पितृपक्ष में पितरो के आत्मा की शान्ति के लिए किया, जाता हैं पिंडदान

पितृपक्ष चढ़ते ही ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोगों ने अपने पितरो को याद कर जल व पिंड अर्पित करना शुरू कर दिया।

Newstrack
Published on: 6 Sep 2020 9:16 AM GMT
पितृपक्ष में पितरो के आत्मा की शान्ति के लिए किया, जाता हैं पिंडदान
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पितृपक्ष में पितरो के आत्मा की शान्ति के लिए किया, जाता हैं पिंडदान (social media)

बारचवर (गाजीपुर): पितृपक्ष चढ़ते ही ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोगों ने अपने पितरो को याद कर जल व पिंड अर्पित करना शुरू कर दिया। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने स्वच्छ जगह अपने पितरो को याद कर गंगा व अपने घर में पिंडदान व जल अर्पित किया। पंडित नंदकिशोर मिश्र बताते हैं सनातन धर्म के मान्यता के अनुसार साल के इसी पखवाड़े में पितर पृथ्वी पर आते हैं,तथा पिंड से तृप्त होकर वापस अपने धाम को चले जाते हैं।

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पंडित नंदकिशोर मिश्र बताते हैं की मान्यता के अनुसार साल के इस पखवाड़े में तामसी भोजन नहीं किया जाता हैं,उन्होंने ने बताया की पितृपक्ष में तीथी के अनुसार लोग अपना मुंडन कराते है। जिन्हें तिथी याद नहीं रहती वो लोग पितृपक्ष के अंतिम दिन मुडंन करा अपने पितरो को पिंड दान अर्पित करते हैं।अर्पित किये हुए पिंड दान पाकर पितृ तृप्त होकर अपने लोंक को चले जाते हैं। पंडित नंदकिशोर मिश्रा ने बताया की ये पखवाड़ा पन्द्रह दिनों का होता है।

क्यो कौऔ को किया जाता है,पिंड दान

पंडित दयाशंकर चतुर्वेदी ने बताया की इस पखवाड़े में कौओं को भी पिंड दान अर्पित किया जाता है।क्यो की मान्यता के अनुसार कौवें पिड लेन के बाद पितरो के पास जाते हैं,तथा वहां पहुंच कौवें जिनके पिड लिये होते है।उनके पितरो को सीधा संदेश देते हैं।

कुत्तो को भी किया जाता है, पिंड दान

चतुर्वेदी बताते हैं, कि पितृपक्ष के अंतिम दिन जब लोग पितरो को पिंड दान करते हैं.।उस दिन मान्यता के अनुसार स्वान(कुत्तो) को भी पिंड़ दिया जाता हैं। क्यो की स्वान (कुत्ते) दरवाजे का सानिध्य होता है।मान्यता के अनुसार कोत्तो को पिंड देना अपने पुर्वजों की रक्षा करना होता हैं।उन्होंने बताया की गौ को भी एक पिंड अर्पित किया जाता है।मान्यता के अनुसार गौ को पिंड अर्पित करना आत्मा के शान्ति का प्रतीक होता हैं।

पितृपक्ष में कुछ जगहों पर किया जाता है,पिंड अर्पित

दयाशंकर चतुर्वेदी बताते हैं कीकुछ लोंग अपने घर व गंगा किनारे पिंड दान करते है।तो वहीं कुछ लोग गया,बोधगया, सीताकुंड,अक्ष्यवट ,व पिचास मोचन वाराणसी में पिंड अर्पित कर अपने पितरो को तृप्त करते है। उन्होंने बताया की अपने पितरो को तिलांजलि देकर अपने पितर के मृत्क तिथी पर पिंडदान अर्पित किया जाता है।

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पितृपक्ष में गौ को पिंड किया, जाता हैं अर्पित

पंडित दयाशंकर चतुर्वेदी बताते हैं, कि सनातन घर्म के मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में जब पिंड दान किया जाता है। उस समय काक (कौऔ) स्वान (कुत्तो) को भी पिंड दान किया जाता है। इन सबको पिंड दान करने के बाद गौ को पिंडदान करना अहम माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार गौ को पिंड दान करना अपने पितरो के आत्मा की शान्ति का प्रतीक माना जाता है।

रजनीश कुमार मिश्र

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