बिजली दर पर फैसला: उपभोक्ताओं पर निर्भर, जानें कब होगा बदलाव

वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से सोमवार को हुई जनसुनवाई में मध्याचंल व पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम ने अपना पक्ष रखा। बिजली दर प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

Shivani
Published on: 28 Sep 2020 2:19 PM GMT
बिजली दर पर फैसला: उपभोक्ताओं पर निर्भर, जानें कब होगा बदलाव
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह ने मध्याचंल व पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम द्वारा दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित बिजली दर प्रस्ताव व स्लैब परिवर्तन के लिए दाखिल याचिका पर हुई जनसुनवाई में कहा कि बिजली कम्पनियों द्वारा केवल अपटेल में मुकदमा दाखिल करने से कुछ नहीं होगा जब तक कोई फैसला नहीं आता नियामक आयोग अपने हिसाब से कार्यवाही करेगा।

बिजली दर प्रस्ताव व स्लैब परिवर्तन पर नियामक आयोग में हुई जन सुनवाई

उन्होंने कहा कि नियामक आयोग की सभी कार्यवाही पर नजर है और सभी उपभोक्ताओं द्वारा उठाई गयी आपत्तियों व सुझावों पर गम्भीरता से विचार करने के बाद ही नियामक आयोग बिजली दर पर अन्तिम निर्णय लेगा। आयोग अध्यक्ष ने पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण पर कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 17(3) के तहत दी गयी व्यवस्था में बिजली कम्पनियों को कोई भी निर्णय लेने से पहले आयोग के सामने आना होगा।

Electricity rate will be decided based on customer objections and suggestions

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नियामक आयोग ने कहा- उपभोक्ताओं की आपत्तियों व सुझावों पर होगा विचार

वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से सोमवार को हुई जनसुनवाई में मध्याचंल व पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम ने अपना पक्ष रखा। जिसके बाद राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुए उप्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कार्पोरेशन पर उपभोक्ताओं के बकाया 13 हजार 337 करोड़ रुपये के आधार पर बिजली दरों में 16 प्रतिशत की कमी के अपने जनता प्रस्ताव की मांग को दोहराते हुए कहा कि पावर कार्पोरेशन अपटेल में मुकदमा दाखिल कर मामले को उलझा रहा है, जबकि अपटेल ने इस मामले पर कोई आदेश नहीं किया है ऐसे में केवल मुकदमा दाखिल करने का कोई मतलब नहीं है।

Electricity rate will be decided based on customer objections and suggestions

उपभोक्ताओं की राय पर बिजली दर पर फैसला

वर्मा ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मामला भी उठाते हुए कहा कि आयोग यहां बिजली दर की सुनवाई में लगा है उधर उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पूर्वांचल डिस्काम में सुधार के लिये अगले 05 वर्षों में 8 हजार 801 करोड़ रुपया खर्च करने और वर्ष 20-21 में लगभग 2522 करोड़ रुपया खर्च करने की बात हो रही है और दूसरी ओर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को बेचने की साजिश की जा रही है।

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परिषद अध्यक्ष ने कहा कि केवल पूर्वांचल के लगभग 81 लाख विद्युत उपभोक्तओं की जो कुल जमा सिक्यूरिटी वही ंलगभग 640 करोड़ रुपये है। केवल उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए निजीकरण का निर्णय उचित नहीं है, नियामक आयोग इसमे हस्तक्षेप करें।

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