TRENDING TAGS :
दक्षिणाचंल विद्युत वितरण निगम की एमडी के तुगलकी आदेश पर ऊर्जा मंत्री नाराज
ऊर्जा मंत्री ने अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन को उक्त निर्देश देते हुए कहा कि विद्युत नियामक आयोग के नियमों का हर हाल में पालन किया जाए तथा इस संबंध में कोई भी उदासीनता बर्दास्त नहीं की जायेगी।
लखनऊ: प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने नाराजगी जाहिर करते हुए दक्षिणाचंल विद्युत वितरण निगम की प्रबंध निदेशक के उस आदेश को तत्काल वापस लेने का निर्देश दिया है, जिसमे उन्होंने 10 किलोेवाट के ऊपर के उपभोक्ताओं के बिल भुगतान चेक से न स्वीकार करने को कहा था।
ऊर्जा मंत्री ने अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन को उक्त निर्देश देते हुए कहा कि विद्युत नियामक आयोग के नियमों का हर हाल में पालन किया जाए तथा इस संबंध में कोई भी उदासीनता बर्दास्त नहीं की जायेगी।
तत्काल आदेश वापस लेने व नियामक आयोग के नियमों का पालन करने का दिया निर्देश
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के इस आदेश का विरोध करते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर उन्हे जनहित प्रस्ताव सौंपते हुए मांग की कि इस प्रकार के तुगलकी आदेश को अबिलम्ब वापस कराया जाय क्यों की यह आदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गये कानून विद्युत वितरण संहिता 2005 की धारा 6.10 का खुला उलघन है और बिजली कम्पनियो को यह भी आदेश दिए जाय की आयोग द्वारा बनाए गए नियमो का हर हाल में पालन कराया जाय ।
ये भी पढ़ें—चीन और इस देश के बीच कभी भी हो सकता है युद्ध, तैनात किए जंगी जहाज-फाइटर जेट
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने उसी क्षण उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष द्वारा सौंपे गये जनहित प्रस्ताव को पावर कार्पोरेशन चेयरमैन को कार्यवाही के लिये भेजते हुए अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिया की नियामक आयोग द्वारा बनाये गए नियमो का हर हाल में पालन कराया जाय इस प्रकार के आदेश जो नियमो के विपरीत है उसे तुरंत वापस कराया जाए। ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बाद पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने प्रबंध निदेशक दक्षिणाचल को उस आदेश को अबिलम्ब वापस करने का निर्देश दिया।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा यह कैसा फैसला की कुछ उपभोक्ताओ की गलती से सभी की सुविधा खत्म कर दी गयी जबकि वितरण संहिता 2005 की धारा 6.10 में यह कानून बना है की ऐसे उपभोक्ता जिनका दो बार चेक भुगतान नहीं होगा उनकी सुविधा एक वित्तीय वर्ष के लिए खत्म कर दी जाएगी और उनसे केवल नकद या ड्राफ्ट ही स्वीकार किया जायेगा फिर ऐसे में इस प्रकार का नियम विरुद्ध आदेश करना संहिता 2005 का खुला उल्लंघन है ।