×

नौ दिन चले अढ़ाई कोस: बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों का मामला

raghvendra
Published on: 8 July 2023 4:30 PM IST
नौ दिन चले अढ़ाई कोस: बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों का मामला
X

लखनऊ: यह बेसिक शिक्षा विभाग के कामकाज का पैमाना है जो बताता है कि बच्चों को तालीम देने वाला महकमा नौ दिन चले अढ़ाई कोस की कहावत का आगा-पीछा करता नजर आ रहा है। मायावती और अखिलेश यादव के कार्यकाल में इस महकमे में भर्ती तकरीबन साढ़े चार हजार फर्जी टीचरों को बाहर करने में भाजपा सरकार को अपने ढाई साल के कार्यकाल के बाद भी कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है। यह तब है जबकि इस महकमे के पुराने और नये दोनों मंत्रियों के एजेंडे में यह काम वरीयता से रहा है। हद तो यह है कि इन टीचरों को चिन्हित करने के लिए गठित एसआईटी की सूची में भी रद्दोबदल हो रहे हैं। एटा की सूची में त्रुटिवश कुछ टीचरों के नाम शामिल होने की बात कहकर इस सूची की सत्यता की परख दोबारा करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। नौकरशाही से इन टीचरों के रिश्तों का ही तकाजा कहा जाएगा कि फर्जी अंक चिटों के आधार पर नौकरी पाने वाले इन टीचरों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर उन्हें अदालती राहत हासिल हो जा रही है।

715 शिक्षकों ने हासिल कर लिया स्टे

2004-05 में नौकरी पाए 4,570 टीचरों में 3,153 टीचरों की बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई। महकमे के मुताबिक इस तरह से नौकरी पाने वाले टीचरों के खिलाफ कार्रवाई में सबसे पहले टीचरों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। यदि वह पहली बार उपस्थित नहीं होता है तो उसे दूसरी बार उपस्थित होने का नोटिस तामिल कराया जाता है। अगर आरोपी शिक्षक कोई जवाब नहीं देता है तब उसे निलंबित करके विभागीय जांच की जाती है। प्राथमिकी दर्ज कराई जाती है। बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाती है। इसके बाद टीचरों को मिले देयकों की वसूली की प्रक्रिया की जाती है। यह सब करने में विभाग की दक्षता इसी से समझी जा सकती है कि ऐसे 715 शिक्षकों ने स्टे हासिल कर लिया है।

इस खबर को भी देखें: सोनिया को बनाया दुर्गा: सिर्फ इसलिए इनकी पूजा करने बैठ गया ये शख्स

केवल 23 की सेवा हुई समाप्त

मथुरा में फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी करने वाले 58 शिक्षकों को एसआईटी जांच के बाद आरोप पत्र भेज कर निलंबित किया गया मगर इनमें से अंधिकांश को स्थगन आदेश मिल गया। महकमे की सूत्रों की मानें तो विभाग ने महज 1400 फर्जी टीचरों को चिन्हित कर नोटिस जारी की। इनमें से केवल 23 की सेवा समाप्त की गई है। 18 अप्रैल, 2018 को बहराइच में नौकरी कर रहे 12 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया जिनमें पांच महिलाएं हैं। बीएसए रहे अमरकांत सिंह ने सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं। ये टीचर कन्नौज, एटा, कानपुर, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मैनपुरी और आगरा के निवासी हैं। इनमें से एक टीचर की नियुक्ति 2016, चार की 2017 में और सात की 2011 में हुई थी।

बीस साल बाद पकड़ में आया फर्जीवाड़ा

बीते 21 अगस्त को गोंडा के मनकापुर में रामपुर खास प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक सुरजीत कुमार मौर्य व बेलसर प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापक जितेंद्र कुमार साहू तथा पायर खास प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक ज्ञानेंद्र सिंह दुबेला को लंबी प्रक्रिया के बाद बर्खास्त करके वेतन की रिकवरी करने का आदेश दिया जा सका है। बंदायू के बीएसए प्रेमचंद यादव बताते हैं कि 88 शिक्षक-शिक्षिकाएं फर्जी पाए गए हैं। सबकी फर्जी डिग्री डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की हैं। गोरखपुर में बीते 21 सितंबर को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे दो शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। बलिया जिले में नारायण जी यादव नामक व्यक्ति 1999 से फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी टीचर की नौकरी कर रहा था। 20 साल बाद उसका फर्जीवाड़ा पकड़ में आया और उसे बर्खास्त होना पड़ा। बीते 8 सितंबर को नारायण यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर वेतन वसूली की प्रक्रिया शुरू की गई है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि व उससे जुड़े कॉलेजों का खेल

सूत्र बताते हैं कि एसआईटी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाए टीचरों के नामों की सीडी बेसिक शिक्षा विभाग को सौंप दी है। सीडी मिलने की बात बेसिक शिक्षा परिषद की सचिव रूबी सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा है कि जिलों में तैनात बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को उनके जिलों में फर्जी अभिलेखों के जरिये कार्यरत 14,00 टीचरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है। यह भी कम हैरतअंगेज नहीं है कि इस फर्जीवाड़े की जड़ें आगरा के डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और उसके अधीन आने वाले महाविद्यालयों से जुड़ती है।

इस खबर को भी देखें: आखिर सीएम के पास किसका आया फोन जो कार्यक्रम को छोड़कर बाहर चले गए

बेसिक शिक्षा महकमे में तीन तरह के ऐसे टीचर उपलब्ध हैं। पहले वे जिन्होंने आगरा के डॉ.भीमराव विश्वविद्यालय के किसी डिग्री कॉलेज से बीएड की परीक्षा उत्तीर्ण की है, लेकिन विश्वविद्यालय में उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। दूसरा, जिनकी असली अंकतालिका और बेसिक शिक्षा महकमे में दाखिल की गई अंकतालिका में अंतर है। तीसरा, वे जिनका कोई रिकॉर्ड ही बेसिक शिक्षा महकमे में उपलब्ध ही नहीं है। शिक्षकों के चयन में केवल प्राप्तांकों को वरीयता देने के चलते इस गड़बड़झाले की शुरुआत हुई। यह सिलसिला हर सरकार के कार्यकाल में चला।

फर्जी अभिलेख वाले बाहर होंगे: द्विवेदी

इन हालातों के बावजूद बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ.सतीश द्विवेदी दावा कर रहे हैं कि वह इन फर्जी अभिलेखों के आधार पर नौकरी पाए लोगों को बाहर का रास्ता दिखाकर ही मानेंगे। हालांकि न्यायालय से स्थगन आदेश पा चुके टीचरों और एसआईटी की एटा के शिक्षकों के संबंध में भेजी गई चिट्ठी के बारे में पूछने पर वे अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहते हैं कि वह इस संबंध में पूरी जानकारी व उचित कार्रवाई करेंगे।



raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story