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इंसानी कत्लखानेः निजी अस्पतालों पर दी जा रही मौत, स्वास्थ्य विभाग पर बड़ा आरोप

इटावा जिले में सैकड़ों निजी नर्सिंग होम, झोलाछापों की दुकानें जगह जगह सजी हुई है। जिसके चलते आये दिन मरीजों और उनके परिजनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

Shivani
Published on: 26 Aug 2020 6:10 PM GMT
इंसानी कत्लखानेः निजी अस्पतालों पर दी जा रही मौत, स्वास्थ्य विभाग पर बड़ा आरोप
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Etawah health department not taking action against nursing home killed patients

इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में सैकड़ों निजी नर्सिंग होम, झोलाछापों की दुकानें जगह जगह सजी हुई है। जिसके चलते आये दिन मरीजों और उनके परिजनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। थाना फ्रेंड्सकॉलोनी क्षेत्र के लाइफ केयर हॉस्पिटल में नवजात की लापरवाही के चलते मौत के बाद परिजनों ने हॉस्पिटल के डॉक्टर औऱ संचालक पर मुकदमा दर्ज करवाया। मामले में पुलिस ने हॉस्पिटल संचालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और डॉक्टर साहिबा की तलाश में पुलिस जुटी हुई है।

हॉस्पिटल में ऑपरेशन के दौरान एक महिला की मृत्यु

3 माह पूर्व इस हॉस्पिटल में ऑपरेशन के दौरान एक महिला की मृत्यु भी हो चुकी थी। आखिर तब फ्रेंड्सकॉलोनी थाना पुलिस ने पीड़ितों का मुकदमा दर्ज कर हॉस्पिटल संचालक पर कार्यवाही क्यों नही की ?

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अधिकारी मीडिया को कार्यवाही के नाम का पकड़ाते लॉलीपॉप

पूर्व में मैक्स हॉस्पिटल, साईं हॉस्पिटल काली मैम के यहां भी ऐसी ही लापरवाही के चलते मरीज की जान जा चुकी है। शहर के रघुकुल हॉस्पिटल में महिला के ऑपरेशन के दौरान पेट में (गौज पीस) कपड़ा रह जाने का मामला भी मीडिया ने उठाया था। जिसमें सीएमओ एन एस तोमर ने 7 दिन के अंदर जांच कर कार्यवाही की बात कही थी। अधिकारी अवधेश यादव, श्रीनिवास यादव को जांच सौंपी गई थी जोकि अब तक बदस्तूर जारी है, लेकिन उसका अब तक कोई परिणाम सामने नही आया।

कौन सा बस्ता है जिसमें जांचे नही आती बाहर

सूत्रों की माने तो जनपद के निजी हॉस्पिटल में जो मनमानी चल रही है वो स्वास्थ्य विभाग के इन्ही दो डिप्टी सीएमओ के बलबूते पर चल रही है। इनके पास जांच के नाम पर एक ऐसा बस्ता है जिसमे जांच जाने के बाद बाहर नही निकलती।

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थाना कोतवाली क्षेत्र के वाह अड्डा पर निजी साईं हॉस्पिटल की संचालिका काली मैम पर भी लापरवाही के मामले मुकदमा दर्ज किया गया था । नगर मजिस्ट्रेट द्वारा हॉस्पिटल पर कार्यवाही करने के आदेश स्वास्थ्य विभाग को दिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मामले को वही बस्ते में डालकर आदेशों को दर किनार कर दिया। हॉस्पिटल निरन्तर चलता रहा। जिसके बाद मीडिया द्वारा मामले को बार बार प्रकाश में लाने के बाद हॉस्पिटल को कुछ दिन पूर्व सीज किया गया लेकिन उसकी अब तक कोतवाली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी न हो सकी।

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जिला अस्पताल से चलती निजी हॉस्पिटलों की दुकान

जिला अस्पताल में निजी नर्सिंग होम के दलाल और आशा बहु जो मानदेय तो सरकार से लेती है, लेकिन असल मे काम निजी हॉस्पिटल के लिए करती। इसके एवज में एक मरीज के 5 से 10 तक कमीशन दिया जाता है। जनपद में सरकार द्वारा संचालित 108,102 एम्बुलेंस जोकि मरीज के लिए फ्री सेवा उपलब्ध करवाते है, फिर जिला अस्पताल कैम्पस और अस्पताल के आसपास खड़ी रहकर रैफर मरीजों इन निजी हॉस्पिटलों अघोषित श्मशान तक लेजाकर अपना कमीशन प्राप्त करते है। यह खेल काफी समय से चल रहा है, लेकिन इस पर कोई आलाधिकारी तवज्जों देने की बजाए मामलों से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं।

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बिना मानक किए गए रजिस्ट्रेशन

कई निजी अस्पतालों के कर्मचारियों पर डिग्री डिप्लोमा के नाम पर आपको सिर्फ हवा हवाई बातें मिलेंगी आखिर जनपद में बिना मानकों और अन्य जनपदों के डॉक्टरों के रेजिस्ट्रेशन पर चल रहे इन्सानों के तथाकथित कत्लखांनो पर स्वास्थ्य विभाग अपनी आंखें कब तक मूंदे बैठा रहेगा।

उवैश चौधरी- इटावा

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