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हजारों पर असर! अगर चालू हुई ये बाक्साइट फैक्ट्री, यहां पूरी जानकारी
लगभग ढाई दशक पहले मानिकपुर नगर में टेलीफोन एक्सचेंज के नजदीक बगदरी रोड पर विध्यानचल एवरेसिव बॉक्साइट फैक्ट्री स्थापित की गई थी । जिसमे एल्युमिनियम धातु बनाने हेतु एम्वेरिक पाउडर (बाक्साइट पाउडर) का उत्पादन किया जाता था ।
अनुज हनुमत
बुंदेलखंड : लगभग ढाई दशक पहले मानिकपुर नगर में टेलीफोन एक्सचेंज के नजदीक बगदरी रोड पर विध्यानचल एवरेसिव बॉक्साइट फैक्ट्री स्थापित की गई थी । जिसमे एल्युमिनियम धातु बनाने हेतु एम्वेरिक पाउडर (बाक्साइट पाउडर) का उत्पादन किया जाता था । इस बाक्साइट चूर्ण को बोरियों में पैक करके समीपी एल्युमिनियम फैक्ट्री मिर्जापुर भेजा जाता था ।
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हजारों गरीब मजदूरों की रोजी रोटी
इस फैक्ट्री के लिए आवश्यक कच्चा माल बॉक्साइट अयस्क मानिकपुर के अंतर्गत रानीपुर के ऱोजौहां जंगल से खनन करके प्राप्त किया जाता था । इस बॉक्साइट खनन में पाठा के हजारों मजदूरों को रोजगार मिलता था । इसके बन्द होने से मानिकपुर के हजारों गरीब मजदूरों की रोजी रोटी छिन गई थी ।
इसके बन्द होने पर चित्रकूट के किसी भी पार्टी के नेता ने इसे चालू कराने का कोई प्रयास नही किया । इन्हें वोट मांगते समय अब शर्म नही लगती । बांदा चित्रकूट के समीपी पहाड़ी इलाकों में बॉक्साइट अयस्क होने के पर्याप्त सबूत हैं ।
मानिकपुर के अन्तर्गत रानीपुर के रोझौहां जंगल में पर्याप्त बॉक्साइट अयस्क मौजूद है । एक सरकारी सर्वे के अनुसार इस जंगल में लगभग 83 टन बॉक्साइट अयस्क के भण्डार है ।
इसी प्रकार के बॉक्साइट अयस्क के भण्डार पन्ना , सागर ,दतिया के जंगली पहाड़ी इलाकों में मिले हैं । अभी हाल में एक सरकारी सर्वे में बांदा और चित्रकूट जनपद में एल्युमिनियम अयस्क बॉक्साइट के पर्याप्त भण्डार का पता चला है । यह निक्षेप प्रति वर्ष 1 लाख टन एल्युमिनियम उत्पादन करने की क्षमता वाले कारखाने को कम से कम 35 वर्षों तक अयस्क प्रदान कर सकता है ।
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रानीपुर रोझौहां जंगल में पाए जाने वाले एल्युमिनियम अयस्क बॉक्साइट का यदि पुनः खनन चालू हो जाये और यह अत्यंत महत्वाकांक्षी विंध्यांचल बॉक्साइट फैक्ट्री मानिकपुर भी यदि चालू करा दी जाये तो हजारों पाठा के बेरोजगार मजदूरों को पुनः रोजगार मिल जायेगा । अगली बार हर पाठा क्षेत्र का वीर नागरिक चुनाव में वोटों का बहिष्कार कर सकता है ।
क्या कहते हैं युवा
बेरोजगारी की समस्या पर युवाओं की टीस खुलकर सामने आ जाती है। रोजगार के लिए संघर्षरत युवा इंद्रेश त्रिपाठी ,रजनेश, बद्री, रत्नेश, आदि का कहना है कि यदि आज सरकारों ने सही कदम उठाए होते तो हमारे बुन्देलखण्ड में भी रोजगार के कई साधन उपलब्ध होते लेकिन हर बार हर किसी ने हमें सिर्फ ठगा है। आज अधिकांश युवा अन्य प्रदशों में नौकरी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
दशकों से बन्द पड़ी बॉक्साइट फैक्ट्री का सच
बुन्देलखण्ड का पाठा इलाका जहाँ देश की आजादी के 70 वर्ष वाद भी मूलभूत सुविधाएँ नही पहुँची हैं । यहां किसी प्रकार का कोई उद्योग धंधा न होने के कारण लोगो को पलायन करके अपने जीविकोपार्जन हेतु सुदूर प्रदेशों में जाना पड़ता है ।
एक बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री थी जो चालू ही नही हो पाई और दूसरी मानिकपुर की बॉक्साइट फैक्ट्री जो चलने के बाद बन्द हो गई । इसके बाद क्षेत्र का इतना दुर्भाग्य कि अभी तक यहां कोई फैक्ट्री (उद्योग धंधे) स्थापित नही हुये ।
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पाठा क्षेत्र से एक कैबिनेट मंत्री भी हुए , एक सांसद जो की सूबे के बड़े उद्योगपतियों में से एक जिनका जन्म भी इसी पाठा क्षेत्र में हुआ लेकिन दोनों ने यहां की जनता को रोजगार के नाम पर निराश किया । चुनाव का समय है और यहां का सवसे बड़ा मुद्दा 'रोजगार' का है ।
वादों का ठेंगा
ऐसा नहीं कि ये सारी समस्याएं देश प्रदेश के हुक्मरानों की नज़रों में नहीं अलबत्ता हर लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इन मुद्दों को जिंदा कर बाद में वादों का ठेंगा दिखा दिया जाता है। हर राजनीतिक दल ने बुन्देलखण्ड की इस तस्वीर को सियासी आईने में कैद तो किया लेकिन धरातल के सांचे में किसी ने नहीं ढाला।
पाठा को भी छला गया
बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जनपद का पाठा क्षेत्र जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती व बीहड़ों के लिए जाना जाता है उसे भी सियासत ने जमकर छला वादों ने खूब ठेंगा दिखाया। पाठा के मानिकपुर क्षेत्र में बॉक्साइट फ़ैक्ट्री स्थापित की गई।
फ़ैक्ट्री के लिए कच्चे माल की सप्लाई मानिकपुर से ही होती थी। हजारों ग्रामीण आदिवासियों को इसके माध्यम से दैनिक रोजगार मिलता था लेकिन अनियमितताओं के चलते यह फ़ैक्ट्री भी बंद हो गई। पाठा के कई गांव आज पलायन के कारण सन्नाटे में हैं।
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