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राजधानी में सड़कों पर नहीं थम रहा ठेले और गाड़ियों का अतिक्रमण, प्रशासन पस्त
राजधानी के आधे से ज्यादा गलियों में गाड़ियां खडी रहती हैं, जिस वजह से अगर किसी को उन गलियों से गुजरना हो तो उसे बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं। वहीं लोगों ने अब साइकिल ट्रैक को भी पार्किंग का नया अड्डा समझ लिया है और वो पैदल चलने वाली जगह पर अपनी गाड़ियां खड़ी कर देते हैं।
शाश्वत मिश्रा
लखनऊ: आज लखनऊ शहर में गाड़ियां इतनी बढ़ गयी हैं कि सड़कों पर चलने तक की जगह नही रहती है, और अगर ऐसे में सड़कों पर ठेले या गाड़ियां खड़ी रहेंगी तो भला लोग कैसे जाएंगे?
नो-वेंडिंग जोन में ठेले वालों का अतिक्रमण
शहर में हर जगह ठेले वालों ने की वजह से जाम लगता है जो कि ज्यादातर सड़कों पर लगाते हैं और उन्हीं की वजहों से सड़कों पर जाम लगता है। लखनऊ में सबसे ज्यादा ठेले वाले गोमती नगर के रिवरफ्रंट, अम्बेडकर पार्क, पत्रकार पुरम, हुसरिया और गोमती नदी के पुल पर नज़र आते हैं जो कि नगर निगम का नो-वेंडिंग जोन इलाका है।
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नगर निगम और पुलिस की मिलीभगत से लग रहें ठेले
इन ठेले वालों को पनाह प्रशासन के ही कुछ जिम्मेदार अफसरों ने दे रखा है, जिसमें नगर निगम और पुलिस दोनों सहयोगी है। अक्सर देखा गया है कि ये ठेले वाले अपना ठेला लगाने के लिए पुलिस और नगर निगम को मुफ्त में खिलाते हैं और कुछ तो पैसा भी देते हैं, लेकिन ये इनकी मजबूरी कहें या जरूरत कि इन्हें अपना पेट पालने के लिए ये करना पड़ता है।
वेंडिंग व नो-वेंडिंग जोन का पता ही नही
शहर में ज्यादातर जगहों पर ठेलेवालों को पता ही नही है कि वे यहां पर दुकानें लगा सकते हैं या नही। इसी का फायदा नगर निगम कर्मी और पुलिस वाले उठाते हैं और इनसे अवैध वसूली करते हैं।
वीआईपी लगने पर ठेले वालों को हटा देते हैं
जब जब राजधानी में राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को ऐसी जगह से गुजरना होता है, तो तुरन्त पुलिस और नगर निगम प्रशासन हरकत में आ जाते हैं, और अभियान लगाकर क्रेन व डंपर पर इनके ठेले लाद कर लेकर चले जाते हैं।
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गाड़ियों का अतिक्रमण भी है जाम की वजह
सड़कों पर यूँ तो यातायात पुलिस के माध्यम से नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को उठाने का प्रावधान है, लेकिन ये सिर्फ सीमित जगहों के लिए है, शहर में कई जगह ऐसी भी हैं जहां पर गाड़ियां पंक्तिबद्ध तरीके से खड़ी कर दी जाती हैं, और इन्हें पूछने वाला कोई नही होता। कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो सड़क पर गाड़ी खड़ी करके सामान खरीदने चले जाते हैं।
मोहल्ले और साइकिल ट्रैक भी इसका शिकार
राजधानी के आधे से ज्यादा गलियों में गाड़ियां खडी रहती हैं, जिस वजह से अगर किसी को उन गलियों से गुजरना हो तो उसे बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं। वहीं लोगों ने अब साइकिल ट्रैक को भी पार्किंग का नया अड्डा समझ लिया है और वो पैदल चलने वाली जगह पर अपनी गाड़ियां खड़ी कर देते हैं।
नगर निगम और पुलिस अधिकारियों ने एक दूसरे को बताया दोषी
इस मुद्दे पर सबसे पहले हमने गोमती नगर के एस॰एच॰ओ॰ रामसूरत सोनकर से बातचीत की, जिस पर उन्होने इस मुद्दे को नगर निगम का बताते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश की और कहा कि अतिक्रमण का काम देखने की ज़िम्मेदारी नगर निगम की है इसमें पुलिस डिपार्टमेंट कुछ नहीं कर सकता|
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तो नगर निगम के गोमती नगर ज़ोनल ऑफिसर सुजीत कुमार श्रीवास्तव ने पुलिस डिपार्टमेंट पर तंज़ कसते हुए बताया कि ‘हाईकोर्ट की रुलिंग है अगर हम हटवा देते हैं तो रखवाली करने की ज़िम्मेदारी पुलिस वालों की है, और अगर जिस दिन ये पुलिस वाले चाह लें एक भी दुकान नहीं लगेगी|
इन्होने आगे कहा कि ‘हम हटवा चुके हैं और आज भी हटवा देंगे लेकिन हम मॉनिटरिंग नहीं कर पाएंगे इसकी ज़िम्मेदारी पुलिस वालों की है और जिस दिन ये दो तीन मुकदमा दर्ज कर देंगे उस दिन से दुकाने नहीं लगेंगी, ये नो वेंडिंग जोन में ही आता है और इसे हम जल्द से जल्द हटवा देंगे|