बाढ़ पीड़ित कोष से 6000 और पीएम किसान योजना से भी उन्हें 4000 मिला, जिससे कुछ राहत मिली। 41 वर्ष तक थिएटर से और छह वर्षों से मंचन से जुड़े हैं। ऐसे दौर की उम्मीद कभी नहीं की थी।'

ये भी पढ़ें:धरी रह गई सरकार की सभी तैयारियां, यहां नवरात्रि में 120 रूपये Kg. बिक रहा प्याज

रामलीला टीम के पैकज में एक लाख की कटौती

बर्डघाट रामलीला समिति द्वारा सर्राफा भवन में शुरू हुए रामलीला के मंचन में आए सभी कलाकार पेशेवर हैं। हमेशा देश भर में आयोजनों में जाते रहते हैं। जनमाष्टमी, गणेश पूजा, दशहरा, रामनवमी के अलावा विभिन्न यज्ञों में ये कलाकार साल भर प्रस्तुति देते रहते हैं। कोरोना काल के बाद उपजे हालात में इन्हें दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्डघाट रामलीला समिति ने इस कमेटी को पिछले साल 2.50 लाख रुपये अदा किया था।

इस बार सिर्फ 1.50 लाख रुपये का पैकेज कलाकारों को मिला है। बर्डघाट रामलीला समिति के अध्यक्ष पंकज गोयल का कहना है कि कार्यक्रम को शार्ट किया गया है। हर साल प्रकाशित होने वाली वार्षिकी पत्रिका में 12 लाख तक सहयोग राशि मिल जाती थी। जिससे रामलीला में भव्य मंचन होता था। इस बाद कार्यक्रम को शार्ट किया गया है। सहयोग राशि भी कम मिला है।

पूर्णिमा श्रीवास्तव

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story