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शहर में है अपना मकान तो खाली कर दें किराये का मकान: हाईकोर्ट 

याचिका पर अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने बहस की। मालूम हो कि वेद प्रकाश अग्रवाल याची के मकान में किराएदार थे जिनकी मृत्यु के बाद प्रेमलता अग्रवाल व अन्य किराए के मकान में बतौर वारिस रहते रहे। मकान मालिक ने यह कहते हुए मकान खाली करने की नोटिस दी कि किराएदार के पास शहर में 5 मकान है।

SK Gautam
Published on: 11 Nov 2019 1:47 PM GMT
शहर में है अपना मकान तो खाली कर दें किराये का मकान: हाईकोर्ट 
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किराएदार का उसी शहर में अपना मकान है, तो उससे मकान मालिक किराए का मकान खाली करा सकता है। किराएदार यह नहीं कह सकता कि मकान मालिक को उसके कमरों की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केशरवानी ने मेरठ के मकान मालिक दीपक जैन व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

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याचिका पर अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने बहस की। मालूम हो कि वेद प्रकाश अग्रवाल याची के मकान में किराएदार थे जिनकी मृत्यु के बाद प्रेमलता अग्रवाल व अन्य किराए के मकान में बतौर वारिस रहते रहे। मकान मालिक ने यह कहते हुए मकान खाली करने की नोटिस दी कि किराएदार के पास शहर में 5 मकान है।

मकान मालिक को अपने मकान की आवश्यकता है इसलिए मकान खाली कर दे। खाली न करने पर मकान मालिक याची ने बेदखली वाद दायर किया। जज खफीफा ने याची के पक्ष में फैसला दिया। किंतु अपीली अदालत ने यह कहते हुए किराएदार की बेदखली को गलत माना कि मकान मालिक के मकान में 25 कमरे हैं। इसलिए उसे और कमरों की जरूरत नहीं है। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी।

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हाईकोर्ट ने कहाकि अपीलीय न्यायालय ने कानून के प्रावधानों के विपरीत आदेश दिया है। इन तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया गया कि किराएदार के पास उसी शहर में 5 मकान हैं। इसलिए मकान मालिक को किराए के मकान को खाली कराने का अधिकार है। कोर्ट ने अपीलीय अदालत के फैसले को रद्द कर दिया है और जज खफीफा के मूल वाद में दिए गए फैसले की पुष्टि कर दी है।

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